हिंदी के विभिन्न रंगों से सराबोर हुआ मंच

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डॉ अजय ओझा।

तेलंगाना, 10 जनवरी महिला काव्य मंच, तेलंगाना इकाई गूगल के माध्यम से, विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष में, आयोजित काव्य पाठ में संस्था के संस्थापक, श्रद्धेय नरेश नाज़ जी की गरिमामई उपस्थिति ने मंच को गरिमा प्रदान की.. गोष्ठी की अध्यक्षता तेलंगाना की अध्यक्ष डॉ.अर्चना पाण्डेय जी ने की.. आज की मुख्य अतिथि रही दक्षिण प्रांत के सचिव डॉ. मंजु रस्तगी जी.. सरस्वती वंदना, मंच संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन सरला विजय सिंह ‘सरल’ ने किया..दक्षिण भारत के पाँच राज्यों तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल की मकाम अध्यक्ष उपस्थित रहीं..
प्रतिभागियों के नाम और कविता की पंक्तियाँ… आदरणीय नरेश नाज़ जी ने

“भरदे जहाँ में रोशनी मिलकर मकाम से, दिन अपना गुजारा करें घर बार के लिए..
अगर देश में हिंदी भाषा का सम्मान नहीं होगा, तो फिर हिंदुस्तान यकीनन हिंदुस्तान नहीं होगा”, डॉ. मंजु रुस्तगी जी ने “देकर अंग्रेज़ी के हाथ मे डोरी,बने हुए हैं कठपुतली,हिंदी की बैटिंग पर भारी ,अंग्रेज़ी की गुगली”,
डॉ. अर्चना पांडे जी ने “छोड़ शिकवा शिकायत गिला जिंदगी, साथ मेरे कभी गीत गा जिंदगी”, डॉ. कुमुद बाला जी ने हिंदी तो बिंदी है अपनी इस भारत माँ के भाल की, आओ मिलकर धुन समझाएँ नव सुर नव लय ताल की”,
ममता सिंह ‘अमृत’ जी ने “करनी और कथनी में क्यों इतना अंतर होता है, करता है दिन भर चाकरी फिर क्यूँ मन रोता है”,
डॉ.पी. लता ने “संवाद की भाषा है हिंदी अनुवाद की भाषा है हिंदी, विश्व भाषा बनी है हिंदी मगर अब भी नहीं बनी है राष्ट्रभाषा के रूप में” , सरला ‘सरल’ ने “हिंदुस्तान की बेटी हूँ मेरी दिलो- जान है हिंदी, मेरा ईमान है हिंदी”… कुल संख्या सात थी सभी ने अपने काव्य द्वारा हिंदी का सम्मान किया।


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