सज्जन शक्तियों को प्रतिष्ठित करने का समय

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देवदत्त दुबे

समाज में दो धाराएं देखी जाती है, एक वे लोग हैं जो अवैध और अनैतिक तरीके से पद और पैसा अर्जित करते हैं और समाज में प्रतिष्ठा बनाते हैं वहीं दूसरी ओर वे लोग हैं जो दिन रात प्रदूषण के खिलाफ नशे के खिलाफ समाज में बढ़ रही बुराइयों के खिलाफ संघर्ष करता हुआ गुमनामी के अंधेरे में जीता है। इसके लिए वह समाज भी कम दोषी नहीं है जो पद और पैसा वाले हो प्रतिष्ठा देते हैं लेकिन समाज और प्रकृति से प्रेम करने वाले को इग्नोर करते हैं। कोरोना महामारी ने दोनों ही धाराओं का महत्त्व दिखा दिया है। अब जरूरत है, कि हम समाज में उन सज्जन शक्तियों को प्रतिष्ठित करें जो हमारे सुखमय जीवन के लिए प्रयास करते रहते हैं। ना कि उनको जो अपने जीवन को सुखी बनाने के लिए मानव जीवन को संकट में डाल रहे हैं।

सोचो आज आपको कौन सही लग रहा है, वे लोग जो प्रकृति का दोहन करके कुबेर हुए हैं, पहले जंगल की अदा धुंध कटाई की फिर नदियों को रेत निकाल कर छलनी कर दिया इतना प्रदूषित कर दिया की गंगा और नर्मदा नदी भी इनसे बच नहीं पाए पैसा कमाने के लिए के लोग किस तरह से नशे को घर-घर पहुंचाते है। यहां तक पहुंच गए हैं कि जिन चीजों में हमने कभी कल्पना नहीं की थी वह भी अब शुद्ध नहीं रहे तमाम प्रकार के खाद्य पदार्थ, सब्जियां, यहां तक कि दूध भी मिलावटी आने लगा और इन सब प्रदूषक चीजों को खाने से अनेकों बीमारियों ने मानव जीवन को खतरे में डाल दिया है। कैंसर, डायबिटीज, हृदय रोग, ने जिस तरह से पैर पसारे हैं, उससे किसी को भी अब अपनी जिंदगी सुरक्षित नहीं लगती, बल्कि जिस तरह से जीव जंतुओं पशु पक्षियों को मारा गया है अब उसी तरह से दुनिया के कई देशों में मनुष्य मर रहा है।

पूरी दुनिया की ऐसी भयावह तस्वीर देखने के बाद, हमें जरूर अब वे लोग ठीक नहीं लगेंगे जो मानव जीवन को संकट में डाल कर पद और पैसा अर्जित करते हैं। वहीं दूसरी ओर ऐसे अनेकों लोग हैं, जिन्होंने अपने घर परिवार की चिंता किए बगैर पूरा जीवन मानव जीवन को सुखी बनाने प्रकृति को बचाने, जल स्रोतों का संरक्षण करना में लगा दिया लेकिन समाज ने उन्हें वह प्रतिष्ठा नहीं दी जिसके वे हकदार थे या फिर उनके पीछे भी नहीं चले अन्यथा इतनी भयावह स्थिति नहीं बन पाती कौराना वायरस महामारी से भी ज्यादा नुकसान मानव समाज का हो चुका है। आज कुछ भी शुद्ध खाने को नहीं मिल रहा है यहां तक कि प्रकृति ने हमें जो निशुल्क दिए थे हवा और पानी वह भी छीन लिया गया है। कोरोना वायरस महामारी के बाद मानव जीवन मैं और भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं, यदि हमने समय रहते समाज के असली हीरो उन सज्जन शक्तियों को प्रतिष्ठित नहीं किया जो प्रकृति और मानव जीवन को बचाने के लिए दिन रात लगे हुए हैं।

यह समय ऐसे ही संकल्पों से संकल्पित होने का है। जिसमें सबसे पहले हम अपनी जरूरतें कम करें प्रकृति का दोहन ना करें जल स्रोतों का संरक्षण करें, जैविक खेती शुरू करें समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अब आगे आना होगा और ऐसे व्यक्तियों की पहचान कर लेनी चाहिए जो अवैध और अनैतिक कामों के बल पर शक्तिशाली हो रहे हैं। जबकि प्रकृति और समाज के संरक्षण के लिए कार्य करने वाले लोगों को शक्तिशाली होना चाहिए था।


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