इच्छा शक्ति को कमजोर नहीं पड़ने दे
पूरी दुनिया से जो खबरें आ रही हैं उसमें बचाओ ही उपाय है और यह बचाव घर के अंदर रहने में है। अब तक सभी ने अपनी अपनी भूमिका तय कर ली है। बस अब समय आ गया है कि इच्छाशक्ति को कमजोर नहीं पड़ने देना है। तभी हम इस महामारी पर विजय प्राप्त कर सकेंगे
साहस ने हमें पुकारा है समय ने युग ने कर्तव्य ने उत्तरदायित्व ने विवेक ने और पौरुष ने हमें पुकारा है। यह पुकार हमें अनसुनी नहीं करनी है। अपने लिए, परिवार के लिए, समाज के लिए, प्रदेश के लिए और देश के लिए, हम कांटो भरे रास्तों का स्वागत करेंगे और आगे बढ़ेंगे।
जो शक्ति आप में पहले से ही है उसे रचनात्मक उद्देश्यों में करें और शक्ति मिलती रहेगी इस समय सभी देशवासी विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी पूरी शक्ति लगाकर मानव जीवन को बचाने का प्रयास करें। इस समय देश में शक्ति पर चल रहा है असीम शक्ति की बदौलत ही हम इस महामारी से जूझने में सफल होंगे इस समय डॉक्टर नर्स पुलिस और अधिकारी, कर्मचारी, पत्रकार, मैदान में मोर्चा संभाले हुए हैं अब अधिकांश लोगों को केवल घर में रहकर इन सब की मदद करना है।
प्रधानमंत्री से लेकर गांव का पंच तक इस समय कसौटी पर है। जनप्रतिनिधियों को और भी ज्यादा आर्थिक मदद करके संकट से उबारने में देश की मदद करना चाहिए।
21 दिन का लॉक डाउन को सफल बनाना बेहद जरूरी है क्योंकि जिन समृद्ध और अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं वाले देशों ने लापरवाही की है वहां की स्थिति दिनोंदिन भयावह होती जा रही है। ऐसी स्थिति अपने देश में ना आए इसके लिए एक-एक व्यक्ति को योगदान देना है और अपनी इच्छाशक्ति को कमजोर नहीं पड़ने देना है। इस समय पूरी दुनिया की निगाहें भारत देश पर लगी हुई कि किस तरह भारत के लोग एक दूसरे की मदद करके इस महामारी से जूझ रहे हैं अभाव और गरीबी को अवरोध नहीं मान रहे हैं, अपने सामर्थ्य से ज्यादा कार्य कर रहे है इस अवसर पर संत समाज भी मानसिक शक्ति बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।
उद्योगपतियों फिल्म कलाकारों खिलाड़ियों और उन सब लोगों को भी उदार हृदय से दान देना चाहिए जिन्हें इस देश की जनता प्यार करती हैं और जिनकी बदौलत वह शिखर पर पहुंचे आज मातृभूमि का ऋण चुकाने का मौका है। कुल मिलाकर हमने इस महामारी का मुकाबला करने के लिए जिस दृढ़ता से कदम आगे बढ़ाए उसमें अब कमजोर पड़ने का समय नहीं है। बल्कि अनुभव के आधार पर और भी मजबूती के साथ मुकाबला करना है और दुनिया को दिखा देना है वास्तव में भारत ही विश्व गुरु बनने का हकदार है।
क्योंकि वे देश जो अपने आप को दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश मानते थे अब कमजोर पड़ते दिखाई दे रहे हैं। हमारे देश में भी जो कमजोरी आई है वह इन्हीं देशों की नकल करने के कारण आई है। लेकिन हमारे देश में हर बार गिरकर उठने में सफलता पाई है और यही सफलता एक बार फिर पाना है। खड़े होकर खुद को परिवार को समाज को प्रदेश को और देश को बचाना है और कुछ नहीं कर सकते तो हम घर के अंदर तो रहे ही सकते हैं और इसी से देश इस महामारी से जीत जाएगा।