हर-हर महादेव से गूँजे शिवालय

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शेर नारायण त्रिपाठी।

शहडोल। सावन का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए खास माना जाता है। उसमें भी सोमवार का तो विशेष महत्व है। सावन का आखिरी सोमवार होने के कारण शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। सुबह से ही श्रृद्धालुगण मंदिर पहुंच कर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर पूजा अर्चना किए। सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना के लिए भक्त कांवर में जल लेकर मंदिर अभिषेक करने जाते हैं। यह नजारा जिले के लगभग सभी शिवालयों का रहा।

आज सोमवार को सैकड़ों की संख्या में कांवड़ियो का जत्था मां नर्मदा की उद्गम नगरी अमरकंटक से जल लेकर शिव जी को जल चढ़ाने जिले के प्रसिद्ध प्राचीन शिव मंदिर लखबरिया धाम पहुंचा। मंदिर में भक्तों की भीड़ और जय जय महादेव के जयघोष के साथ कांवडियों ने शिव जी का जलाभिषेक किया। हर वर्ष यहां हजारों कांवडिए लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर पैदल यात्रा करते हुये मां नर्मदा का जल अमरकंटक से लेकर लखबरिया धाम पहुंचते हैं और नर्मदा जल से भगवान शिव जी का अभिषेक करते हैं।

जिले के इस प्रसिद्ध प्राचीन शिव मंदिर लखबरिया में सावन के आखिरी सोमवार को सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा। लखबरिया गुफा का अपना महत्व है। जनश्रुति की मानें तो महाभारत काल में पांडवों ने अपने अज्ञातवास का कुछ समय शहडोल जिला के बुढ़ार तहसील के अरझुला गाँव के समीप घने जंगलों के बीच वहां रहते हुए ऐसी गुफा बनाईं जिसमें एक लाख कक्ष थे। इसके बाद उसका नाम लखबरिया पड़ गया। लखबरिया के आसपास खुदाई करने से गुफाओं की श्रृंखला मिली है। आसपास के तालाबों से आज भी ऐसी कई प्रतिमाएं मिल जाती हैं जिनसे यह पता चलता है कि इस क्षेत्र का ऐतिहासिक महत्व है। लखबरिया की गुफाओं का रहस्य जानने आज भी लोग दूर-दूर से शहडोल पहुंचते हैं। लेकिन लगातार अनदेखी के चलते यहां की गुफायें भी मिट्टी में दब गई हैं और महज 4-5 गुफायें ही बची हैं। खास बात यह है कि लखबरिया में कुछ वर्ष पूर्व खुदाई के दौरान भव्य शिवलिंग मिला था जिसके बाद यहां श्रद्धालुओं का आने का सिलसिला शुरू हुआ तो धीरे-धीरे सावन मास में इस स्थान पर कांवडिए भी बड़ी संख्या में पहुंचने लगे।


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