हिंदुओं का महत्वपूर्ण त्यौहार – हनुमान जयंती

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जयति भट्टाचार्य।
हनुमान परम पूजनीय देवताओं में से एक हैं। वह भगवान शिव के अवतार हैं। केसरी और अंजनी की संतान हनुमान श्री राम के सबसे बड़े भक्त कहे जाते हैं। हनुमान को शक्ति का प्रतीक कहा जाता है। हनुमान श्री राम के प्रति अपनी निर्भीक, निस्वार्थ सेवा, विनम्रता एवं समर्पण के लिए एक आदर्श कर्म योगी के रूप में जाने जाते हैं। वह शक्ति के प्रतीक हैं। हनुमान अपनी इच्छा से कुछ भी कर सकते थे, वह बड़े बड़े पत्थरों को उठा सकते थे, पहाड़ों को हिला सकते थे। वह जादूई शक्ति वाले और बुरी आत्माओं का नाश करने वाले देवता के रूप में पूजे जाते हैं।

हनुमान के भक्त उन्हें दिव्य प्राणी के रूप में पूजते हैं। यह दिन ब्रह्मचारी, पहलवान और बाॅडी बिल्डरों के लिए बहुत महत्व का होता है। उन्हें बजरंगबली, पवनसुत, महावीर, बलीबीमा, अंजनीसुत, संकटमोचन, मारूती, रूद्र जैसे अनेक नामों से बुलाया जाता है। हनुमान भगवान शिव के 11वें अवतार हैं। उन्होंने अपना जीवन श्री राम और सीता मैया को समर्पित कर दिया था। हनुमान के भक्त अपने बेहतर भविष्य के लिए उनसे प्रार्थना करते हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार  उनका जन्म श्री राम की सेवा करने के लिए बंदर देवता के रूप में हुआ था। एक बार, हनुमान ने सीता मैया को मांग में सिंदूर भरते हुए देखा। उन्होंने इसका कारण पूछा। मां सीता ने उन्हें समझाया कि श्री राम के लंबे जीवन के लिए वह सिंदूर लगाती हैं। श्री राम की अमरता निश्चित करने के लिए हनुमान ने अपने समस्त शरीर पर सिंदूर मल लिया। इस दिन भक्त मंदिरों में जाकर हनुमान के शरीर से सिंदूर लेकर अपने माथे पर लगाते हैं। कहते हें कि इससे भविष्य बेहतर बनता है।

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ऋषि अंगीरा देवराज इन्द्र के यहां गए थे। उनका स्वागत एक अविवाहित युवती के नृत्य से किया गया। ऋषि की रूचि नृत्य में नहीं थी और उन्होंने ध्यान करना प्रारंभ कर दिया। बाद में इन्द्र ने उनसे पूछा कि नृत्य कैसा लगा। उन्होंने कहा कि वह अपने भगवान का ध्यान कर रहे थे और इस तरह के नृत्य में उनकी कोई रूचि नहीं है। युवती ऋषि से निराशाजनक ढंग से बात करने लगी। ऋषि ने उसे श्राप दिया और कहा कि तुम स्वर्ग से धरती पर चली जाओगी। तुम्हारा जन्म मादा बंदर के रूप में पहाड़ों के जंगल में होगा।
युवती को अपनी गलती समझ में आने लगी और वह पछताने लगी। ऋषि ने तब उसे आशीर्वाद भी दिया और कहा भगवान के एक बहुत बड़े भक्त को तुम जन्म दोगी जो बाद में हमेशा भगवान की सेवा करेगा। बाद में युवती का जन्म धरती पर बंदरों के राजा कुंजर की बेटी के रूप में हुआ। उसका विवाह सुमेरू पर्वत के कपिराज केसरी के साथ हुआ। उसने हनुमान को जन्म दिया। माना जाता है कि भगवान शिव ने हनूमान के रूप में धरती पर जन्म लिया क्योंकि अपने असली रूप में वह श्री राम की सेवा नहीं कर सकते थे। वानर बहुत ,खुश हुए और इस दिन को बहुत धूमधाम से मनाया जाने लगा।
हनुमान जयंति के दिन लोग व्रत रखते हैं, ध्यान लगाते हैं और दान देते हैं। हनुमान चालिसा का पाठ भी करते हैं। यह पहलवानों के लिए बहुत शुभ दिन है। गावों में पहलवानों के लिए प्रतियोगिता का आयोजन होता है।
हनुमान के भक्त इस दिन प्रातः काल मंदिर जाते हैं और हनुमान की मूर्ति पर सिंदूर लगाते हैं, हनुमान चालिसा का पाठ करते हैं, लड्डू का प्रसाद चढ़ाते हैं एवं मंत्रों के साथ आरती करते हैं। पूजा के बाद सिंदूर अपने माथे पर लगाते हैं और लड्डू लोगों के मध्य प्रसाद के रूप में वितरित करते हैं। इस साल 2022 में हनुमान जयंति 16 अप्रैल को मनाया गया।


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