नया साल गुडी पाड़वा
गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र और कोंकण क्षेत्र का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है। महाराष्ट्रीयन हिुंदू इसे नए साल के रूप में मनाते हैं। हमारे देश में गुड़ी पड़वा का पर्व विभिन्न प्रदेशों में विभिन्न नामों से मनाया जाता है।
गुडी़ पड़वा मनाने के तीन कारण हैं। माना जाता है कि ब्रह्मा ने ब्रह्मांड की रचना इसी दिन की थी, श्री राम इसी दिन रावण से युद्ध जीतकर अयोध्या लौटे थे, यह बसंत ऋतु के आगमन को दर्शाता है। इसका एक और महत्व है यह रबी फसलों की कटाई का वक्त है।
महाराष्ट्र में लोग क्षेत्र में मुगल प्रभाव पर शिवाजी महाराज के विजय के लिए उन्हें सम्मान देते हैं। महीराष्ट्रीयन घरों में शिवाजी के सम्मान में गुडी़ फहराया जाता है।
पुराणों के अनुसार सम्पूर्ण ब्रह्मांड भयानक बाढ. की चपेट में आकर खत्म हो गया था। समय का चक्र रूक गया था। बह्मा ने इसी दिन ब्रह्मांड का पुर्ननिर्माण किया और समय के चक्र को फिर से शुरू किया। इसलिए गुड़ी को ब्रह्मध्वज भी कहते हैं। २॰२१ में गुड़ी पड़वा १३ अप्रैल को है।