उत्तर प्रदेश: लाकडाउन में भी गरीबों के साथ विश्वासघात कर रहे है ग्राम प्रधान
शनिवार को जौनपुर के जिलाधिकारी दिनेश कुमार अपने कार्यालय में बैठे हुए थे उनके पास मोबाइल के व्हाट्सएप पर एक मैसेज आता है। जिसमें पचोखर गांव का एक पीड़ित सुभाष निषाद यह कह रहा है कि हमारे गांव के प्रधान पति श्री पहाड़ू यादव ने हमारे खाते से 4900 रुपए निकाल लिए और हमें सिर्फ 400 रूपये दिया। इसमें बैंक मित्र ने भी प्रधान पति की मदद की। जिलाधिकारी दिनेश कुमार ने थाना लाइन बाजार एस ओ को फोन कर प्रधान पति के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और जेल भेजने का आदेश दिया ।
दूसरा मामला आजमगढ़ का है जहां पर जिलाधिकारी नागेंद्र प्रसाद सिंह के पास ऐसी शिकायत आई जिसमें व्हाट्सएप एवं मैसेज के माध्यम से शिकायत प्राप्त हुई की अजमतगढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत सालेपुर व पुनापार के संबंधित ग्राम प्रधान व सहयोगियों द्वारा श्रमिकों से अंगूठा लगवा कर 95% धनराशि प्रतिशत धनराशि हड़पने का प्रयास और धमकी दी जा रही है। जिस पर जिलाधिकारी ने मुख्य विकास अधिकारी को टीम बनाकर जांच करने के निर्देश दिए गए जिसमें पाया गया कि ग्राम प्रधान सालेपुर के ग्राम प्रधान के पति हरी सेवक सिंह वह पुनपार के ग्राम प्रधान भीम चंद व सहयोगी सोनू सिंह द्वारा श्रमिकों के मनरेगा की धनराशि हड़पने व श्रमिकों का उत्पीड़न किया जा रहा था। जिसका संज्ञान लेकर जिलाधिकारी नगेन्द्र प्रसाद सिंह ने ग्राम पंचायत सालेपुर के ग्राम प्रधान के पति हरी सेवक सिंह एवं ग्राम प्रधान पुनापार के ग्राम प्रधान भीम चंद व उनके सहयोगी सोनू सिंह के खिलाफ एफ0आई0आर0 दर्ज कराई। डीएम ने पुलिस अधीक्षक से कहा की उक्त संबंधित ग्राम प्रधानों व उनके सहयोगियों की गिरफ्तारी आज ही कराये। इसी के साथ जिलाधिकारी ने समस्त ग्राम प्रधानों को सख्त हिदायत दी कि श्रमिकों के साथ न्याय करें कार्य में पारदर्शिता रखें , यदि कोई ग्राम प्रधान उक्त कृत्य में शामिल होता है तो सम्बन्धित ग्राम प्रधान के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए।
तीसरा मामला प्रतापगढ़ के मदाफरपुर के शाहपुर गांव का है जहां पर 2 महिलाएं फूला देवी और रामदुलारी ने अपने गांव के प्रधान पति के ऊपर आरोप लगाया कि उसने दोनों महिलाओं को बैंक बुलाया और कहा कि आप लोग अपना पैसा जिसको सरकार ने भेजा है आकर ले लीजिए वहां पर दोनों से 2500 और 3000 के विद्ड्राल फार्म पर हस्ताक्षर करवाया गया परंतु दोनों को ₹100 देकर वापस भेज दिया गया बाद में इन दोनों महिलाओं ने कोहंडौर थाने पहुंचकर मामले की शिकायत की इंस्पेक्टर कबीर दास के बताया कि दोनों महिलाओं ने शाम तक शिकायत वापस ले ली परंतु एस ओ प्रवीण कुशवाहा के मुताबिक मामले की जांच की जा रही है।
यह स्थिति केवल उत्तर प्रदेश के एक दो या तीन जिले की नहीं है यह स्थिति पूरे प्रदेश की है जहां पर ग्राम प्रधानों के द्वारा मनरेगा मजदूरों के पास बुक, एटीएम यहां तक कि हस्ताक्षर किए हुए ब्लैंक चेक भी रख लिए जाते हैं और इसी की शर्त पर उनको काम दिया जाता है यहां तक की काम करने वाले मजदूरों के खून पसीने की कमाई जो सरकार के द्वारा निर्धारित कर दी गई है उसने भी ग्राम प्रधान इस तरह से कमीशन लेता है जैसे वो अपने पास से काम करवा रहा है। इसके अलावा सरकारें जितना आसानी से पैसा भेज कर यह सोचती हैं कि मजदूर के पास पैसा पहुंच गया यह बहुत कठिन है और अव्यवहारिक भी है क्योंकि यह पैसा खून पसीने को लगाकर मजदूरी करने वाला मजदूर अपनी इच्छा के अनुसार नहीं बल्कि प्रधान की इच्छा के अनुसार ही निकलता है।ऐसा बहुत सारे जिलों में देखा गया है और जौनपुर इसकी बानगी मात्र है। सच्चाई यही है कि उत्तर प्रदेश में 90फीसदी प्रधानों का दिन बैंक शाखाओं के सामने स्थित चाय की दुकानों पर बीतता है।जब इस सिलसिले में मजदूरों से बात की जाती है तो मजदूरों का जवाब होता है कि यदि हम सभी ग्राम प्रधान के इस कार्य का विरोध करेंगे तो ग्राम प्रधान हमारा नाम काट देगा और हम काम के लिए तरस जाएंगे अतः हमें ग्राम प्रधान की मनमानियों को सहन करना पड़ता है इसके अलावा बहुत सारे कार्य ऐसे होते हैं जो ग्राम प्रधान के द्वारा होते हैं इसके अलावा गरीब मजदूर अपने ग्राम प्रधान को कतई नाराज नहीं करना चाहता है क्योंकि उसको उस ग्राम प्रधान से कई सारे लाभ लेने होते हैं। प्रतापगढ़ के मदाफरपुर में ऐसा ही हुआ होगा। जहां पर दबाव में आकर महिलाओं ने शिकायत वापस ले ली होगी।ग्राम प्रधानों का भ्रष्टाचार सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है बहुत सारे लोग जो आर्थिक रूप से मजबूत है ग्राम से बाहर प्रदेश में रहते हैं उनके नाम का जॉब कार्ड बनाकर उनको मजदूर दिखाकर उनके खाते में आए हुए पैसे में से एक मोटी राशि कमीशन के रूप में लेकर भी ग्राम प्रधान सरकारी धन को चूना लगा रहे हैं । पूरे देश में कोरोनावायरस जैसी महामारी के चलते उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश के 27.5 लाख मनरेगा मजदूरों के खाते में ₹1000 के हिसाब से कुल 611 करोड रुपए सिर्फ इसलिए भेज दिए ताकि इन मजदूरों को लाक डाउन के दौरान कोई दिक्कत ना हो लेकिन जौनपुर में हुए घटनाक्रम इस बात की तस्दीक करते हैं कि सरकार ने हिंदुस्तान के आम गरीब दबे कुचले और वंचित तबके को ध्यान में रखकर जिस तरह की योजनाओं को बनाया है उसका पालन किस तरह से हो रहा है और जमीन पर उसकी सच्ची हकीकत क्या है?