भाषा के आधार पर भेदभाव करना बंद करे सरकार : आशीष शीतल मुंडा

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डॉ अजय ओझा।

बोकारो, धनबाद जिला से भोजपुरी, मगही को क्षेत्रीय भाषा सूची से बाहर करना अपमानजनक।

रांची, 19 फरवरी। हेमंत सोरेन सरकार द्वारा धनबाद और बोकारो जिला के जिला स्तरीय परीक्षा सूची के क्षेत्रीय भाषा सूची से भोजपुरी और मगही को बाहर करना तथा उर्दू को झारखंड के 24 जिलों में बतौर क्षेत्रीय भाषा शामिल करने के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए भारतीय जनतंत्र मोर्चा के महासचिव श्री आशीष शीतल मुंडा ने अन्यायपूर्ण एवं भेदभाव भरा निर्णय बताते हुए इसे अविलंब वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन कांग्रेस के दबाव में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बोकारो और धनबाद पुराने मानभूम जिला का हिस्सा रहा है। भाषाई आधार पर पुरुलिया को पश्चिम बंगाल में शामिल किया गया जबकि बोकारो और धनबाद बिहार का हिस्सा बने रहे। बोकारो और धनबाद में भोजपुरी तथा मगहीभाषी सैकड़ों बरसों से रहते आ रहे हैं। यहां की भूमि को उन्होंने अपने खून पसीने से सींचा है। झारखंड के निर्माण में उनका योगदान किसी से कम नहीं रहा है। ऐसे में उनकी मातृभाषा का विरोध औचित्य से परे लगता है।
उर्दू देश में कहीं भी बतौर क्षेत्रीय भाषा प्रचलित नहीं है। भारतीय जनतंत्र मोर्चा उनके इस गैरसंवैधानिक कृत्य को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा।

श्री मुंडा ने कहा की आजसू द्वारा भोजपुरी मगही भाषा का विरोध और भाजपा की चुप्पी बहुत आश्चर्यजनक है। भारतीय जनतंत्र मोर्चा भोजपुरी मगही भाषा के मुद्दे पर सभी दलों से उनका मंतव्य जानना चाहता है।

भारतीय जनतंत्र मोर्चा माननीय मुख्यमंत्री से अविलंब भोजपुरी मगही को धनबाद और बोकारो जिला के क्षेत्रीय भाषा सूची में शामिल करने की मांग करता है और अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो इसके विरोध में पूरे झारखंड में अति शीघ्र आंदोलन किया जायेगा।

श्री मुंडा ने कहा कि सभी पार्टियां जाति, भाषा और धर्म के आधार पर अपनी-अपनी रोटी सेंक रही हैं। उन्हें संविधान के दायरे में रहकर जनहित में विचार करना चाहिये। सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिये। हिंदी भाषा पर राजनीति दुर्भाग्यपूर्ण है। परीक्षा सूची में हिंदी कहीं नहीं है। क्षेत्रीय भाषाओं में क्या हिंदी बोलने वाले नहीं हैं ?

श्री मुंडा ने कहा कि पूरे प्रदेश में अपने कार्यकर्ताओं से बात करेंगे कि वह जनता में जाकर भाषाओं पर चर्चा करें और इसका रिपोर्ट जल्द से जल्द दें कि जनता क्या चाहती है। फिर आगे की रणनीति पर हम विचार करेंगे। भारतीय जनतंत्र मोर्चा झारखंड में भाषा और धर्म के आधार पर किसी को विभाजनकारी राजनीति नहीं करने देगा।


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