उच्च शिक्षा के प्रसार में इगनू का महत्वपूर्ण योगदान : राज्यपाल

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डॉ अजय ओझा।

रांची, 13 जनवरी। इग्नू द्वारा स्नातकोत्तर (कला) में पर्यावरण एवं व्यावसायिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के शुभारंभ के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से माननीय राज्यपाल रमेश बैस ने सम्बोधित करते हुए कहा कि सर्वप्रथम, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के कुलपति प्रो0 नागेश्वर राव एवं उनकी पूरी टीम को नैक ए++ ग्रेड हासिल करने के लिए बधाई व शुभकामनायें।
भारत में और विदेशों में उच्च शिक्षा के व्यापक प्रसार में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण स्थान है। सकल नामांकन अनुपात (GER) की दृष्टि से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में इसकी सराहनीय भूमिका रही है।

इग्नू ने अपने परिश्रम से देश में अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया है और इसके विद्यार्थियों ने देश तथा विदेशों में अपनी एक पहचान बनाई है और संस्थान का नाम रोशन किया है।

खुशी की बात है कि आज वर्त्तमान समय को देखते हुए इग्नू स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में पर्यावरण एवं व्यावसायिक स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रारम्भ करने जा रहा है।

हम सब जानते हैं कि पर्यावरण प्रदूषण से आज समस्त विश्व चिंतित हैं और पर्यावरण सुरक्षा आज विश्व के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। आज हमें यह देखने की नितांत जरूरत है कि हम किस प्रकार अपने पर्यावरण की रक्षा करते हुए विकास का मार्ग अपना सकते हैं।

पर्यावरण असंतुलन के कारण बेमौसम अतिवृष्टि, अनावृष्टि, सूखा, बाढ़ में वृद्धि हो रही है, जिसके कारण करोड़ो लोगों का जनजीवन प्रभावित हो रहा है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं, इससे फसल चक्र के अनियमित होने की संभावना है और कृषि उत्पादन पर असर पड़ना स्वाभाविक है। इस ओर भी हम सभी को चिन्तन करने की जरूरत है। हमें पर्यावरण संरक्षण के प्रति अधिक-से-अधिक कार्य करने की ओर ध्यान देना होगा।
यह कार्यक्रम पर्यावरण और व्यावसायिक स्वास्थ्य के मिशन के अनुरूप है जो शिक्षा, अनुसंधान और सेवा के माध्यम से पर्यावरण और व्यावसायिक एक्सपोजर से रासायनिक और जैविक जैसे दूषित पदार्थो द्वारा उत्पन्न मानव स्वास्थ्य पर हो रहे प्रतिकूल प्रभावों को कम करना और रोकना है। इस दिशा में मुझे लगता है कि आपके द्वारा:- मानव गतिविधियों, पर्यावरण व्यवसाय और सार्वजनिक स्वास्थ्य के अंतरसंबंध के संदर्भ में पर्यावरण और व्यावसायिक स्वास्थ्य को परिभाषित करने की भी आवश्यकता है। कार्य स्थलों पर क्या-क्या संभावित खतरे हो सकते हैं, इसको भी देखने की जरुरत है।

  • यह कार्यक्रम विशेष रूप से आम जनता और औद्योगिक कामगार को सैद्धांतिक समझ और हस्तांतरणीय कौशल प्रदान करता है और करेगा, ऐसा मेरा मानना है।
  • श्रमिकों, संपत्ति, पर्यावरण और आम जनता के लिए उत्पन्न खतरों को रोकने के लिए आप लोग क्या बेहतर रणनीतियाँ अपना सकते हैं, इस पर भी आपको ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • संभावित खतरों के लिए परीक्षण और रोग फैलने के बारे में जानकारी वितरित करना और कार्य स्थल पर पर्यावरण की वस्तुस्थिति से अवगत होकर विश्लेषण करने की विधि की रूपरेखा तैयार करने की आवश्यकता है।
  • फिर आपके संस्थान को औद्योगिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन की व्याख्या भी करनी चाहिए।
  • और पर्यावरण स्वास्थ्य के इतिहास के ज्ञान का वर्णन और प्रसार भी करना चाहिए।

“आज भू-गर्भ जल का स्तर भी नीचे जा रहा है। हमें प्रकृति की सुरक्षा हेतु सचेत रहना होगा एवं इस पर तेजी से काम करना होगा।
प्रत्येक संस्थान/संगठन/उद्योगों को पर्यावरण को गंभीरता से लेना चाहिये और पर्यावरण से हो रहे नुकसान को ध्यान में रखते हुए लोगों के स्वास्थ्य पर ध्यान देने का प्रयास होना चाहिए। “

“उद्योगों में काम कर रहे श्रमिकों के स्वास्थ्य तथा उनके कल्याण के प्रति हमे समर्पित रहना चाहिए, इस दिशा में हमारी उदासीनता एक नैतिक अपराध होगी। “

“आशा है कि इग्नू द्वारा शुरू किए गए इस प्रकार के पाठ्यक्रम पर्यावरण और व्यावसायिक स्वास्थ्य प्राकृतिक और निर्मित वातावरण में जैविक, रासायनिक, भौतिक, जैव यांत्रिक और मनोसामाजिक खतरों से जुड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिमों का आकलन कर स्वास्थ्य हितों के साथ रोजगारपरक पाठ्यक्रम भी होगा।
पर्यावरण एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानव स्वास्थ्य पर पर्यावरण प्रदूषण के दुष्प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करते हैं। यह कार्यस्थल से संबंधित स्वास्थ्य और सुरक्षा के सभी पहलुओं पर भी ध्यान केंद्रित करता है।”

“आशा है कि इस पाठ्यक्रम से सामान्य पर्यावरण, कार्यस्थल पर अनुकूल पर्यावरण व संबंधित खतरों और पर्यावरणीय स्वास्थ्य, व्यावसायिक जोखिम प्रबंधन, महामारी विज्ञान, स्वास्थ्य नीति तथा प्रबंधन एवं पर्यावरणीय स्वास्थ्य संवर्धन के विभिन्न पहलुओं के साथ स्वास्थ्य जोखिमों के समाधान की दिशा में विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा सुलभ की जा सकेगी। वर्तमान में कोरोना महामारी की चुनौती से दुनिया वैश्विक स्वास्थ्य संकट का सामना कर रही है और इससे अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। दुनिया भर में लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है। इस तरह के कार्यक्रम निश्चय ही पर्यावरण और व्यावसायिक दोनों में उत्पन्न खतरों के बारे में जागरूकता लाएँगे।”
मुझे बताया गया है कि यह कार्यक्रम मुख्य रूप से पर्यावरणीय जोखिम माप, जोखिम नियंत्रण और व्यावसायिक एवं पर्यावरणीय जोखिमों का स्वास्थ्य प्रभावों के आंकलन पर केंद्रित है। हमारे विद्यार्थी अपने ज्ञान व कौशल से चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और नीति-निर्माताओं के साथ काम करने में सक्षम होंगे और पर्यावरण व लोगों के स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य कर सकेंगे। एक बार पुनः इग्नू की पूरी टीम को इस पाठ्यक्रम को शुरू करने हेतु बधाई। ”


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