प्रयागराज न्यूज़ : लोक धुनों से सजे लोकगीत की प्रस्तुति “लोक बयार”

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मनीष कपूर।

विषय : सांवरी सूरत पर मोहन दिल दीवाना हो गया… संग लोक बयार की मनभावन प्रस्तुति।

लोक धुनों से सजे लोकगीत मनभावन तो होतें ही है साथ ही साथ उद्देश्य परक भी होते है। बगैर लोकगीतों के देश के लोक की संप्रेषणीयता शुन्य हो जाती है और जब नाजुक रिश्तो में किसी बात को रखना हो तो लोकगीतों में उसकी संप्रेषणीयता बेमिसाल हो जाती है। इसकी खूबसूरत बानगी आज शाम 5:00 बजे स्थानीय उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में देखने को मिली जब स्वर्ग रंगमंडल के लोक कलाकारों ने लोक बयार कार्यक्रम की मनभावन प्रस्तुति दर्शकों के समक्ष मंचित की।

भारत की विभिन्न अंचलों एवं बोली बानी की अपनी विशेष धुने हैं जिसमें देवी देवता, शादी विवाह, तीज त्यौहार एवं रीति रिवाज की बानगी मंच पर देखते ही बनी।

लोकगीतों का हमारे समाज, परिवार में संस्कारों के उत्सव में अपना विशेष स्थान है, देवी के पचरा गीत निमिया की डारी माई झुलेली झुलुआ… के साथ कार्यक्रम की शुरुआत के बाद सोहर, बधाई, जनेऊ गीत और विवाह गीतों संग ‘मोरे अंगना के सोन चिरैया, चिरैया मोरी उड़ी उड़ी रे चली… गीत ने श्रोताओं को भावभीनी स्मृतियों से जोड़ दिया।

लोक बयार में गीतों का चयन इस खूबसूरती से किया गया कि बगैर किसी लाग लपेट के दर्शको की निरंतर तालियां कार्यक्रम की सफलता का बयान कर रही थी।

लोकगीतों की कर्णप्रिय ध्वनियां और समापन में होली गीत सांवली सूरत पर मोहन दिल दीवाना हो गया और लोकनृत्य की सतरंगी छटा दर्शकों को लुभाती रही।


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