करोना से डरोना: लॉक डाउन का नौंवा दिन और उसके असर

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डॉक्टर भुवनेश्वर गर्ग

करोना अब करुणा में बदल रहा है। मानव का शोर थम रहा है, परिंदों को सूकून मिल रहा है, लेकिन असुरी ताकतें अभी भी अपनी आदतों से बाज नहीं आ रही हैं। घरों में बंद इन्सांन बेजुबानों के दर्द समझ रहा है, साफ़ सफाई में घर के कामों में मदद कर रहा है, अपने आस पास का वातावरण भी सुधार रहा है लेकिन क्या सब ऐसा कर रहे हैं ? कितने लोगों ने अपने घर, आस पास, के पेड़ पोधों को पानी दिया, नए पेड़ लगाए या बेजुबान जानवरों को भोजन पानी दिया ? नहीं ना। बहुतों ने नहीं किया होगा । कितने लोगों ने अपने घरों में सुख शांति, साफ़ सफाई, पूजा पाठ और व्यवस्थाओं की और ध्यान दिया ? करके देखिये, क्योंकि इस घनघोर प्राकृतिक आपदा में आप तो कर लेंगे, क्योंकि आप ईश्वरप्रदत्त सर्वश्रेष्ठ रचना है लेकिन क्या वो कर पाएंगे जो आप पर निर्भर हैं ?


क्योंकि ईश्वर ने आपको बनाया ही इनके लिए है और अगर आप इनका ख्याल नहीं रखेंगे तो प्रकृति, ईश्वर, अल्लाह, जीसस आपका ख्याल कैसे रखेंगे । सोचिये ? जब असहाय, बेजुबाँ प्राणी दुखी होते हैं तो नियति रूठती है। और कहर बरपाती है । इसलिए सहज रहें, नियम संयम और दृढ़ इच्छा शक्ति से ना सिर्फ अपना, अपने परिजनों, आस पड़ोस, मोहल्ले, शहर, समाज, देश, के लिए निस्वार्थ सोच के साथ सुकर्म करें। जिन्हे जरुरत है, उनके लिए हर संभव सहयोग कर दें, ये सुकर्म किसी ना किसी रूप में आपके पास लौट लौट कर आयेंगे ही। करके देखियेगा ।सकोरों में पानी रख कर, भूखे बेजुबानों, असहाय, मजबूर प्राणियों के लिए भोजन पानी की व्यवस्था कर के ।

डॉक्टर, पुलिसकर्मी, सफाई, अत्यावश्यक सेवाओं वाले देवदूत, इस कठिन समय में भी अपनी जान जोखिम में डाल कर, हर वो जरुरी काम कर रहे हैं जो आप नहीं कर सकते। लेकिन आप भी बहुत कुछ कर सकते हैं, उनका सहयोग करके, व्यस्त रहकर आनंद के साथ सबको तनाव मुक्त रखते हुए, सीमित संसाधनों में बेहतर जीवन और समय बिताते हुए। यही तो है भारतीय सनातन सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय व्यवस्था। सारा विश्व आज भारतीय अध्यात्म, प्रथाओं,वेदों और शिक्षाओं की और लौट रहा है। आप किस और जा रहे हैं ? करोना को करुणा में। इंसान ही बदल सकता है।
और अब यह आप पर निर्भर है कि आप इंसान हैं या नहीं। सोचियेगा ही नहीं, करके भी देखिएगा। लोक परलोक दोनों सुधर जाएंगे। आखिर यही तो है । जीवन का परम सत्य।


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