…ताकि हर जरूरतमंद का पेट भरे
योगेश कुमार सोनी
लॉकडाउन के चलते शासन-प्रशासन व एनजीओ के साथ तमाम सामाजिक संस्थाएं जरूरतमंदों का पेट भरने का काम कर रही हैं। इस तरह के कर्तव्य का पालन करके हम संकट की घड़ी को मिलजुल निकाल रहे हैं लेकिन ऐसे में कुछ खबरें ऐसी आ जाती हैं जिनको सुनकर बेहद तकलीफ होती है। कुछ लोग राशन अपनी जरूरत से ज्यादा इक्कठा कर दुकानदारों को कम दाम में बेच रहे हैं जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। दरअसल मामला यह है कि प्रधानमंत्री की अपील पर देशवासी अपने-अपने स्तर पर गरीबों की भरपूर मदद के लिए आगे आ रहे हैं, जिससे कुछ लोग कच्चा राशन अपनी जरूरत से अधिक एकत्रित कर रहे हैं और शायद ऐसे समय पर हर किसी के मन में इस तरह का लालच आना स्वाभाविक भी है लेकिन अति हर चीज की बुरी होती है। सामाजिक संस्थाओं से एकत्रित कर रोज-रोज कुछ लोग राशन वालों की दुकान पर राशन लाकर बेचते देखे गए। ऐसे लोग राशन की एवज में पैसा मांग रहे थे तो कुछ लोग अन्य चीजें। एक दुकानदार ने घटना की वीडियो बना ली। इसके अलावा सरकार द्वारा वितरित पके भोजन को भी कुछ लोगों ने एकत्रित किया, जितना खाया वहां तक तो ठीक लेकिन उसके बाद वे रेलवे ट्रैक व अन्य कुछ जगहों पर फेंकते देखे गए।
हालांकि कुछ संस्थाओं ने ऐसी घटनाओं के बाद सीख ली कि जांच के बाद ही अब राशन व भोजन वितरित किया जा रहा है। इस संकट के समय पूरा देश एकजुट होकर जिस तरह काम कर रहा है वो वाकई प्रशंसनीय है। लेकिन चंद लोगों द्वारा की गई इस तरह की हरकतों से मानवता पर सवालिया निशान खड़ा हो जाता है। दिल्ली में कार्यरत ‘सेवा एक अनोखा परिवार’ नाम की सामाजिक संस्था अपने हर सदस्य से पचास रोटी एकत्रित करने के लिए कहती है, फिर वो सदस्य दस-दस रोटी पांच घरों से एकत्रित करता है। अगले दिन वे लोग जो रोटी दे चुके होते हैं वे अपने पांच परिचितों से रोटियां लेते हैं। इस तरह यह सिस्टम एक मजबूत चेन की तरह काम कर रहा है। इस ट्रैक पर काम करते हुए यह संस्था पूरी दिल्ली में रोजाना लगभग एक लाख रोटी बांटने का काम कर रही है, जिससे कोई भी भूखा न सोए। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल व उत्तरी पूर्वी दिल्ली से सांसद मनोज तिवारी ने इस संस्था की प्रशंसा करते हुए बाकी संस्थाओं को इस तर्ज पर काम करने को कहा है। दोनों नेताओं ने यह भी कहा कि इस मॉडल को हर राज्य में लागू किया जाना चाहिए। संस्था का मानना है कि किसी भी व्यक्ति को दस रोटी देने में संकोच नहीं होता। इसके अलावा यह संस्था खाद्य पदार्थ की कोई भी चीज लेती है लेकिन धन नहीं लेती।
मौजूदा वक्त में पक्ष-विपक्ष मिलकर काम कर रहा है। सरकारों के साथ कदम से कदम मिलाकर ऐसी संस्थाएं बेहद शानदार तरीके से अपना किरदार निभा रही हैं और शायद हमारे देश के संस्कारों व संस्कृति को दर्शाने का यही सबसे बेहतर समय है। प्रधानमंत्री की अपील पर प्रधानमंत्री राहत कोष में सेलिब्रिटी के अलावा आम जनता भी जमकर धनराशि डाल रही है। जिसकी जितनी क्षमता है वो उतना सहयोग कर रहा है। देश की जनता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हर अपील बेहद गंभीरता से ले रही है। हर देशवासी प्रधानमंत्री पर आंख मूंदकर भरोसा कर रहा है। कोरोना वायरस से पूरी दुनिया की हालात क्या है यह सभी को पता है लेकिन हम आज भी सबसे बेहतर स्थिति में हैं। भारत जैसे अधिक जनसंख्या वाले देश को संचालित करने का अर्थ माना जाता है मानो पचास देश एक साथ संभाल लिए हों।
इसमें कोई दो राय नहीं कि समय बेहद कठिन है लेकिन सरकार ने जरूरतमंदों तक खाद्य पदार्थों की पूर्ति बरकरार रखी है। किसी भी खाद्य सामग्री को महंगा या उसकी कालाबाजारी नहीं होने दी। इसलिए जो लोग अपनी जरूरत से अधिक राशन एकत्रित करके गलत काम कर रहे हैं वो ऐसा न करें क्योंकि हर किसी का पेट भरना आवश्यक है। कोई छह महीने का राशन भर ले और किसी के लिए एक समय की भी रोटी की व्यवस्था न हो, यह गलत है। यदि हम सबकी भलाई सोचकर चलेंगे तो निश्चित तौर पर सबका भला होगा। अबतक सरकार ने किसी भी राज्य में खाने-पीने की समस्या नहीं होने दी है। कुछ विपक्षी दल या नेता जनता को अभी भी भ्रमित करने का काम कर रहे हैं इसलिए किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें और शासन-प्रशासन पर भरोसा रखें। इसके अलावा अपने आसपास पालतू जानवरों को भी कुछ खाने को देने का प्रयास करें। उन परिवारों को यह सलाह है कि जो लोग जरूरतमंदो की मदद नहीं कर पा रहे या यूं कहें कि उन्हें ऐसे लोग नहीं मिल रहे तो कम-से-कम ऐसा करें कि बचे हुए खाने को फेंकने की बजाए किसी जानवर को खिला दें।
(लेखक पत्रकार हैं।)