आखिर बेटी ही कुर्बान क्यों होती है ?

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हमारे समाज में बेटियों ने कितनी ऊंची उड़ाने भरी हैं। किस क्षेत्र में वह आज पीछे है ? लेकिन आज भी समाज का नजरिया नहीं बदला। कुछ घटनाओं से यह साबित होता है। जैसे कि सेब छुरी पर गिरे या छुरी सेब पर कटना तो सेब को ही है। ठीक इसी तरह कुर्बानी देनी है तो बेटी को ही देनी है। इतनी सनसनीखेज घटना कि पढ़ने वाले का दिल दहल जाए लेकिन जन्मदाता पिता के हाथ बेटी को सजा देते हुए नहीं कांपे। इन्हीं हाथों नें एक दिन बेटी को गोद में उठाया था और इन्हीं हाथों में बेटी का कटा सिर लेकर थाने पहुंचा।
उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के टोडरपुर इलाके में एक पिता बुधवार ३ मार्च २॰२१ को चोटी से बेटी का कटा सिर पकड़कर पैदल थाने जा रहा था। पुलिस को खबर मिली और पुलिस ने रास्ते में ही उसे गिरफ्तार कर लिया। एसपी अनुराग वत्स ने बताया कि पिता सर्वेश ने पुत्री का कत्ल कर दिया है। सर्वेश ने पुलिस को जो बताया उसके अनुसार दो दिन पहले उसने बेटी को परिवार के ही एक युवक के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया और बेटी की हत्या कर दी। सर्वेश सब्जी बेचता है और बुधवार को उसने बेटी पर हमला करके फरसे से बेटी का सिर और धड़ अलग कर दिया।
घटना में परिवार का एक युवक भी शामिल था। ऐसे में सजा सिर्फ बेटी को ही क्यों। क्योकि साथ में जो था वह परिवार का ही एक युवक था। उसे तो जिंदा रखना है। उसे मौत नहीं दी जा सकती है क्योंकि वह बेटा जो ठहरा। बेटियां समाज की इस निर्मम सोच का शिकार कब तक होती रहेंगी। आखिर कब तक ?


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