झारखंड की समस्त भूमियों के रैयत का हो स्वतंत्र यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर जिसके आधार पर ही हो खरीद-बिक्री और म्युटेशन : निराला

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डॉक्टर अजय ओझा।

सोशल एक्टिविस्ट दीपेश निराला ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि झारखंड के प्रत्येक रैयत के लिए अब उसकी जमीन हेतु एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर जारी होना चाहिए। जोकि डायरेक्ट आधार कार्ड से जोड़ा जाना चाहिए। जिससे स्पष्ट हो कि किस व्यक्ति के पास कितनी जमीन है
और इसी यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर के जरिए जमीन का खरीद-बिक्री-म्यूटेशन सुनिश्चित होना चाहिए।

वर्ष 2016-17 से जैसे ही झारखंड में यहां की जमीनों का डिजिटाइजेशन हुआ है तभी से तरह-तरह के विवाद नित्य सामने आ रहे हैं और उतनी ही मात्रा में प्रत्येक जिला में अपराध की संख्या बढ़ती जा रही है, जो जमीन विवाद से जुड़ी हुई है।

राजधानी रांची में सबसे अधिक भूमि विवाद और उससे संबंधित अपराध के मामले सामने आ रहे हैं ।

जहां एक तरफ आप घर बैठे http://www.jharbhoomi.nic.in से अपनी जमीन की लगान रसीद ऑनलाइन पेमेंट के जरिए काट सकते हैं और अपने जमीन का खतियान एवं पंजी-2 ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं ठीक उसी प्रकार इसका नकारात्मक पक्ष यह है कि बहुत से जमीनों का आज तक खतियान अपलोड ही नहीं किया गया है जिसका कारण बताया जाता है या तो खतियान उपलब्ध नहीं है या तो खतियान फट चुका है, ऐसी ही स्थिति मूल पंजी-2 के साथ है।

राजधानी रांची में भूमि विवाद से संबंधित जितने केस दर्ज हैं अगर उनका अध्ययन एक इन्वेस्टिगेशन एजेंसी स्वतंत्र रूप से करें तो उनको पता चलेगा कि कैसे निबंधन कार्यालय से लेकर अंचल कार्यालय तक और फिर उसके बाद एलआरडीसी के कार्यालय और अपर समाहर्ता, उपायुक्त एवं कमिश्नर के कार्यालय तक भूमि विवाद के कैसे-कैसे मामले दर्ज हैं और कैसी कैसी भूमि के मामले में विसंगतियां हुई है, साथ ही साथ सिविल कोर्ट में दर्ज मामले और अनुमंडल पदाधिकारी के यहां 144 के मामलों की समीक्षा की जाए तो समझ में आएगा कि कितना बड़ा मामला है भूमि विवाद का पूरे झारखंड में।

वर्तमान समय में तो मूल पंजी-2 से छेड़छाड़ और अभिलेखागार तक में भूमि से संबंधित कागजातों की अनुपलब्धता और फटा होने का मामला सामने आ रहा है, और ऐसे ही मामलों में अधिकतर भू-माफिया सक्रिय दिखते हैं।


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