क्या है सी. एम. योगी का ड्रीम प्रोजेक्ट?

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संदीप मित्र।

लखनऊ, 9 नवम्बर । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मेगा प्रोजेक्ट ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ (ओडीओपी) ने प्रदेश में दम तोड़ रहे परंपरागत उद्योगों में जान फूंक दी है। इस योजना के माध्यम से सभी 75 जिलों के अलग-अलग उत्पादों को नई पहचान दी गई है। इसके लिए उद्योग विभाग ने नीतियां बनाने से लेकर पिछले तीन साल में करीब 26 सौ उद्यमियों को 82 करोड़ 83 लाख की आर्थिक मदद भी की है। इन उद्योगों में 28 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार भी मिले हैं।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम एवं निर्यात प्रोत्साहन विभाग (एमएसएमई) ने सीएम के मेगा प्रोजेक्ट को जब हकीकत में बदलने की शुरूआत की, तो ओडीओपी के 11 हजार उत्पाद अमेजन पर उपलब्ध हैं और 24 करोड़ की कीमत के 50 हजार उत्पादों की बिक्री भी हुई है। इसके अलावा विभाग की ओर से वित्तीय वर्ष 2018-19 में 916 उद्यमियों को 31 करोड़ 34 लाख रुपए की मदद दी गई है। साथ ही इससे 10 हजार 733 लोगों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हुए हैं। ऐसे ही 2019-20 में 1442 उद्यमियों को 43 करोड़ 53 लाख रुपए की आर्थिक मदद दी गई और 15 हजार 253 लोगों को रोजगार भी मिले हैं। वित्तीय वर्ष 2020-21 में अगस्त माह तक 236 उद्यमियों को करीब 7 करोड़ 96 लाख रुपए की मदद दी गई है और 2114 को लोगों को रोजगार भी मिले हैं। 2018-19 में ओडीओपी का कुल निर्यात 28 फीसदी बढ़कर एक लाख 10 हजार करोड़ पर पहुंच गया।
एमएसएमई के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल का कहना है कि ओडीओपी उद्यमियों की समस्याओं का प्राथमिकता पर निस्तारण किया जा रहा है। साथ ही उन्हें तकनीकी रूप से दक्ष करने के लिए अपग्रेडेड मशीनें, ट्रेनिंग और आर्थिक मदद भी की जा रही है।

परंपरागत उद्योगों को लेकर सरकार की मुहिम काबिले तारीफ
वेस्टर्न यूपी चेंबर एंड कामर्स के भूतपूर्व सेक्रेटरी आरके जैन कहते हैं कि औद्योगिक क्षेत्र में हालात में बदलाव प्रदेश में 2017 के बाद देखने को मिले। खासकर परंपरागत उद्योगों को लेकर प्रदेश सरकार ने जो मुहिम शुरू की वह काबिले तारीफ है। सरकार उद्यमियों की समस्याओं का समाधान भी कर रही है, जिससे जिलेवार परंपरागत उद्योगों का उत्पादन बढ़ा है। मसलन, सहारनपुर में वुड कार्विंग उद्योग एक अरसे से पुराने ढंग से काम करता आ रहा है, उन्हें ट्रेनिंग की जरूरत थी। अब सरकार की ओर से ट्रेनिंग के लिए सहायता की जा रही है। इससे उनके उत्पादों में निखार आएगा और कम समय में ज्यादा बेहतर उत्पाद बना सकेंगे।

विश्व में यूपी की अलग पहचान थी
देश में 60 से 70 के दशक में उद्योग जगत में यूपी की अपनी एक अलग पहचान थी। प्रदेश में औद्योगिक नजरिए से सबसे ज्यादा कानपुर, मुजफ्फरनगर सहित अन्य कई जिले में उद्योगों की अधिकतम वृद्धि दर थी, लेकिन बदलते वक्त में यूपी का यह रुतबा छिनता गया और एक के बाद एक उद्योगों पर ताले लगने शुरू हो गए। ऐसे में परंपरागत उद्योगों की सरकारी अनदेखी के कारण हालत और खराब हो गए। जबकि यूपी के अलग-अलग जिलों के उत्पादों की विदेशों में भी अच्छी डिमांड थी। उद्योग संगठन समय-समय पर अपनी बात सरकार तक पहुंचाते तो थे, लेकिन उनका समाधान धरातल तक कम ही दिखता था।


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