वीर सैनिकों की तरह चिकित्सकों को विदा कर रही हैं उनकी पत्नियां

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जैैसे-जैसे कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे चिकित्सकों की मुश्किलें बढ़ती जा रही, अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की जान बचाते बचाते जहां देश में कुछ चिकित्सकों की मृत्यु हो चुकी है, वही कई चिकित्सक और चिकित्सा स्टाफ संक्रमित हो चुका है और ऐसे माहौल में जब चिकित्सक घर से अस्पताल के लिए निकलता है तब उनकी पत्नियां उन्हें वैसे ही विदा करती है जैसे युद्ध भूमि में जाने के लिए सैनिकों की पत्नियां विदा किया करती है।
दरअसल पूरी दुनिया को तहस-नहस कर चुका कोरोना वायरस का कहर बढ़ता ही जा रहा है। संक्रमित मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है देश में लगभग 60,000 हजार तक संक्रमित मरीजों की संख्या पहुंच रही है। वही लगभग दो हजार लोगों की मौत हो गई है। ऐसे में कोरोना योद्धा किसी देवदूत से कम नजर नहीं आ रहे हैं। खासकर चिकित्सा विभाग, पुलिस विभाग, सफाई विभाग और जरूरी सेवा में जुटे अधिकारी कर्मचारी जब घर से निकलते हैं तो पूरा परिवार उनके घर लौटने तक डरा सहमा रहता है। एवं भगवान से सही सलामत रखने की प्रार्थना करता रहता है। आज हम चिकित्सकों की चर्चा करने जा रहे हैं जिनकी मुश्किले लगातार बढ़ती जा रही है। युद्ध में जाने के लिए सैनिकों के लिए पर्याप्त अस्त्र शस्त्र और संसाधन मौजूद रहते हैं लेकिन कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को जब अस्पताल लाया जाता है तब चिकित्सा स्टाफ के लोगों के पास पर्याप्त पीपीई किट भी नहीं होती है और जो चिकित्सक किट पहन लेते हैं उन्हें यह किट 7 या 8 घंटे पहनना पड़ती है और बीच में ना कुछ खा पी सकते हैं और ना ही लघुशंका के लिए जा पाते है और जब किट उतारते हैं तब पसीने से लथपथ हो जाते हैं इस बीच ऐसी अनेक घटनाएं हुई जिसमें चिकित्सकों पर जानलेवा हमले तक हो गए। इंदौर की घटना को कोई भी कभी भी नहीं भूल सकता है जहां पर चिकित्सकों पर जानलेवा हमला हुआ था और उसी इंदौर में एक चिकित्सक मरीजों का इलाज करते करते खुद संक्रमित हो गया और अंत में चिकित्सक की जान नहीं बचाई जा सकी।
बहरहाल हम और आप जहां घर से बाहर निकलने में डरते हैं वहीं चिकित्सक अब अस्पताल से घर आने में डरने लगे हैं। कितने चिकित्सकों ने तो गैरेज मैं ही आशियाना बना लिया है। राजधानी भोपाल में एक चिकित्सक अपनी कार में ही रहने लगे हैं। चिकित्सकों का परिवार इस समय गजब का धैर्य और साहस दिखा रहा है। क्योंकि वह किसी राष्ट्रभक्त सैनिक को युद्ध भूमि में भेजने के लिए जो शुभ का भाव लेकर विदा करता है और लौटने तक ईश्वर से प्रार्थना करता है वह काबिले तारीफ है। सागर में जब चिकित्सकों के दिलो-दिमाग पर कोरोना हावी होने लगा तब एपीआई शाखा सागर के डॉ प्रदीप चौहान ने अपने चिकित्सकों के कुछ प्रोफेशनल और कुछ निजी पलों को एक सूत्र में ब्रोकर एक वीडियो तैयार किया। जिससे कि चिकित्सकों और उनके परिवार के चेहरों पर मुस्कान लाई जा सके। यहां के चिकित्सक शासकीय ड्यूटी के अलावा भी 24 घंटे कोरोनावायरस से संक्रमित मरीज के इलाज के लिए तैयार रहते हैं। इसी तरह भोपाल के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉक्टर भुवनेश्वर गर्ग लगातार लोगों को जागरूक कर रहे हैं पिछले एक माह से वे लोगों को सतर्क और सावधान कर रहे हैं। यही नहीं वे भविष्य में क्या-क्या हो सकता है इसकी दिशा में भी मार्गदर्शन कर रहे हैं। वह सरकार को भी लगातार सुझाव दे रहे हैं जिससे कि भविष्य में यह भयावह बीमारी और अधिक जानलेवा ना हो पाए।
कुल मिलाकर धरती पर डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है। जब भी कोई गंभीर मरीज अस्पताल जाता है तब उसके परिजन डॉक्टर से बड़े विश्वास के साथ यही निवेदन करते हैं कि अब इसकी जान बचाना आपके हाथ में है। तब डॉक्टर बिना किसी अहंकार के कहता है कि मैं पूरी कोशिश करूंगा लेकिन जान बचाना ईश्वर के हाथ में है। आज जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जीवन बचाने के लिए जूझ रही है अधिकांश लोग घरों में कैद हैं
और जो भी जरूरी काम के लिए घर से बाहर निकलते हैं वे बहुत सावधानी और सतर्कता बरतते हैं कि कहीं संक्रमित ना हो जाए वहीं चिकित्सक उस अस्पताल में पहुंचते हैं जहां संक्रमित मरीज ही आना है और उन्हीं के साथ पूरा समय बताते हैं तब यह चिकित्सक उन सैनिकों से कम नजर नहीं आते जो युद्ध भूमि में सबसे आगे मोर्चा संभाले रहते हैं।

ऊपर दिए गए चित्र : डॉक्टर प्रदीप चौहान को अस्पताल जाने के लिए तैयार करती उनकी पत्नी डॉक्टर ज्योति चौहान

देवदत्त दूबे : ब्यूरो प्रमुख ।

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