जिंदा रहने के मौसम बहुत है मगर जान देने की रुत रोज आती नहीं

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देवदत्त दुबे

सुबह-सुबह हाकर दूध वाला, सब्जी वाला, कचरा उठाने वाला, से लेकर व्यवस्थाओं में लगे अधिकारी कर्मचारी और मरीजों की सेवा में लगे नर्स, डॉक्टर के साथ-साथ दिन रात सड़क पर तैनात पुलिसकर्मी, शायद यही गाना गुनगुनाते हुए निकलते होंगे जोकि फिल्म हकीकत में मोहम्मद रफी ने गाया है जिसके बोल हैं जिंदा रहने के मौसम बहुत है मगर जान देने की रुत रोज आती नहीं क्योंकि सेवा में लगे लोगों के कोरोना पॉजिटिव होने की रिपोर्ट आने लगी है।

इंदौर जिला प्रशासन ने देश और कर्तव्य के लिए अपनी जान पर खेलकर भी सभी चिकित्सक राष्ट्र सेवायोजन सुरक्षा के लिए दिन-रात अपनी जान और परिवार की चिंता किए बगैर जन सुरक्षा और जनहित में लगे कर्म वीरों का उत्साहवर्धन करने हेतु भी यही शब्दा कित भाव प्रकट किए गए।
दरअसल पूरी दुनिया इस समय कोरोना महामारी की चपेट में है। एक वायरस से सभी देश मिलकर युद्ध कर रहे हैं लेकिन अभी भी स्थिति समाचार भारत देश में ही पिछले 13 दिनों से लाख डाउन है। अधिकांश देशवासी खुद पाबंदियों का पालन कर रहे हैं और अपनी परिवार की जान बचाने के लिए घरों में ही रह रहे है। बहुत कम लोग ऐसे हैं जो घरों से बाहर निकल रहे हैं और पुलिस को परेशान कर रहे हैं इस महामारी ने उन लोगों का महत्व समझा दिया जिनके बारे में अक्सर शिकायत रहती थी सर्वाधिक शिकायत पुलिस से रहती थी और वही पुलिस आज सबसे बड़ी जरूरत बन गई है। दिन रात सड़क पर तैनात पुलिस लोगों की मददगार बनेगी कुछ पुलिसकर्मी कोरोना से संक्रमित भी होने लगे हफ्तों से पुलिस वालों ने अपने घर परिवार नहीं देखा यही कारण है कि आप अब पुलिस के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बनने लगा है इसी तरह कोरोना संक्रमित मरीजों की सेवा में लगे नर्स और डॉक्टर धरती पर भगवान का अवतार माने जा रहे हैं अपनी जान जोखिम में डालकर लगातार मरीजों की सेवा कर रहे। दुनिया के कुछ देशों में इलाज करते करते डॉक्टर काल के गाल में समा गए, लेकिन महामारी के खिलाफ मैदान में उतरे यह सभी लोग जिंदा रहने से ज्यादा लोगों की जान बचाने में यकीन कर रहे हैं।

बहरहाल इंतजार को भले ही सबसे अप्रिय माना जाता हो लेकिन देशवासियों ने धैर्य और संयम धारण करके इंतजार करना सीख लिया है और जैसे-जैसे लॉक डाउन की अवधि व्यतीत होती जा रही है वैसे वैसे लोगों की कोरोना से लड़ाई आसान होती जा रही है। जो जहां है वह वहीं से इस लड़ाई को लड़ रहा है। पूरा देश एक होकर युद्ध के मैदान में 1 दिन का कर्फ्यू चाहे फिर थाली-ताली बजा ना हो, या फिर बिजली बंद करके दीपक जलाना हो, सभी में देश की एकता दुनिया के लिए अचंभित करने वाली है। कई देशों में लॉक डौन के कारण भले ही उदासी महसूस कर रहे हो लेकिन देशवासी कोरोना से लड़ाई जीतने की उम्मीद में उत्साहित है। उन लोगों की जरूर चिंता सताए जा रही है जो इस लड़ाई में या तो बीमार पड़ रहे हैं या जिनकी मृत्यु हो रही है।कुल मिलाकर पूरी दुनिया और देश की स्थिति को देखते हुए अब लापरवाह लोगों को भी जिम्मेदार हो जाना चाहिए जिन्हें केवल घर के अंदर रहकर देश की मदद करना है।


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