प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खाता खोलने में पीछे रहे निजी बैंक

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डॉ अजय ओझा।

सांसद संजय सेठ के सवाल पर केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री का जवाब।

झारखंड में खुले 1.59 करोड़ खातों में निजी बैंकों ने खोले सिर्फ 1.60 लाख।

33 हजार वेंडर्स को मिले दूसरे चरण में 20 हजार के लोन।

नई दिल्ली, 23 दिसंबर। प्रत्येक घर में एक बैंक खाता अवश्य हो, इस सोच के साथ वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री जन धन योजना लाई गई। इस योजना के तहत हर वयस्क का एक खाता हो, सरकार ने इस दिशा पर तेजी से काम किया। उक्त आशय की जानकारी केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री श्री भागवत कराद ने लोकसभा में दी। रांची के सांसद श्री संजय सेठ ने यह जानना चाहा था कि प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत रांची सहित पूरे झारखंड में अब तक कितने खाते खुले? इस योजना को धरातल पर उतारने में निजी बैंकों की क्या भूमिका रही? अब तक कितने स्ट्रीट वेंडर्स को उनके व्यवसाय के लिए लोन दिए गए?

इन सवालों के जवाब में केंद्रीय राज्यमंत्री ने बता कि प्रधानमंत्री जनधन खाता खोलने में विभिन्न बैंकों से जुड़े बिजनेस कॉरस्पॉडेंट की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण रही। अब तक इस योजना के तहत झारखंड में 1.59 करोड़ खाते खोले गए, जिसमें रांची में एक 11.29 लाख खाते जन धन योजना से खुले। सबसे सुखद बात यह रही कि इन खातों को खोलने में सरकारी बैंकों ने सबसे अधिक बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। 1.59 करोड़ खातों में सिर्फ 1.60 लाख खाते ही 14 निजी बैंकों के द्वारा खोले गए। शेष सभी खाता खोलने में सरकारी बैंकों और उनके बिजनेस कॉरस्पॉडेंस ने बहुत अच्छी भूमिका निभाई।

सांसद के सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल में सबसे अधिक समस्याएं स्ट्रीट वेंडर्स को झेलनी पड़ी। उनका व्यवसाय बंद हो गया। उनकी पूंजी खत्म हो गई। ये सब फिर से अपना व्यवसाय शुरू कर सकें, इसके लिए इन्हें ₹10000 का एक लोन दिया गया। आत्मनिर्भर निधि योजना के तहत प्रधानमंत्री जी ने सभी स्ट्रीट वेंडर्स को यह सुविधा उपलब्ध कराई। इसके तहत प्रथम चरण में संबंधित वेंडर को ₹10000 का लोन दिया जाना है। साल भर के अंदर यदि इसकी वापसी कर देता है तो उसे दूसरे चरण में ₹20000 और तीसरे चरण में ₹50000 तक लोन देने का प्रावधान है। इस प्रावधान के तहत अब तक 26.80 लाख स्ट्रीट वेंडर को ₹10000 का लोन दिया गया जबकि 33, 000 से अधिक को ₹20000 तक का लोन प्रदान किया गया ताकि वे अपना बिजनेस और अपना परिवार सुचारू रूप से चला सके।


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