समय के काल चक्र मे फसा भारतीय कानून व्यव्स्था ?

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संतोष श्रीवास्तव।

जिस देश में न्यायपालिका ने अपने एक रेल मंत्री के हत्यारों को सजा देने में 40 साल लगाएं, अपने प्रधानमंत्री के हत्यारों को सजा देने में 20 साल लगा दिए, 1993 मुंबई बम धमाके के आरोपी संजय दत्त को 5 साल की सजा देने के लिए 20 साल के सुनवाई की गई , हिट एंड रन केस, जिसमें सड़क पर सोते हुए 5 लोगों को फिल्म अभिनेता ने रोक दिया जिसमें से एक व्यक्ति की मौत हो गई उस केस पर अब तक 20 साल बीत जाने के बाद भी कुछ नहीं हो पा रहा है, दादरी विधानसभा क्षेत्र के विधायक रहे महेंद्र भाटी के हत्यारे पूर्व सांसद डीपी यादव को सजा देने में 23 साल लगा दिए गया।

3 अगस्त 1991 को मौजूदा विधायक मुख्तार अंसारी द्वारा मारे गए अवधेश राय की हत्या का 30 साल पुराना केस अभी भी चल रहा है। 2005 में कृष्णानंद राय विधायक की हत्या की गई और उसका केस अभी तक चल रहा है। 2005 में इलाहाबाद शहर दक्षिणी क्षेत्र के विधायक राजू पाल की हत्या हुई, केस अभी तक चल रहा है। 31 अगस्त 2014 को मेरे यहां दो हत्याएं हुई और वह केस अभी तक चल रहा है। 1999 में मऊ जिले में रामदरश राय की हत्या हुई और आरोप लगा उस व्यक्ति पर जो आगे चलकर विधायक बना और फिर ना व्यवस्था जब उसे सजा नहीं दे पाई तो मृतक व्यक्ति के बेटे ने बंदूक उठाकर उसे खुद ही खत्म कर दिया।

उस देश का जब कोई न्यायिक पुरोधा अपने ऊपर गर्व करता है तो मुझे सबसे ज्यादा शर्म उसी पर आती है। 84 साल के फादर स्टेन स्वामी के ऊपर जिस प्रकार की घटिया तरीके सुनवाई करते हुए उन्हें कानूनी तरीके से मारने का काम देश की घटिया न्याय व्यवस्था ही कर सकती है। एनआईए जैसी जांच एजेंसियां अपनी बातों को पुख्ता प्रमाण के तौर पर रख नहीं सकती तो हो किसी से मेडिकल स्थिति बिगड़ जाने की बात को पुख्ता प्रमाण ना होने का प्रमाण कैसे दे सकती हैं? यूएपीए और एनएसए जैसी धाराएं केवल हत्या या आतंकवादी गतिविधियों जैसी गंभीर परिस्थितियों में ही लगाई जानी चाहिए।

लेकिन इस देश में कुछ भी हो सकता है, छोटा राजन जैसे आतंकवादी को समय से एम्स में वेंटिलेटर उपलब्ध कराया जा सकता है और देश की आम जनता को मरने के लिए सड़क पर छोड़ा जा सकता है। इन परिस्थितियों में सैकड़ों हत्याओं और दंगों के आरोपी विधायक को वह सारी सुविधाएं दी जा रही हैं जो मामूली या साधारण केस में फंसाए गए कैदियों को कभी नहीं दी जाती है।

84 साल के एक बुजुर्ग कैदी को एक-एक दिन की अनुमति दी जा रही थी उसका इलाज कराने के लिए वह जो न किसी हत्या का आरोपी था और ना ही उससे हम कोई ऐसी अपेक्षा कर सकते हैं कि वह कोई हत्या कर सकता है। उसे बस सरकार विरोधी होने का दंड मिला। पता नहीं इन कानून की मोटी किताबों में क्या लिखा हुआ है जहां मानवता और नैतिकता जैसी चीजों का कोई उल्लेख से ही नहीं है।

मुझे शर्म आती है इस न्याय व्यवस्था पर, यह व्यवस्था केवल ढीले ही नहीं है बल्कि हजारों अपराधियों को पैदा भी करती हैं। समय से न्याय न दे पाने से पीड़ित परिवार प्रतिशोध के क्षोभ से इतना भर जाता है कि उसे मजबूरन जरायम की दुनिया में अपने कदम रखना पड़ता है और इसी के साथ और बर्बाद करता है अपने और अपने परिवार की जिंदगी को, और उसके साथ जो होता है तो उसका जवाबदेह कोई नहीं होता, न संविधान न कानून न्याय व्यवस्था और ना ही सरकार!

मुझे समझ नहीं आता हर महीने दो लाख से ऊपर तनख्वाह उठाने वाले और लाखों रुपए की सरकारी सुविधाओं का क्षरण करने वाले यह न्यायाधीश आखिर देश की जनता के प्रति अपने कार्य को लेकर गंभीर क्यों नहीं होते। अगर उनके लिए एक आदमी की हत्या केवल एक खबर होती है या केवल एक केस होता है तो फिर इतने मानव संवेदनाहीन व्यक्तियों को ऐसे गंभीर पदों पर चयनित किस आधार पर किया जाता है?

कितने सारे मुकदमे हमारी जबान पर है जहां हमने अपने अध्ययन की बदौलत केवल यह पाया है कि मुकदमों में देरी की वजह से तमाम गवाहों की हत्या होती है और इसके बाद एक मुकदमे से पैदा होते हैं 10-20 मुकदमें, विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में कई गवाहों की हत्या कर दी गई है। उनका भी केस चल रहा है समझ में नहीं आता इस देश की न्याय व्यवस्था आखिर करती क्या है? वह इन तबाह होते परिवारों को, गिरती हुई लाशों को, रोते बिखरते परिजनों को, सूनी मांग और खाली गोंदों को देखकर बिल्कुल भी नहीं पिघलती है क्या?

और ठीक इसके उलट पूरी तरह से दिखाई देने वाले निर्दोष और गलत तरीके से फंसाए गए लोगों के ऊपर घिनौनी से घिनौनी कार्रवाई करके उनकी जिंदगी को बर्बाद करने का काम करती है। मानवाधिकार और कानूनों के लिए लड़ने वाले स्टेन स्वामी के खिलाफ भी इस देश के कोर्ट का कुछ ही ऐसा ही कार्य रहा है। शोषित वर्गों के लिए बनाए गए कानूनों का दुरुपयोग भी नहीं रोक पाती है और ना ही यूएपीए और एनएसए जैसी धाराओं के दुरुपयोग को रोकने में भी यह कुछ खास कर पाती है।अफसोस बस अफसोस।

लेखक, जय हिंद नेशनल पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रवक्ता है।


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