संगीत का चमकता सितारा डूब गया: कांचनमाला

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डॉ अजय ओझा।

श्रीमती कांचनमाला विठ्ठलराव काले का जन्म 15 मार्च 1941, वेलिंग, गोवा में हुआ था। बचपन से ही इन्हें संगीत में बड़ी रूचि थी। विभिन्न जगहों पर इनके संगीत की चर्चा होती थी।

कंचनमाला अपना ज्यादा समय संगीत को देती रहीं। समय बीतता गया और ये संगीत में सन् 1960 से 1965 तक मोगुबाई कुडीऺकर ने म्हार्दोल में संगीत की शिक्षा दी। सन् 1966 से 1969 गोवा आकाशवाणी में ये एक बेहतरीन कलाकार के रूप में कार्य करने लगी। इन्होंने पुणेआकाशवाणी में 50 से भी अधिक प्रोग्राम किए। उन्होंने 1975 साली संगीत अलंकार व कन्या विद्या मंदिर में संगित की शिक्षिका के रूप में पढ़ाने लगी। उन्होंने हमेशा अपना अच्छा प्रदर्शन दिया। सन् 1999 वे सेवा निवृत्त हो गई।

कांचनमाला सरगम प्रेमी मित्रमंडल समिति की सदस्य भी रह चुकी थी। उनको संगीत के लिए ‘महाराष्ट्र राज्य आदर्श शिक्षक’ और ‘लता मंगेशकर’ जैसे विभिन्न पुरस्कार प्राप्त हुए। 17 जून, 2021, हैदराबाद में कांचनमाला का स्वर्गवास हो गया और वह हमेशा के लिए हम सबके बीच से ओझल हो गईं।


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