बिहार की बेटी बनी श्रवण कुमार

Share:

कोरोना काल में एक से एक और दिल दहला देने वाली सच्ची कहानी या खबरे हम पढ़ रहे है। ऐसे में एक मासूम बेटी की हिम्मत की कहानी चर्चा में है। 15 वर्ष की ज्योति कुमारी ने अपने पिता को साइकिल में बैठा कर लगभग 1200 किलोमीटर का सफर पूरा करके घर पहुंची । मार्च महीने में जब पता चला की उसके पिता मोहन पासवान का इ रिक्शा चलाते वक्त चोट लग गया है तो वह पिता की सेवा करने दिल्ली चली गयी । दिल्ली पहुंच के उसको पता चला की पिता चोट के कारण इ रिक्शा नहीं चला पाएंगे अब । पैसे कम होने के कारण मुश्किन आ पड़ी । माकन मालिक किराये की मांग करने लगा। पिता मोहन ने विनम्र निवेदन किया की लॉक डाउन के पश्चात वह कोई नौकरी पकड़कर किराये का पैसा दे देगा पर माकन मालिक घर से बेघर करने की धमकी देने लगा। ऐसे में बिटिया ज्योति ने दिल्ली से अपने गॉव जो की बिहार में है अपने पिता के साथ जाने की सोची। पर लॉक डाउन के कारण साधन मिलना असंभव था । ज्योति की माँ जो की बिहार में अपने चार अन्य बच्चो के साथ रहती है गहना गिरवी रख कर किसी तरह 15000 रूपए भेजवाय। ज्योति ने अपने पिता को बहुत मुश्किलों से मनाया की वह पिता को पीछे बैठा कर साइकिल चला कर वापस गॉव ले जाएगी । पिता मोहन ने सभ कुछ भाग्य विधाता पर छोड़ दिया । बेटी ज्योति पिता को पीछे बैठाये साइकिल से निकल पड़ी । रास्ते में अगर दीखता की कोई समाज सेवी भोजन दे रहा है तोह वह रुक कर भोजन कर लेते पर साथ दिन के इस सफर में ऐसे भी वक्त आया की दो दिन तक उन्हें भोजन प्राप्त नहीं हुआ।
बहरहाल वह अपने पिता को लेकर अपने गॉव पहुंच गयी जहा दोनों को क्वारंटाइन में कम से कम 14 दिन व्यतीत करना पड़ेगा। गॉव में यह बात आग के तरह फैल गयी और आज सभी लोग ज्योति पर गर्व करने लगे है। कुछ जवान ने ज्योति को अपने तरफ से 5000 रूपए भेट किये है। एक सरकारी अफसर ने यह भी कहा है की ज्योति को पैसे से मदद किया जायेगा और उसे कक्षा ९ में दाखिला भी दिया जायेगा।
साइक्लिंग फेडरेशन के निदेशक श्री वि एन सिंह ने ज्योति के बारे में बताया की वह जरूर प्रतिभाशाली है और उससे अपने हुनर को साबित करने के लिए अवसर अवश्य मिलना चाहिए।


Share:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *