और भी हैं मरकज मामले में गुनहगार

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डॉ. रमेश ठाकुर

तब्लीगी जमात मामले में फिलहाल दिल्ली की अपराध शाखा ने एफआईआर दर्ज की है। एफआईआर में मौलाना साद मुख्य आरोपी हैं, होने भी चाहिए क्योंकि मुख्य हिमाकत उन्हीं के द्वारा हुई। सबकुछ जानते हुए भी कईयों की जिंदगी से खिलवाड़ किया। लेकिन, मरकज मामले में सिर्फ मौलाना साद ही गुनाहगार नहीं हैं बल्कि कई और भी हिस्सेदार हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधि और पुलिस-प्रशासन भी उतने की जिम्मेदार हैं जितने मौलाना साद हैं। इनके अलावा प्रदेश सरकार भी इसमें प्रत्यक्ष रूप से संल्पित दिखाई पड़ती है। दरअसल, निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी जमात का मरकज यानी इस्लामिक धार्मिक आयोजन दिल्ली सरकार की स्वीकृति पर ही आयोजित हुआ।

सवाल उठता है कोरोना के कहर के बीच दिल्ली सरकार ने मरकजी के सालाना जलसे को इजाजत दी क्यों? अगर इजाजत देनी थी तो दूसरे मुल्कों से आने लोगों की ठीक से जांच क्यों नहीं की गई। साथ ही पूरे मामले से केंद्र सरकार को अवगत क्यों नहीं कराया? कई ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब देश जानना चाहता है। खैर, मामला अब एक्सपोज हो ही चुका है तो देखने वाली बात यही होगी कि गलती किसकी और उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? इस्लामिक धार्मिक मरकज से जो पूरे हिंदुस्तान की मुस्किलें बढ़ी हैं वह जल्द कम होने वाली नहीं। बेखबर और बेपरवाह जमातियों ने एक नहीं बल्कि 11 राज्यों को मुश्किल में डाल दिया। तब्लीगी जमात में शामिल लोग दिल्ली के बाद कई राज्यों में गए, जहां-जहां गए वहां के लोग भयंकर दहशत में हैं।मालूम हो, पहली से लेकर पंद्रह मार्च के बीच दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तब्लीगी जमात के मरकज में करीब पांच हजार लोग विभिन्न देशों के शामिल हुए थे। कार्यक्रम पहले से तय था ये तो नहीं पता।

पर, ये इस्लामिक धार्मिक आयोजन उस वक्त हुआ जब समूचा संसार कोरोना त्रासदी से बेहाल है। कार्यक्रम संपन्न होने के बाद पांच हजार में करीब तीन हजार लोग हिंदुस्तान के विभिन्न जगहों पर घूमने और अपने रिश्तेदारों से मिलने गए और दो हजार के आसपास लोग मरकज भवन में ही रुके रहे। लाॅकडाउन हो जाने के चलते ये लोग निकल नहीं पाए। इन्हीं में एकाध लोग पहले से कोरोना पीड़ित थे, पर उन्हें शायद पता नहीं था। उनके संक्रमण से धीरे-धीरे दूसरे लोग भी चपेट में आते गए। एहतियात के तौर पर भी किसी ने खुद से प्रशासन को इस बात की जानकारी नहीं दी। मरकज भवन में रहते रहे।पूरे मामले पर मौलाना साद भी चुप्पी साधे रहे। जबकि उनको आगे आकर राज्य सरकार को अवगत कराना चाहिए था। इसके अलावा लोकल पुलिस-प्रशासन भी कुंभकरण की नींद सोता रहा। उनके इलाके की एक बिल्डिंग में दो हजार लोग एकसाथ रह रहे हैं, वह भी विदेशी, फिर भी प्रशासन को खबर नहीं हुई। संभावनाएं ऐसी भी जताई गई हैं कि प्रशासन को भनक थी पर कान में रूई डाले बैठे रहे। इस लिहाज से मौलाना साद के अलावा ये सभी भी बराबर के गुनाहगार हैं। इनपर भी कानूनी कार्रवाई बनती है। केंद्र सरकार को पूरे मामले पर गंभीर होना होगा, जमात में शामिल होने वाले दूसरे मुल्कों के लोग पर्यटक वीजा पर भारत आए थे।

लेकिन वह सभी गैरकानूनी तरीके से धार्मिक आयोजन में शामिल हुए। सरकार को इनके वीजों पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाना चाहिए।बहरहाल, इस मसले को मजहबी और हिंदू-मुस्लिम एंगल से नहीं देखना चाहिए। मसला सभी के स्वास्थ्य से जुड़ा है। जमात में शामिल लोगों की लापरवाही के चलते हजारों-लाखों बेकसूर लोग परेशानी में पड़ गए हैं। तब्लीगी मरकज की घोर हिमाकत ने केंद्र सरकार के लाॅकडाउन से परेशानी को कम करने के प्रयासों को भी गहरा धक्का दिया है। जमात में जुटे लोग हिंदुस्तान के कई शहरों में अब भी छिपे हुए हैं। उनको पकड़ने के लिए ताबड़तोड़ छापेमारी की जा रही है। 157 लोग यूपी में छिपे हैं। उनकी खोज में पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी दिन-रात मस्जिदों और मदरसों की खाक छान रहे हैं। कुछ पकड़ में आए हैं, कई अब भी नदारद हैं। यूपी के बाराबंकी, बरेली, गोंडा, सीतापुर, बलरामपुर और रामपुर से कई दबोचे गए हैं। इन्हें मस्जिदों में मौलाओं ने पनाह दी हुई थी और पहचान छिपाकर रह रहे थे।

जमात में ज्यादातर किर्जिस्तान, कजाकिस्तान, ईरान-ईराक, कुवैत, बांग्लादेश और दुबई के लोग शामिल हुए थे। इनमें से किसी एक ने भी यह कहकर वीजा नहीं लिया था कि उन्हें तब्लीगी मरकज के धार्मिक आयोजन में शामिल होना है, सभी झूठ बोलकर पर्यटक वीजा पर दिल्ली पहुंचे थे।शायद केंद्र सरकार को इस मसले की जांच में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। क्योंकि गुनाह का तरीका और गुनाह करने वाले सामने हैं। देखने वाली बात यही होगी, कार्रवाई के शिकंजे में किसे शामिल और किसे छोड़ा जाएगा। मरकज के आयोजक, शामिल होने वाले लोग, उनको शह देनी वाली जमात, स्थानीय सांसद, विधायक, पार्षद, पुलिस एसएचओ और प्रशासन के अधिकारी सभी समानरूपी आरोपी हैं। कार्रवाई भेदभावपूर्ण नहीं होनी चाहिए, एक जैसी होनी चाहिए। सभी ने सामूहिक रूप से देशवासियों के जीवन को खतरे में डालने का षड्यंत्र रचा है। पूरे मामले में दिल्ली के उपराज्यपाल की तरफ से तत्कालिक कार्रवाई का आदेश जारी हुआ है। दिल्ली पुलिस को एलजी की तरफ से दिशा-निर्देश मिलने के बाद तब्लीगी मरकज के मुख्य आयोजक मौलाना साद व अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। इन सभी पर नियमों के उल्लंघन का आरोप है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)


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