कॉविड 19 (कोरोना) और यूपीपीएससी की परीक्षाएं
अभिषेक आनंद
लखनऊ: एक तरफ माननीय प्रधानमंत्री जी ने कोरोना को *राष्ट्रीय आपदा घोषित* कर दिया है। उत्तर प्रदेश के मुखिया योगीराज आदित्यनाथ महत्तम स्तर तक कोरोनावायरस के फैलाव को रोकने के लिए वृहद स्तर पर लगे हुए है। ऐसे में तमाम विभागों ने भीड़ व लोगों के मूवमेंट को रोककर कोरोना वायरस से लड़ाई में देशवासियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े नजर आ रहे है।
सेना ने मथुरा में भर्ती स्थगित कर दी, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने अपनी आगामी परीक्षा स्थगित कर दी, बिहार लोक सेवा आयोग ने परीक्षा स्थगन की सूचना जारी की, छत्तीसगढ़ में टीईटी परीक्षा स्थगित कर दी गई, MPHJS ने प्री एग्जाम स्थगित किया, HSSC ने ALM एग्जाम स्थगित कर दिया,अधीनस्थ आयोग भी अपनी परीक्षा रोक दी है। इन सभी परीक्षाओं के स्थगन का कारण सिर्फ कोराना वायरस का फैलाव रोकना और देशवासियों को विषम परिस्थितियों में झोंकने से बचाना मात्र है।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 22 मार्च 2020 को खंड शिक्षा अधिकारी हेतु परीक्षा आयोजन का समय रखा है। जिसमें लगभग 5 लाख से अधिक प्रतियोगी परीक्षा में शामिल है। ऐसे विकट हालातों में जंहा मास्क और सेनिटाइजर की कालाबाजारी हो रही है, ऊंचे दामों पर बेचे जा रहे है। वायरस की चपेट में लोग न आ जाए इसके लिए राष्ट्र भर में शासन, प्रशासन दिन रात एक किए है, दूसरी तरफ इतने सारे लोगों को एक साथ बाहर निकलना पड़ेगा। अमूमन हर प्रतियोगी के साथ एक व्यक्ति परीक्षा केंद्र तक जाता ही है, महिला अपने बच्चे भी कभी कभी लाने के लिए मजबूर होती है। लगभग 8 से 9 लाख लोग इस परीक्षा की वजह से पब्लिक ट्रांसपोर्ट से आएंगे जाएंगे और संक्रमण के खतरे से पूरी तरह से एक्सपोजर में होंगे।
चाइना में समय रहते आगाह किया गया था, लेकिन कुछ राजनीतिज्ञों की हठधर्मिता से चाइना में ये वायरस फैला और अनियंत्रित होकर पूरे वैश्विक समाज, अर्थवयवस्थाओं के लिए आज नासूर बन गया। क्या उत्तर प्रदेश आयोग इस परीक्षा को स्थगित न करके ऐसा ही रिस्क भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था के लिए लेना चाहता है!!
परीक्षार्थियों और उनके परिवरजनों में भय का माहौल है। ऐसे में ये परीक्षा स्थगित करना ही न्यायपूर्ण है। आयोग अध्यक्ष एवं प्रदेश के मुखिया जी से अनुरोध है कि उक्त के संबंध में जल्द कोई कदम उठाया जाए ।
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