करोना लॉकडाउन का तेरहवाँ दिन और आपदा अपराध, असुरिय ताकतों के ख़िलाफ़ जागता संगठित होता भारतीय जनमानस और कुछ नयी बातें
अपने यशस्वी प्रधानमन्त्री के एक आव्हान पर अलख जगाता और विश्व को एकजुटता का सन्देश देता विशाल जनसमूह ।
“आलोकित पथ करो हमारा, है जग के अंतर्यामी।
शुभप्रकाश दो, स्वच्छ दृष्टि दो, जड़-चेतन सबके स्वामी।।”
इसी प्रार्थना के साथ, प्रधानंमत्री श्री #मोदीजी के आह्वान पर आस्था और विश्वास के साथ, देश की एकजुटता और सम्पूर्ण मानवजाति के कल्याण की कामना के साथ सारे देश ने श्रद्धा-दीप प्रज्वलित किये ।
क्या अद्भुत अलौकिक दृश्य था रात नौ बजे, सारा आसमां जैसे अपने टिमटिमाते तारे लिए जमीं पर उतर आया हो और हर घर के अन्धकार को अपने दीपों की रौशनी से प्रकाशित कर रहा हो ।
इतने प्रगाढ़ सन्देश को सारी दुनिया ने आत्मसात किया होगा और अब यह भी जानना सम्पूर्ण विश्व के लिए उतना ही जरुरी है कि नारद संहिता हिन्दुकुश का हजारों साल पुराना ज्ञात शास्त्र है। इसके एक श्लोक में इस युग में एक बड़े महारोग के बारे में लिखा गया है। उसमें बताया गया कि सूर्य ग्रहण के पश्चात पूर्वी देश से एक महारोग आएगा। 26 दिसम्बर, 2019 को सूर्य ग्रहण लगा और इसके लगते ही चीन के वुहान से इस महारोग की यात्रा आरंभ हो गई। नास्त्रदेमस ने भी चीन से इस कीटाणु के फैलाव और भारत देश के विश्वसंरक्षक बन कर उदय होने के बारे में लिखा है ।
कहा जाता है कि किसी वर्ष के अंत में शून्य अर्थात जीरो आता है, तो उस काल खंड में कोई न कोई महामारी आई है। लिखित रिकार्ड 1520 से मिल जाता है, जब अफ्रीकी गुलामों के कारण यूरोप में चेचक और प्लेग के कारण काफी लोग मरे थे।1620 में भी इसी तरह का जानलेवा संक्रमण फैला और मानव जीवन को नुक्सान पहुंचा। 1620 में केवल इटली में ही प्लेग के कारण 17 लाख लोग मारे गए थे। बूबानिक प्लेग ने भी फ्रांस में लगभग 1 लाख लोगों की जानें लीं। 1820 में थाईलैंड, इंडोनेशिया और फिलीपींस में हैजा फैला। 1920 में भी स्पैनिश फ्लू फैला था। अब 2020 में अंतिम अंक पुन: शून्य आया है, जिस कारण कोरोना का कहर देखने को मिल रहा है। लेकिन क्या कारण हैं कि यह बीमारी विश्व के धनाढ्य, विकसित, उच्चशिक्षित देशों में तो इतना कहर बरपा रही है लेकिन भारत जैसे गरीब, निम्नशिक्षित, अविकसित भारी भरकम जनसँख्या वाले देश में इसका प्रकोप उतना नहीं है ?
क्योंकि यूरोपीय देशों में मोटापा, सांस की बीमारियां, डायबिटीस, स्मोकिंग और उसकी वजह से होने वाली फेफड़ों की बीमारियां और तनाव बहुत अधिक हैं और भारतीय भूभाग में पैदायशी इम्मुनिटी, रक्त में मौजूद रक्षक आरएनऐ, बीसीजी के टीके का प्रभाव, हर संघर्ष को झेल जाने की कुदरती शक्ति और विषम परिस्थति में खुद को ढाल लेने की क्षमता का बहुत बड़ा नैसर्गिक योगदान है ।
तो चलिए एक बार फिर इस बीमारी के कारक *कोरोना (covid19 ) को समझ लिजिये ।
ये एक वायरस *( VIRUS )* है और ये प्रोटीन मॉलिक्यूल ( PROTIEN MOLECULE ) के रूप में होने की वजह से प्राणी जगत का हिस्सा नहीं है इसलिए ये सजीव भी नही है, कोरोना सीरीज़ का यह सातवां वायरस है और संभवतः चीन द्वारा वुहान की लेब में कृतिम रूप से वाणिज्यिक हथियार के रूप में विकसित किया गया जिस वजह से बाकी वायरस के मुकाबले यह कई गुना बड़ा और खतरनाक है और इसी वजह से इसे औषधियों द्वारा मारा भी नही जा सकता । एंटीबायोटिक्स से वैसे भी वायरसों पर कोई असर नहीं होता, एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया को तो मार सकते हैं क्योंकि वो “सजीव” हैं लेकिन वायरस को नहीं और वायरस का उपचार संयम, तनावमुक्त अवस्था, गरम पेयपदार्थ, पौष्टिक ताजा भोजन, शुद्ध हवा और व्यायाम हैं और यह सब हमारी संस्कृति का हिस्सा भी हैं, संभवतः इसीलिए हमारे देश में इस का प्रकोप बेहद कम है।
इस प्रोटीन मॉलिक्यूल पर एक रक्षात्मक लेयर होती है जो कि चर्बी अर्थात लिपिड्स याने फैट की बनी होती है, ये आवरण साबुन के पानी में पिघलता है, इसलिए साबुन लगाकर हाथ मलने चाहिए, ये आवरण गर्मी से भी पिघलता है, इसलिए गरम पानी गरम पेय पदार्थ इसका सबसे उत्तम उपचार भी है ।
इसे खुली गर्म हवा और भरपूर उजाला बिल्कुल पसंद नही है, इसलिए जहाँ तक हो सके, अपने घरों में भरपूर सूर्य की रौशनी आने दीजिये, AC कूलर की जगह पंखे से काम चलाइये।
यह कोरोना वायरस नाक मुँह के जरिये शरीर में प्रवेश करता है और गले में कुछ समय टिका रह सकता है, इसलिए हर 2/3 घंटे में चाय/गर्म पानी पीते रहना चाहिए। गारगल्र्स अर्थात कुल्ले करते रहना चाहिए ।
हमारी रोज की सामन्य सी चाय में “मिथिलेक्सन्थाईन थिआओब्रोमाईन और थिओफिलाईन” नामक केमिकल कंपाउंड मानव शरीर से इन विषाणुओं को बाहर निकालने में मदद करते है। जिस व्यक्ति की रोग प्रतिकार शक्ति लगभग ठीक ठाक अवस्था में हो तो उस व्यक्ति के शरीर से इन विषाणुओं को बाहर निकाल फेंकने में ये केमिकल्स काफी हद तक काम आते हैं।
अगर आप स्वयं इस वायरस के प्रादुर्भाव से बचकर अपने परिवार, मित्र, आस पास के लोगों को, अपने शहर, अपने राज्य, अपने देश को इस महामारी की चपेट से बचाना चाहते हैं तो लोगों को इस महामारी के दुष्प्रभाव, बचाव, खान पान, रहन सहन, सोशियल डिस्टेंसिंग और चाय में विध्यमान गुणधर्म से इस बीमारी पर प्रभावी उपचार की जानकारी दीजिये और मानवजाति को इस महामारी की आफ़त, विपत्ति से बचाइए।
“संक्रमण से बचिए, घर में रहिये, बार बार साबुन से हाथ साफ कीजिये, दिन में तीन चार बार गरम चाय और जितनी बार हो सके गरम पानी गरम पेय पदार्थों का सेवन कीजिए और इस कोरोना वायरस को मार भगाइये।”
“घर पर रहिये, सुरक्षित रहिये।कोरोना को पराजित कीजिये।”
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