कोरोना महामारी और भीलवाड़ा मॉडल

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डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

कोरोना वायरस के संकट से जूझने में जिस तरह भीलवाड़ा में प्रयास किए गए, यह भीलवाड़ा मॉडल के रूप में उभरकर सामने आया है। शुरुआती दौर में ही भीलवाड़ा के एक निजी अस्पताल के चिकित्सक की मामूली भूल बड़े संकट का कारण बन गई थी। जिस तरह शुरुआती दौर में भीलवाड़ा एपीसेंटर बनकर उभरा और समूचा देश भीलवाड़ा की ओर कातर दृष्टि से देखना आरंभ किया, उसी समय से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की लगातार निगरानी का परिणाम रहा कि स्थानीय प्रशासन के समन्वित प्रयासों से भीलवाड़ा आज बेहतर स्थिति में आ गया है। सुरक्षा मापदण्डों को कड़ाई से लागू करने के साथ ही योजनाबद्ध तरीके से इस संकट से समूचे जिले और प्रदेश को संक्रमित होने से बचाने के कारगर प्रयास किए गए। इसे लेकर मुख्यमंत्री के साथ स्वास्थ्य विभाग, गृह विभाग व आपदा प्रबंधन विभाग और स्थानीय प्रशासन में समन्वय देखने को मिला। आज यह आंकड़ा 27 पर आकर टिक गया है और अच्छी बात यह है कि पिछले दिनों से जिले में एक भी पॉजिटिव प्रकरण सामने नहीं आया है।दरअसल आज जिसे भीलवाड़ा मॉडल कहा जा रहा है वह स्थानीय प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों और आपसी तालमेल का उदाहरण है। भीलवाड़ा कलक्टर राजेन्द्र भट्ट ने स्थिति की भयावहता समझी और भीलवाड़ा के निजी चिकित्सालय के प्रकरण के सामने आते ही 20 मार्च को ही कर्फ्यू लगा दिया। जिले की सीमाओं को सील करना दूसरी बड़ा निर्णय रहा। इसके साथ ही स्थानीय निजी अस्पतालों और होटलोें को अधिग्रहित करने में देरी नहीं की। एक तरह से पूरे जिले को ही कोरेंटाइन कर दिया। लॉकडाउन की सख्ती से पालना सुनिश्चित की।कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने का आइसोलेशन ही रोकथाम का एकमात्र विकल्प है। कमोबेश देश के सभी राज्योें में गंभीर कदम उठाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री जहां वीडियों कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से जिला कलक्टरों से फीडबेक लेने के साथ ही आवश्यक दिशा-निर्देश दे रहे हैं वहीं स्वयं देर रात तक प्रतिदिन उच्चस्तरीय बैठकें कर प्रशासन को सक्रिय व व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद करने में जुटे हैं। सबसे अच्छी बात यह कि राजनीति से ऊपर उठकर केन्द्र व राज्योें में बेहतर समन्वय बनाया गया है।कोरोना वायरस की भयावहता को देखते हुए देश में प्रभावी ढंग से लॉकडाउन है। कोरोना से बचाव के लिए दूसरे के संपर्क में नहीं आना जरूरी है। प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर जिस तरह से 22 मार्च को समूचा देश तालियां, घंटे-घडियाल, थाली-लोटा बजाने लगे वह सामूहिक एकता और समर्पण का उदाहरण है। ठीक इसी तरह से प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की एक आवाज पर समूचे देश में 5 अप्रेल को रात 9 बजे 9 मिनट के लिए घरों की लाइट बंद कर मोमबत्ती, दीपक, मोबाइल की लाइट आदि कर एकजुटता और कोरोना संघर्ष में जुट रहे डाक्टर्स, पेरामोडिकल स्टाफ व वॉलियंटर्स के सम्मान में दीपावली जैसा माहौल बन गया, वह हमारी सामूहिक मानसिकता को दर्शाता है। हालांकि आलोचना-प्रत्यालोचना और पटाखे छोड़ने को अतिउत्साही कदम भी बताया जा रहा है पर खासबात यह है कि आज कोरोना के खिलाफ संघर्ष में सभी एकजुट हैं।कोरोना महामारी ने सारी दुनिया को हिला कर रख दिया है। लगता है नया साल दुनिया के लिए महामारी का प्रकोप लेकर आया और मार्च आते-आते समूची दुनिया को कोरोना महामारी ने अपने गिरफ्त में ले लिया। चीन से आरंभ कोरोना महामारी से इटली, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी, ईरान, टर्की, इंग्लैण्ड आदि में जहां गंभीर स्थिति हो गई वहीं विश्व की महाशक्ति अमेरिका भी आज सबसे गंभीर संकट में आ गया है। अमेरिका में सबसे ज्यादा 3 लाख 11 हजार से अधिक लोग संक्रमित मिले हैं। दुनिया के 194 देश कोरोना की चपेट में आ गए हैं और एक मोटे अनुमान के अनुसार 12 लाख 18 हजार से अधिक संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं और कोरोना वायरस के कारण 65 हजार 841 लोग मौत के आगोश में आ गए हैं। दरअसल लॉकडाउन की सख्ती से पालन के लिए सरकारों को ही नहीं आम आदमी को आगे आना होगा। जर्मनी में तो दो से अधिक लोगों के एकत्र होने पर ही रोक लगा दी गयी है। यह इसकी भयावहता को दर्शाता है।जिस तरह सारी दुनिया कोरोना महामारी से निजात पाने के लिए एकजुट हो गई है और जिस तरह कोरोना ने सारी दुनिया को बेबस कर दिया है, यह सोचनीय है कि सिवाय आइसोलेशन या यों कहे कि सोशल डिस्टेंसिंग के कोई विकल्प नहीं है। जल्दी ही इस महामारी से निपट लिया जाएगा पर अब वैज्ञानिकों के लिए भी नई चुनौती उभर कर आएगी कि इस तरह की महामारी से निपटने का कोई रोडमैप बन सके। समूची दुनिया जिस रणनीति, संवेदनशीलता और गंभीरता के साथ जुटी है और जिस तरह से धरती के भगवान मानव सेवा में जुटे हैं, उसमें हमारी भागीदारी केवल और केवल निर्देशों के पालन और घर में ही अपने परिवार के साथ रहकर सजग नागरिक का दायित्व पूरा करना होगा। हमारी जरा-सी लापरवाही कितना विकराल रूप ले सकती है इसे हमें समझना होगा।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)


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