पहली थमी नहीं, पर भयाक्रांत दुनिया में, करोना की दूसरी लहर की दस्तक !

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डॉ भुवनेश्वर गर्ग  ।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर में करोना वायरस से मरने वालों की संख्या 10 लाख के पार पहुंच गई है जबकि महामारी की शुरुआत से अब तक दुनिया भर में संक्रमित लोगों की संख्या 3.32 करोड़ के पार पहुंच गयी है। शोधकर्ताओं का तो यहाँ तक कहना है कि दुनिया भर में संक्रमितों की संख्या और भी अधिक हो सकती है, क्योंकि अव्वल तो जांचें पर्याप्त संख्या में नहीं हो रही हैं और लाखों मामले तो जांच के दायरे में भी नहीं आ पा रहे हैं।
निकट भविष्य में बढ़ते पॉलुशन, ठण्ड और सड़कों पर उमड़ती भीड़ से गंभीर संक्रमण के खतरे नजर आ रहे हैं, ऊपर से एसिम्पटोमेटिक या माइल्ड संक्रमित मरीजों में एंटीबायोटिक्स और स्टेरॉइड्स के अनावश्यक, गैर जिम्मेदाराना उपयोग से गंभीर संक्रमण और मौतों में बेहद खतरनाक बढ़ोत्तरी देखने को मिलेगी।   
इन डरावने आंकड़ों के बीच, दुनियाभर में करोना वायरस महामारी की दूसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। फ्रांस, नीदरलैंड्स और कुछ अन्य यूरोपीय देशों ने तो संक्रमण को दोबारा फैलने से रोकने के लिए अपने यहाँ सख्त पाबंदियाँ लागू कर दी है। भारत में केरल में भी कोरोना की दूसरी लहर देखी जा रही है और यहाँ फिर लॉक डाउन की चेतावनी दी गयी है। महाराष्ट्र में भी दूसरी लहर की आशंका है। दूसरी लहर के पीछे लोगों का लापरवाही भरा गैरजिम्मेदार व्यवहार, जिम्मेदार है। जैसे जैसे सब कुछ खुलता जा रहा है, वैसे वैसे लोग, मास्क, फिजिकल डिसस्टेंसिंग, साफ़ सफाई और भीड़ के प्रति लापरवाह होते जा रहे हैं और इसी से संक्रमण नए लोगों में, नए क्षेत्रो में फैलने लगा है।
अमेरिका में इस बीमारी ने सबसे ज्यादा लोगों की जान ली है। इसके बाद ब्राजील का नाम है, जहाँ 1,42,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमण और मौत के मामले में भारत भी शीर्ष तीन देशों में शामिल हो चुका है। दुनिया भर में कोरोना वायरस से मौतों का आंकड़ा दस लाख पार होने पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने कहा है कि यह ‘दिमाग सुन्न’ करने देने वाला आंकड़ा है। उन्होंने कहा कि हमें गलतियों से सीखने की जरूरत है।
यही नहीं, यूरोप के जिन देशों ने कोविड-19 के प्रसार को काफी नियंत्रित कर लिया था, वहां अब संक्रमण फिर से बढ़ने लगे हैं। अल्बानिया, बुल्गारिया, चेक रिपब्लिक, मॉन्टेंगरो, नार्थ मेसेडोनिया में अगस्त के मुकाबले अब बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं। दूसरी ओर फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, पोलैंड और नीदरलैंड में तो कोरोना की दूसरी लहर आ भी चुकी है और वहां सख्त पाबंदियां लगाई जा रहीं हैं। लन्दन के दक्षिणी इलाकों में फिर दो हफ्ते का पूर्ण लॉक डाउन लगाया जा रहा है।
इसी साल जनवरी के शुरुआती हफ्ते में कोविड-19 के कारण वुहान में 61 साल के व्यक्ति की मौत हुई थी। चीन के वुहान से शुरू हुआ कोविड-19 दुनिया भर में तेजी से पैर पसारता गया और लाखों लोग दम तोड़ते गए। अब तो हाल यह है कि हर 16वें सेकंड में एक कोरोना मरीज की मौत हो रही है। हर 24 घंटे में दुनिया भर में 5,400 मरीज दम तोड़ रहे हैं।
विश्व में कोविड-19 से जितनी मौतें दर्ज हुईं हैं उनमें अमेरिका, ब्राजील और भारत का हिस्सा 45 फीसदी है। वहीं लेटिन अमेरिकी क्षेत्र एक तिहाई से ज्यादा मौतों के लिए जिम्मेदार है। संकट सिर्फ करोना से होने वाली मौतों का ही नहीं है बल्कि मरीजों की सेवा शुश्रुषा और अंतिम संस्कार को लेकर भी है। जहाँ आम नागरिकों में मौतों का आंकड़ा लगभग २ प्रतिशत है तो वहीँ डॉक्टरो नर्सों में यह आंकड़ा पंद्रह प्रतिशत  से भी अधिक हो चुका है और भारत जैसे देश में, जहाँ विश्व के मुकाबले चिकिसकीय सेवायें बेहद सस्ती हैं, डॉक्टरों नर्सों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और अमानवीय घटनाओं की वजह से, योग्य प्रतिभाशाली डॉक्टरों नर्सों का पलायन और अभाव, आने वाले समय में बेहद गंभीर संकट और चुनौतियां खड़ी करेगा, करोना के कारण मृतकों का अंतिम संस्कार कराना भी स्वास्थ्य कर्मियों और परिवार के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है।
आज वक्त की जरुरत तो यह है कि हर मोहल्ले में एक तय समय पर बुनियादी सुविधाओं, ऑक्सीजन, PPE सुविधाओं युक्त एक एम्बुलेंस में, एक डॉकटर और एक नर्स का प्रावधान किया जाता और ९९% मरीजों को उनके घरों के आसपास ही बिना डर और परेशानी बुनियादी उपचार मिल जाता, बचे हुए सिर्फ १% लोगों को भी बिना थके, डरे या परेशान हुए उसी एम्बुलेंस में ऑक्सीजन लगाकर, सुरक्षित कोविड अस्पताल पहुंचाया जाता! अस्पतालों की भीड़ भी कम होती और संक्रमण का खतरा भी। 
लेकिन विगत छह माह से भय और परेशानी का माहौल बनाया जा रहा है और खाली सड़कों पर अकारण कर्कश हूटर बजती घूम रही एम्बुलेंसें, अपने अपने अस्पतालों का विज्ञापन करती, ज्यादा दिख रही हैं, बजाय लोगों को सुकून देने के! और बेवजह बिना लक्षण वाले सामान्य मरीजों से अस्पताल भरे पड़े हैं, बिस्तर खाली नहीं हैं और भारत सरकार द्वारा ख़रीदे गए छह लाख वेंटिलेटर्स में से मात्र तीस हजार ही उपयोग में हैं। 
आंकड़ों की ऐसी नूराकुश्ती और अनर्गल आदेशों की बाबूगिरी बंद होनी चाहिए और श्रेष्ठ योग्य उपायों पर तुरंत अमल होना चाहिए, ताकि दिसंबर तक इस महामारी, करोना के विकराल होते रूप पर अंकुश लगे और लोगों को राहत मिल सके!
राजनेताओं और समाज के ठेकेदारों को ही नहीं, पुलिस और अदालतों को भी समय रहते, बचे खुचे डॉक्टर्स को पूर्ण सुरक्षा, सम्बल और सम्मान देने दिलवाने की और ध्यान देना चाहिए, ताकि इनका पलायन, डॉक्टरों का अभाव झेल रहे विश्व के धनाढ्य देशों को ना हो और व्यापम और आरक्षण वाले नाकारा लोगों के देश को योग्य डॉक्टर्स समय पर मिलते रहें। 

डॉ भुवनेशवर गर्ग को कोरोना के बारे लोगो तक सही जानकारी पहुंचाने के सम्मानित करते हुए समाज सेवक

डॉ भुवनेश्वर गर्ग  drbgarg@gmail.comhttps://www.facebook.com/bhuvneshawar.garg डॉक्टर सर्जन, स्वतंत्र पत्रकार, लेखक, हेल्थ एडिटर, इन्नोवेटर, पर्यावरणविद, समाजसेवक मंगलम हैल्थ फाउण्डेशन भारतसंपर्क: 9425009303


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