समन्वय बाद की विराट चेतना के प्रतिक है श्री राम —डॉक्टर मदन मोहन मिश्रा
बेनीमाधव सिंह।
समाज में शैव वैष्णव शगुन , निर्गुण स काम निष्काम जातिवाद, भाषावाद, वर्गवाद ,स्थापित होने सेएकता और अखंडता नहीं रह पाती है। जिससे राष्ट्र मजबूत नही रह पाता। भगवान राम ने अपनी पुत्री को शक्ति के रूप मे जनक के यहा भेजकर स्वय दशरथ के पुत्र के रूप मे आकर दशरथ और जनक को जोड दिया। विश्वामित्र को शस्त्र गुरू वशिष्ठ को शास्त्र गुरू, अगस्त को मंत्र गुरू, बनाकर जोड दिया ।परशुराम से माथा नवाकर केवट से चरण धुलाकर निषाद को गले लगाकर सबरी के फल खाकर सुग्रीव को मित्र बनाकर समुद्री प्रदेश के सारे लोगो को एक सूत्र मे पिरो दिया ।उक्त बाते काशी से पधारे डॉक्टर मदन मोहन मिश्र ने सकलदीपा पाटन नवाहन परायण यज्ञ मे व्यक्त किया। आप ने आगे कहा कि किसी भी राष्ट्र के सीमा और संस्कृति की रक्षा सर्वोपरि है। अपने लोगों को श्रेय देकर महत्ता स्थापित कर एकता बनाई जा सकती है। गोरखपुर से पधारे गीता रामायण के राष्ट्रीय कथाकार हेमंत तिवारी ने कहा कि जब हम समाज में निर्बल का सहायक बनकर एकता स्थापित करेंगे तो राष्ट्र गौरव अमित होगा ।भगवान राम बंदरो को अपना भाई ,शबरी को माई ,जटायु को पिता सुग्रीव को अपना मित्र बनाए ।जो भी पति का बंटवारा करता है भगवान राम के द्वारा कहा गया हम पिता के आज्ञा के अनुसार बन मे आए ।यहां पर हमारी पत्नी का हरण हुआ । हनुमान जी भगवान राम के द्वारा निश्चल अभिव्यक्ति के भाव को देखकर यह समझ गये ऐसा करने वाला भगवान के सिवा दूसरा कोई नही होसकता। हनुमान जी ने अपनी विनम्रता प्रदर्शित करते हुए अपने को अज्ञानी बताया अपने जीवन में किसी बात का अहंकार नहीं करना चाहिए श्री राम ने हनुमान जी से कहा तुम्हारे ह्रदय में निवास करके मैं लोगों का कल्याण कर दूंगा हनुमान जी की उपासना से सारे अमंगल दूर हो जाते हैं। औरंगाबाद से पधारे वयोवृद्ध विद्वान ईश्वर पांडे ने सुंदरकांड की बड़ी मार्मिक विवेचना की ।सभा में मुक्तेश्वर पांडे, राम , महेंद्र पांडे ,रामानंद पांडे, प्रयाग सिंह, कृष्ण मोहन पांडे , सभा कई श्रद्धालु उपस्थित थे ।मंच का संचालन राम विनय पांडे ने किया।