श्रमिकों और देश से माफी मांगे कांग्रेस : डॉ. दिनेश शर्मा

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बसों को लेकर की जा रही राजनीति सिर्फ सस्ती लोकप्रियता पाने का हथकंडा : उपमुख्यमंत्री
कोटा में पढ़ रहे बच्चों को उप्र की सीमा तक छोडऩे के लिए किराया मांगना ही कांग्रेस का असली चरित्र 

लखनऊ, 22 मई। उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों को लेकर कांग्रेस के बहाए जा रहे आंसू घडिय़ाली हैं। इस संबंध में उसकी सारी संवेदनाएं सिर्फ सस्ती लोकप्रियता पाने का हथकंडा हैं। एक बार फिर कांग्रेस का दोहरा चरित्र बेनकाब हो गया। इसके लिए वह प्रवासी श्रमिकों और देश से माफी मांगे। 
शुक्रवार को यहां पत्रकारवार्ता में उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने कहा कि एक ओर कांग्रेस प्रवासी श्रमिकों की वापसी के लिए एक हजार बसें देने का दावा कर रही है। कांग्रेस ने बसों की जो सूची दी थी उनमें से कई वाहन बस की बजाय स्कूटर, बाइक और एंबुलेंस के थे। कई बसें अनफिट थीं। दूसरी ओर राजस्थान के कोटा से बच्चों को उप्र की सीमा तक पहुंचाने के एवज में कांग्रेस ने पूरी बेशर्मी के साथ किराया और डीजल का भी पैसा उप्र सरकार से ले लिया। उन्होंने कहा कि इस भुगतान के लिए राजस्थान सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार को पहले 27/28 अप्रैल को चिठ्ठी भेजी और फिर 8 मई को रिमाइंडर भेजा, जिसका भुगतान उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 20 मई को कर दिया गया है।
डॉ. शर्मा ने कहा कि पिछले महीने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फैसला लिया कि कोटा में पढऩे वाले उप्र के बच्चों को सरकार सुरक्षित उनको घर वापस पहुंचाएगी। अनुमान था कि बच्चों की संख्या करीब 10 हजार होगी। उसी के अनुसार वहां बसें भेजी गयीं, पर बच्चों की संख्या करीब 12 हजार थी। बचे परेशान हो गये। बच्चों का कहना था कि यहां तो खाने तक को नहीं मिल रहा है। हम यहां नहीं रह सकते। बच्चों की तकलीफ देखकर उप्र के अधिकारियों ने राजस्थान सरकार से अतिरिक्त बसें मुहैया कराने को कहा। वहां के अधिकारियों ने कहा कि बसें तो हम दे देंगे, पर किराया लेंगे। इसलिए लिखित अनुरोध करें। लिखित अनुरोध पर उन्होंने अतिरिक्त बसों से बच्चों को फतेहपुर सिकरी तक भेजा। यही नहीं हमारी जिन बसों को डीजल दिया उसका भी भुगतान लिया। भुगतान के लिए बार-बार रिमांइडर भी भेजा। 
सवाल यह उठता है कि अभूतपूर्व संकट के इस दौर में जो बच्चे उनके यहां पढ़ रहे थे। फीस और अन्य रूप में उनकी अर्थव्यवस्था को योगदान दे रहे थे, उनको उप्र की सीमा तक पहुंचाने के लिए क्या किराया लेने का तुक था? जो पार्टी ऐसा कर सकती है, वह किस मकसद से बसों की राजनीति की कर रही है यह सबको पता है। जिन बसों की कांग्रेस बात कर रही है, उसके ड्राइवरों तक को खाने की व्यवस्था नहीं की थी। कई बसों में डीजल तक नहीं था। जो पार्टी बसों के ड्राइवरों को खाना नहीं मुहैया करा सकी अगर उनसे हम प्रवासी श्रमिकों को भेजते तो क्या स्थिति होती। हम कैसे खटारा बसों में बच्चों को भेजते? रास्ते में कुछ हो जाता तो किसकी जवाबदेही होती? दरअसल अपने चरित्र के अनुसार प्रियंका वाड्रा की अगुवाई में कांग्रेस सिर्फ सस्ती राजनीति कर रही है। उसे शिगूफा छोडऩे के अलावा कुछ करना भी नहीं है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस को अगर प्रवासी श्रमिकों की इतनी ही फिक्र है तो वह महाराष्ट्र, पंजाब और राजस्थान में जो श्रमिक भूखे और बदहाल हैं उनकी सुरक्षित वापसी के लिए क्या कर रही है?  रही बात उप्र सरकार की तो हमारे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लॉकडाउन के पहले दिन से ही प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षित और ससम्मान वापसी के लिए प्रतिबद्ध हैं। अब तक ट्रेनों और बसों के जरिये सर्वाधिक श्रमिकों की वापसी भी हो चुकी है। यह सिलसिला लगातार जारी है। यही नहीं आने वाले श्रमिकों को उनकी दक्षता के अनुसार काम देने के लिए उनकी दक्षता का ब्यौरा भी एकत्र किया जा रहा है।
पत्रकारवार्ता में मौजूद परिवहन मंत्री अशोक कटारिया ने कहा कि कांग्रेस का मकसद सिर्फ श्रमिकों को गुमराह करना है। कोटा की घटना से वह पूरी तरह बेनकाब हो चुकी है।


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