अभाव मे भी अप्रतिम पराक्रम दिखाते सेनिक लेकिन राजसी सुख भोगते बजूके
कल हमने बात रोकी थी, हमारे देश की बहादुर सेना के अद्भुत पराक्रम और उसकी यशस्वी गौरव गाथा पर और आज सारी दुनिया उनके निडर अदम्य साहस को सलाम कर रही है, भारतीय सेना ने लद्दाख सीमा पर दोगली पीठ पर अँधेरें मे घात करने वाली चीनी सेना का जो हश्र किया है, उसके बाद तो अमेरिका से लेकर, सभी प्रमुख देशो, ख़ास तौर पर चायना प्रताड़ित ताइवान ने भी भारत का पूर्ण समर्थन कर दिया है । ताइवान के प्रमुख न्यूज़ पेपर ने तो वायरल हो रहे प्रभु श्रीराम के ड्रेगन को तीर मारते चित्र के साथ मुख्य पेज पर छापा है कि, “भारत के राम ने चीन के ड्रैगन को धूल चटा दी” लेकिन यह सब इतना आसान नहीं था । मोदी सरकार के लिए, देश के भीतर लगातार फन उठा रहे गद्दारों के बीच, चौतरफा सीमा पर दुश्मनों से लड़ने के लिए। इंडो चायना बॉर्डर पर आज के हालात देखें और एनडीए अटल सरकार में रक्षामंत्री रहे “स्व श्री जॉर्ज फर्नांडीज” के तत्कालीन बयानों को याद करें। जॉर्ज साहब ने कहा था कि हमे पाकिस्तान से ज्यादा खतरा चायना से है, भारत की रक्षा नीति के अंतर्गत चायना, केंद्र में होना चाहिए। जॉर्ज साहब ने इंडो चायना बॉर्डर पर सड़कों के नितान्त अभाव पर भी गहरी चिंता व्यक्त की थी। तब भी सेना और सरकार, आज की ही तरह, चायना समेत राष्ट्र के किसी भी शत्रु से निपटने के लिए, आज की ही भाँति सक्षम थी लेकिन देश के अंदर बैठे चायनीज एजेंटों से निपटने की ताकत, ना तो सेना में थी और न ही दूसरों के रहमो-करम पर जीवित, बैसाखी सरकार में कड़े निर्णय ले पाने की ताकत। फिर वापिस दौर यूपीए का आया। चायना के हौसले सातवें आसमान पर पहुँच गए। इंडो चायना बॉर्डर पर हिंदुस्तान की सुरक्षा को चुनौती देने वाले काम अभूतपूर्व गति से आगे बढ़ने लगे। बड़ी तेजी से चायना ने सीमा का उल्लंघन करते हुए, सड़कों, बंकरों, चौकियों का, और बाकी इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया और भारत के उन सारे इलाकों पर कब्ज़ा भी, जहाँ दुर्गमता, संसाधनों की कमी और प्रशासनिक अक्षमता की वजह से हमारे वीर सैनिक चाहते हुए भी ना तो विरोध कर पाते थे और ना ही पहुँच ही पाते थे, 2004 से 2014 तक ये सबकुछ ठीक वैसे ही चलता रहा जैसे किसी जमाने में स्कूलों में नकल चलती थी। छात्र बेधड़क नकल करते थे और ड्यूटी पर तैनात शिक्षक नकल करने में मदद करते थे। और ऊपर से इनके सत्तामदी मंत्री, बेशरम इतने कि, खुद संसद में अपना कच्चा चिट्ठा कुबूल करते थे, इनकी ही ज़ुबानी, वो भी इनके रक्षा मंत्री एंटोनी द्वारा, साठ साल राज करने, लूटने के बावजूद, सच सुनिए लोकसभा में दिए गए भाषण में, (लिंक संलग्न पिक्चर में है।
कि चीन हमसे बेहतर स्थिति में है, उसका इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर है, उसने सीमा पर सड़कें बना ली हैं और हमारा स्टेण्ड है कि, बेस्ट डिफेन्स है, सीमा को विकसित ही मत करो । इतना शर्मनाक भाषण और आज चीन के साथ युद्ध के संकट काल में इनकी पार्टी, देश और देश की सेना के साथ नहीं, चीन के साथ खड़ी दिखाई दे रही है और इनके पूर्व अध्यक्ष, मोदी से पूछ रहे हैं, मोदी तूने क्या किया? जबकि सारे कब्जे, अतार्किक समझौते इन्होने किये, कब्जे इन्होने होने दिए, विकास सड़के चौकियां इन्होने बनने नहीं दी, ऐसे महान, आजन्म बाल युवा नेता, भाजपा के स्टार प्रचारक, सदी के महान गणितज्ञ का आज जन्मदिन भी है, उन्हें आज शरीर से 50 साल का हो जाने की हार्दिक पटेल बधाई। इन्ही का एक बजूका कहता था कि, पेसे नही हैं, पेसे पेड़ पर नही उगते, इनके पास एक हेलिकोप्टर ख़रीदने के पेसे भी नही थे, पचास साल नानाससुर और सास ने लूटा, वो अलग, दस साल विदेशन बहू ने जो लूटा, उसका हिसाब तो दुनिया भर के अखबार लिखते हैं, भारत के छोड़कर, कि बहू दुनिया की चौथी सबसे धनी महिला है, कैसे बनी? इसका पता भी सबको है, लेकिन कहता कोई नहीं, नाम भी कोई ले ले, तो उसको दिन रात थाने में हाजिरी लगवा दी जाती है, जाते जाते भी सारे बेंक लुटवा गए थे, ये लोग 2014 में । फिर भी मोदी ने पिछले छह साल मे, सीमा पर ही नहीं, देश भर में सड़कों से लेकर पुलों, रेलों के इंफ़्रस्त्र्चर का जाल बिछा दिया है, कांग्रेस शासन में बर्फ में जिन्दा रह पाने लायक एक जोड़ी ड्रेस, जूते के लिए तरसने वाली सेना के पास, आज क्या साजो सामान नही है? लेकिन फिर भी बीस परसेंट ग़द्दारों को दिन रात काम करने वाले ऐसे नेता मे तो खोट नज़र आता है, लेकिन जिन्होंने देश लूटा, हर जगह समस्याएँ खड़ी की और अभी भी कर रहे हैं, उनके लिए कसीदे कढ़ रहे हैं यह पेरासाइट्स!यह भी अब एक निर्विवाद सत्य है कि भारत की सेना और चीन की सेना का कोई मुकाबला ही नहीं है, भारत की सेना जहाँ एक देश की सेना है, वहीँ चीन की सेना एक पार्टी की सेना है, भारत की सेना के पास युद्ध का अनुभव है, जबकि चीन की सेना के पास कोई अनुभव नहीं, भले ही चीनी सेना की संख्या और हथियार ज्यादा हो, पर चीनी सेना, भारतीय सेना के सामने टिक नहीं सकती और ये बात लद्दाख में साबित भी हो गयी और पूरी दुनिया ने इसे देख भी लिया । आज इंडो चायना बॉर्डर पर भारत, सड़क पुल रेल निर्माण सहित सभी तरह के सुरक्षा कार्यो में अभूतपूर्व गति से सक्रिय है। यही चीन के लिए और भारत में बैठे इनके दलालों के लिए हजम ना हो पाने वाला, बेहद उकसावे जैसा कदम है, ऊपर से मुश्किल यह कि चीन के टुकड़ों पर पल रहे यह, पैरासाइट्स, जागरूक जनता और निर्भीक सोशल मीडिया के चलते अराजकता भी नहीं फैला पा रहे हैं । साथ ही अधिकाँश जनता ने, जो देशभक्त भी है, इसके उत्पादों का बहिष्कार करने का निर्णय करके, इसकी आर्थिक कमर तोड़ देने के लिए भी अपनी कमर कस ली है। अन्य किसी मुद्दे पर सरकार की मुखालफत अपनी जगह है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार के साथ खड़े होना और चायना की आर्थिक कमर तोड़ने के लिए उसके हर प्रोडक्ट, एप का बहिष्कार भी सीमा पर बलिदान जैसा ही माना जाएगा, राष्ट्रधर्म में। इसके बाद भी, निजी स्वार्थ और चरणवंदना के चलते, जिनके लिए इस मुद्दे पर सरकार के साथ खड़े होना, सम्भव नहीं हो पा रहा हो, वो चाहें तो मोदी सरकार के विरोध में, सेना और राष्ट्र के साथ ही खड़े हो जायें। सरकार की घनघोर निंदा करते हुए ही सही, सेना के शौर्य का यशगान तो कर ही सकते हैं। आर्थिक मोर्चे पर सरकार की आलोचना करते हुए, स्वदेशी अंगीकृत कर सकते हैं। लेकिन जो हमारे वीर जवानों को रेपिस्ट और सेनाध्यक्ष को गली का गुंडा कहते नहीं थकते थे, उन्हें राष्ट्रधर्म की बातें हजम होंगीं?
*इसलिए राष्ट्र के लिए कुछ कर के देखो, अच्छा लगेगा, क्यूंकि कुछ अच्छा लगने के लिए करना पड़ता है, बैठे ठाले कुछ नहीं होता, अब पचास साल के इन बीस परसेंट लोगों के आजन्म युवा को ही देख लो, करता वो है, लेकिन अच्छा सारी दुनिया को लगता है । “एक बार फिर, देश की वीर सेना को कोटि नमन । मिलते हैं कल, तब तक जय श्रीराम ।

डॉ भुवनेश्वर गर्ग ।
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डॉक्टर सर्जन, स्वतंत्र पत्रकार, लेखक, हेल्थ एडिटर, इन्नोवेटर, पर्यावरणविद, समाजसेवक मंगलम हैल्थ फाउण्डेशन भारत