करोना काल विश्व पर भारी पड़ती भारतीय परंपराएं पर खुद भारत को चोट पहुँचाता उसके अज्ञानी ढीठ लोगों का दुःसाहस

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डॉ भुवनेश्वर गर्ग

जैसे जैसे विश्व इस बीमारी की जद में नेस्तनाबूद होता जा रहा है वैसे वैसे उसकी अकड़ टूटती जा रही है और प्रकृति का मान सम्मान संरक्षण करने की उसकी समझ बढ़ती जा रही है, उसका विश्वास बढ़ता जा रहा है भारतीय जीवन पद्धति और परम्पराओं की तरफ और आज भारत विश्व को राह दिखाता नजर आ रहा है। लेकिन भारत को वैश्विक स्तर पर इतना सशक्त होते हुए भी कई अंदरूनी मोर्चों पर बेहद विरोध झेलना पड़ रहा है, धार्मिक आधार पर एक बहुत बड़ा कट्टर वर्ग ना तो सोसिअल डिस्टेंसिंग का बेहद छोटा लेकिन अभूतपूर्व कारगर उपाय मानने को तैयार है और ना ही वो सेवाशुश्रूषा में अपनी जान जोखम में डाल कर भी जुटे हुए देवदूतों को कोई सम्मान दे रहा है ।

अपितु उन्हें मारने पीटने, थूकने, पथ्थर मारने, पेशाब टट्टी जैसे घृणित कर्म कर रहा है और बिके हुए चंद गद्दार तंत्रों के सामने खुद कानून ने भी अपने आपको अपंग, असहाय, धृतराष्ट्र, बनाकर एकान्तीय बना लिया है। नहीं तो क्या कारण है कि दंगे के अपराधियों के पोस्टर मात्र से विचलित हो जाने वाला, जल्लीकट्टू पर, बच्चो की फुलझड़ी पर, याक़ूब मेनन की फांसी पर रात रात जाग कर स्वतः संज्ञान लेने वाला तंत्र इतने गंभीर दुःसाहसी आपराधिक कुचेष्टाओं पर संज्ञाशून्य हो जाए ? धार्मिक हठधर्मिता की जमात से इतर एक और जमात इस काल में अपना बदरंग रूप दिखा रही है, वो है पदप्रभाव में राजा बने बैठे लोग, कानून से खिलवाड़ करते, व्यवस्था को अपनी चौखट पर आकर मुजरा करने को मजबूर करते वो लोग, जो एक आरक्षण के चलते या एक परीक्षा मात्र पास हो जाने से उस मुकाम पर पहुँच जाते हैं जहाँ से उन्हें सब लोग सिर्फ अपनी प्रजा नजर आते हैं, खुद संक्रमित हैं, लेकिन सिस्टम को झोंक रहे हैं दावानल के मुहाने बुलाकर । एक और जमात है सिफारिशी भ्रष्ट तंत्र की, अँधा बांटे रेवड़ी, चीन्ह चीन्ह देय की तर्ज पर फ्रंट लाइन में खड़े देवदूतों को N 95 मास्क या PPE किट ना देकर अंतिम पायदान पर बैठे VIP को दे रहा है, VIP ले भी दे रहा है और हर कहीं, अखबारों में, चैनलों पर पूरा विश्व इनके छपे फोटो को, इस हरकत को देख कर सवाल पूछ रहा है कि है श्रेष्ठ मानव तुम जो ये सब रक्षा कवच धारण किये हुए हो, उसकी तुम्हे क्या आवश्यकता है ? और तुम्हारे सम्मुख खड़े डॉक्टर नर्से और अन्य सेवाकर्मी जो कि मरीज की जांच करते समय या उपचार करते समय उसके बिलकुल निकट जाने को मजबूर हो जाएंगे, उनके पास तो कोई भी रक्षा कवच नहीं है, तुमने उनके लिए इसकी व्यवस्था क्यों नहीं की ? उन्हें थूक, पथ्थर लतियाने से बचाने वाले सैनिक भी उसके पास नहीं है जबकि तुम तक कोई पहुँच नहीं सकता फिर भी तुम ढेरों अंगरक्षकों से घिरे हुए हो ? हर कोई यह सब देख  रहा है, देश लज्जित हो रहा है, विश्व हंस रहा है लेकिन इन्हे कोई फर्क नहीं पड़ रहा कि किसे कितनी जरुरत है और आवश्यकता और मज़बूरी में क्या अंतर है और उनका धर्म क्या है ? चौथी जमात है पुत्रप्रेम या परिवार प्रेम की, वो इतने गंभीर संकट काल में भी व्याभिचार करता, हर मदद को लूटता नजर आ रहा है, देश का सबसे बड़ा वंश आज इस जमात में सबसे आगे खड़ा पूरी तरह एक्सपोज हो चुका है और व्यबस्थाओं पर आक्षेप लगाता हुआ, आज वो प्रधानमंत्री राहत कोष पर भी अपनी कुत्सित नजरें गड़ाए हुए है ।

इतनी सब विसंगतियों बावजूद भी, अगर इन जमातियों को छोड़ दें तब भी, पूरा देश अपने वीर सेनापति की अगुआई मैं इस बीमारी से लड़ने के लिए एकजुट है, समर्पित है, अपने कर्म, राष्ट्र और परंपराओं के प्रति और यही तो इस देश की, हिन्दुकुश की खासियत है और यही आज सारे विश्व को अपनी और आकर्षित कर रही है, फिर चाहे वो हाथ जोड़कर नमस्कार करना हो, या  झुक कर प्रणाम करना, सूर्य नमस्कार करना हो या योग मेडिटेशन प्रणायाम करना,  शुद्ध सात्विक ताजा भोजन करना हो या फलाहार उपवास करना। आज विश्व भर में फैले कोरोना वायरस के कहर ने लोगों को हिन्दू संस्कृति में निहित मान्यताओं की ओर उन्मुख किया है। वे जाने-अनजाने भारतीय संस्कृति से वह सबक ले रहे हैं, जिनके माध्यम से उन्हें लगता है कि वे स्वयं को इस भयानक संक्रमण से बचा सकते हैं। कोरोना के चलते आज स्थितियां ऐसी बनी हैं कि लोग अपने सारे काम छोड़कर घरों में बैठने के लिए मजबूर हुए हैं। प्राथमिक रूप से इसका जो इलाज निकलकर आया है वह है सामाजिक दूरी, प्रसन्न, फिट और तनावमुक्त रहने की जरुरत । श्रीश्री रविशंकर भी ऐसे मौके पर कहते हैं- ‘हर मुश्किल के बाद हम पहले से अधिक मजबूत और सार्मथ्यवान होकर निकले हैं। अभी हमारे गलत कार्यों से तंग आ चुकी प्रकृति चाहती है कि हम कुछ समय विश्राम में रहें।’इसलिए चिंतित नहीं सतर्क रहें, सुसुप्त नहीं फिट रहें और खुद पर, अपने कर्मों पर और अपने ईश्वर पर भरोसा कर भविष्य के लिए तैयार रहें, कल किसी ने नहीं देखा लेकिन यही तो शास्वत सत्य है कि जीत तो आखिर कार सत्य की, निष्ठा की, राष्ट्र और धर्म परायणता की ही होती है और यही है खासियत इस सर्वश्रेष्ठ जमात की, देशभक्त मानवता के रक्षक श्रेष्ठ मानव की, और इसीलिए तो ईश्वर, खुदा, जीसस ने तुम्हे मानव बनाया, नहीं तो कोई और योनि में  भी जनम मिल सकता था। सोचिये किस जमात में हैं आप ।  

जमात जमात से इतर है, 

जमात जमात से भिन्न।

एक जमात धर्म, पुत्रमोह की, 

दूजी इंसानियत से खिन्न ।।


(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)


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