चर्चित अधिवक्ता अनिल सिंह बिसेन की इन किताबों को पढ़कर आप भी बन सकते हैं कानून के जानकार

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सौरभ सिंह सोमवंशी।

अनिल सिंह बिसेन की ही याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ओबीसी से यादवों को बाहर करने का आदेश दे दिया था।

प्रयागराज । 3 अक्टूबर 2013 का दिन था उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और पुलिस की भर्ती चल रही थी इलाहाबाद हाईकोर्ट का एक फैसला आता है जिसमें न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि पिछड़ा वर्ग की वे जातियां जिनका सरकारी नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व हो चुका है उनके आरक्षण पर रोक लगा दी जाए। पूरे प्रदेश में हड़कंप इसलिए मच गया क्योंकि यादव बिरादरी समेत पिछड़ा वर्ग व दलित समुदाय की तमाम जातियां इसकी चपेट में आने वाली थीं। याचिका दायर करने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता अनिल सिंह बिसेन ने तर्क दिया था की ओबीसी व एससी के कुछ लोगों का सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व लगभग 60% हो गया है, उन्होंने अपने तर्कों के पक्ष में तमाम दस्तावेज भी इलाहाबाद हाईकोर्ट को उपलब्ध कराए थे। कोर्ट ने यह फैसला उत्तर प्रदेश में उस समय होने वाली पुलिस भर्ती के परिप्रेक्ष्य में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16 (4) तहत दिया था।

इसी तरह से 2012 जनवरी में बसपा सरकार के दौरान निर्वाचन आयोग ने विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बसपा के चुनाव चिन्ह हाथी को ढकने का आदेश दे दिया था,अनिल सिंह बिसेन ने एक याचिका दाखिल कर इलाहाबाद हाईकोर्ट से हाथी को अपनी आस्था का विषय बताया और निर्वाचन आयोग के फैसले का विरोध किया वहीं बहुजन समाज पार्टी इस मामले का राजनीतिक लाभ लेना चाहती थी, उसके निशाने पर तत्कालीन केंद्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस निर्वाचन आयोग था शायद इसलिए अनिल सिंह बिसेन के ऊपर याचिका को वापस लेने का दबाव बनाया गया परंतु अनिल सिंह बिसेन ने याचिका वापस नहीं ली।इसी तरह से इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता अनिल सिंह बिसेन के तर्कों को सुनने के बाद अदालत ने उत्तर प्रदेश राज्य सरकार को इस बात के लिए नोटिस जारी की की उत्तर प्रदेश में राज्य के तमाम कर्मचारियों को 50 लाख तक के बीमा कवर की योजना है। परंतु परिषदीय शिक्षकों के लिए मुफ्त इलाज की व्यवस्था क्यों नहीं है?बाद उसी याचिका का प्रभाव था कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परिषदीय शिक्षकों के लिए भी मुफ्त इलाज की व्यवस्था की घोषणा की। जिससे प्रदेश के करीब सारे छह लाख परिषदीय शिक्षक लाभान्वित होंगे। इसी तरह के सैकड़ो मामले हैं जिनके कारण इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता अनिल सिंह बिसेन लगातार चर्चा में बने रहते हैं।उत्तर प्रदेश सरकार के शीर्ष सिंहासन तक को प्रभावित करने की क्षमता रखने वाले कानून के हर क्षेत्र के माहिर अनिल सिंह बिसेन जो कानून की कई किताबें लिख चुके हैं उनकी एक किताब आई है “मैनुअल आप माइंस एंड मिनरल्स” यह किताब हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में है। इसके पहले उनकी एक किताब क्रिमिनल मेजर एक्ट (दंड विधि संहिता) भी आ चुकी है।भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश सह संयोजक व अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता उत्तर प्रदेश शासन अरविंद सिंह के अनुसार दोनों किताबें शानदार हैं आसान भाषा में लिखी गई है जो अधिवक्ताओं छात्रों व कानून की जानकारी रखने वाले सभी लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि यह किताब इतनी आसान भाषा में लिखी गई है कि ऐसा व्यक्ति भी इसे समझ सकता है जो कानून की पढ़ाई ना किया हो। अनिल सिंह बिसेन ने अपनी जनहित याचिका के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों को लाभान्वित किया है अनिल सिंह बिसन की किताब का प्रकाशन इलाहाबाद ला इंपोरियम ने किया है।


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