सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला- अगर पति है बेरोजगार तो श्रम करके करे परिवार का भरण पोषण

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अजय विश्वकर्मा

देश की शीर्ष न्यायलय ने आज एक महत्वपूर्ण फैसला पत्नी व बच्चों क़े भरण पोषण को लेकर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि पुरुष /पति ह्रष्ट पुष्ट है तो उसको श्रम करके भी कमाना चाहिए तथा अपनी पत्नी व बच्चे का भरण पोषण करना चाहिए। यदि पति ठीक है और श्रम कर के कमा सकता है तो उसे अपनें परिवार का भरण पोषण करना चाहिए ना कि वो बेरोजगारी का बहाना देकर बच सकता है. स्वयं को बेरोजगार बता कर अपने दायित्व व कर्तव्ययों क़े निर्वहन से नहीं बच सकता ।

अदालत में न्यायामूर्ति दिनेश माहेश्वरी व बेला एम त्रिवेदी नें ये निर्णय दिया। शीर्ष न्यायलय के इस फैसले से उन महिलाओं को जरुर राहत मिलेगी जिनके पति अदालत में अपने को बेरोजगार बताकर खर्चा देने से बचना चाहते हैं।

न्यायालय नें इस मामले को लेकर कहा कि यदि 125 दंड प्रक्रिया संहिता में दिए गये प्रावधान में कोई बाधा नहीं है तो पति अपने दायित्व से नहीं बच सकता अपने परिवार के भरण पोषण के लिए श्रम करना चाहिए। वहीं कोई अपनें परिवार के भरण पोषण से बचने के लिए बेरोजगारी का हवाला नही दे सकता है ।


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