करोना कालखंड के पांचवे अध्याय का बारहँवां दिन, बीमारी की रेस में आगे निकलता देश
भारत ने इस अज्ञात बीमारी में, एक दिन में सबसे ज्यादा मरीजों वाला आंकड़ा पार कर लिया है और अब वो विश्व में चौथे नंबर पर आ गया है। विगत चौबीस घंटे में ग्यारह हजार से अधिक संक्रमित मरीज मिले है। एक दिन में सबसे अधिक और इनमे से अधिकाँश दिल्ली और मुंबई में मिले हैं, जाहिर है, इस गति से यह देश, बहुत जल्द विश्व में पहले नंबर पर भी पहुँच जाएगा क्योंकि इस देश में इंफेक्शन फैलाने वाले मूर्ख तो हैं ही। वोट बैंक के लिए उन्हें सपोर्ट करने वाले नेता भी हैं और जिन्हे इस बीमारी से लड़ने, नीतियां बनाने में सबसे आगे होना चाहिए था, वो प्रमुख डॉक्टर, उज्जड दम्भी नेताओं के सामने हाथ बांधें खड़े है और उन नेताओं को चला रहे हैं। वो बाबूसाब जिन्हे डॉक्टरी, बीमारी और महामारी की ना तो समझ है और ना ही मरते लोगों से कोई संवेदना। उनकी सोच समझ, हर दिन बै सिर पैर की नई नई नीतियां लागू कर, सर्वत्र सर्वनाश को आमंत्रित कर चुकी है। खुद को दुनिया का सबसे बुद्धिमान साबित करने वाली यह जमात, अब अपने अपने “नीरो” को, सब कुछ भगवान् भरोसे छोड़, अपनी ऐशगाह में लेट, चैन की बंशी बजाने की राय दे चुकी है।
और कुछ इसी तरह, अभी तक किसी से ना डरने का लोमड़िय क्षद्मासन करते, और कोरोना हमारा कुछ नही बिगाड़ सकता, कहने वाले ढ़ोंगी, (तीसमारखाँ तो यूँ सद्दाम, लादेन भी थे, पर कहाँ और किस गंदगी में मरे ?), अब इस अदृश्य से ना दिखने वाले कीटाणु से बचने के लिए, मोदी सरकार से गुहार लगाते नजर आ रहे हैं, चंद महीनो पहले यही सब लोग, कागज नहीं दिखाएँगे, कहते हुए, देशभर में चिल्ला चिल्ला कर मोदी को गालियां दे रहे थे और उनके मरने की दुआ मांग रहे थे, और वहीँ जब खैरात के पांच सो रुपये इनके खातों में डले, तो कागज हाथों में लिए, बैंकों के बाहर लाइनें लगाते नजर आये थे, जबकि मोदी लगातार इनके और इनके बच्चों के विकास, उत्थान और सुखी जीवन के लिए प्रयास कर रहे हैं। वो इनके बच्चो के, एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में कम्प्यूटर देखना चाहते हैं । विगत सौ सालों में और किस नेता ने इन्हे गरीब, अनपढ़ बनाये रखकर, उल्लू बनाने के सिवा, इतना स्पष्ट मत दिया है और उसका क्रियान्वन भी करके बताया है? लेकिन दिल्ली मुंबई के महामक्कार अराजक नेता, आज भी इन्हे बरगलाकर और इनके जमातियों के साथ दामादिया व्यवहार करके, पूरे देश को गृहयुद्ध में धकेलने के सारे धत्कर्म कर चुके हैं और, ख़ास तौर पर, दिल्ली और मुंबई में तो इन्होने मौत को हर घर, ठहाके लगाने पहुंचा दिया है, भ्रष्टाचार के चलते इन शहरों में जांचें भी बहुत कम हो रही हैं और जो भी हो रही हैं, उनमे से हर तीसरा संक्रमित निकल रहा है, इसके क्या मायने हैं? करोना संक्रमण पर विशेषज्ञों की राय स्पष्ट है, कि अगर हर तीसरा संक्रमित है, तो इसका मतलब है कि पूरा शहर अगले दो महीनों में संक्रमित हो जाएगा, अगर यह भी मान लें कि खोजी पत्रकारों द्वारा दिखाए गए चंद स्टिंग ऑपरेशन सही भी हैं और कुछ बेहद लालची, धनपिचास अस्पताल मालिक, निरोगी संपन्न लोगों की जांच पॉजिटिव बताकर उनसे धन उगाही करने उन्हें अस्पतालों में भर्ती भी कर रहे हैं, तो भी संक्रमण के ये आंकड़ें बेहद चिंताजनक हैं और जिस तरह से मुंबई, दिल्ली के अस्पतालों के अन्दर के दृश्य आज सारे मीडिया पर दिख रहे हैं, उनको देखकर स्थिति की भयावहता का अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है, किसी की भी रूह कँपाने और विश्वास डिगाने के लिए, काफी हैं ये दृश्य।
और इसीलिए पिछले कई दिनों से हम लगातार चेता रहे हैं, कि करोना के चलते, दिल्ली मुंबई में हालात बेहद ख़राब हैं और आज सारे चेनल्स भी इन तकलीफ़देह दृश्यों को लगातार दिखा रहे हैं, उधर फ़र्ज़ी आँकड़ों और मौतों को छुपाने के षड्यंत्र की, केजरीवाल सरकार की पोल, उनकी दिल्ली की ही मुंसीपाल्टी ने खोल दी है, २०९८ मौतों के आँकड़े जारी करके, जबकि केजरीवाल सरकार, अपनी लापरवाही और अक्षमता को छुपाने, इन्हें एक हज़ार से भी कम दिखा रही है, गोयाकि उन्है लगता ही नही, कि जिनके परिजनों का बीमारी की वजह से और उपचार ना मिलने की वजह से देहांत हुआ, वो कुछ नही कहेंगे और शमशान, क़ब्रिस्तान और मुर्दे तो गवाही देंगे ही नही ?
लेकिन धन प्रभाव से मीडिया को अपने मोहपाश में जकड़ी और उनसे अपनी हक़ीक़त छुपवाती केजरीवाल सरकार, आज सुप्रीम कौर्ट में कटघरे में शर्मसार खड़ी नजर आई, देश की सबसे बड़ी अदालत ने दिल्ली के अस्पतालों की बुरी हालत के लिए उसे बुरी तरह लताड़ लगाई है, आँकड़ों को छुपा रही आम आदमी सरकार के, काग़ज़ों पर मरीज़ों की संख्या कम करने के षड्यंत्र और दिल्ली के अस्पतालों के ख़ौफ़नाक हालात पर आज सुप्रीम कौर्ट ने, दिल्ली सरकार से साफ़ साफ़ कई सवाल पूछे कि मरीज़ों की बुरी हालत देखते हुए, जाँचो की संख्या बहुत कम क्यों हो रही है और दिल्ली के बहुत सारे अस्पतालों को जाँच और भरती के लिए क्यों मना कर दिया गया है? करोना संक्रमित मरीज़ों को लाशों के साथ क्यों रहना पड़ रहा है? मरीज़ परेशान हैं, तब सरकारी अस्पतालों में बिस्तर क्यों ख़ाली पड़े हैं, यहाँ मरीज़ भर्ती क्यों नही किए जा रहे हैं और मरीज़ों को ऑक्सिज़न जेसी बुनियादी सुविधा तक क्यों नही मिल पा रही है?
साथ ही दिल्ली, मुंबई, बंगाल के बेहद ख़राब हालात के लिए, इन राज्यों को नोटिस देते हुए, सुप्रीम कौर्ट ने डॉक्टरों, नर्सों और पेरामेडिक्कस के साथ पूरी संवेदना बरतने, उनकी सुरक्षा और वेतन जैसे गम्भीर मुद्दों पर भी तुरंत कदम उठाने को कहा है।
लेकिन इतने बुरे हाल में भी, मान्यवरों की, जगह जगह राजनेतिक़ संगोष्ठियाँ, मीटिंग्स, मेल मुलाक़ातें जारी हैं, धरने प्रदर्शन, हुडदंग करते, करोना प्रोटोक़ोल्स का खुलेआम मखौल उड़ाते सभी दलों को देखा जा सकता है, फ़िज़िकल डिस्टेन्सिंग की भी सरेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं, बिगड़ते हालातों में, यह एक अत्यंत ख़तरनाक संकेत और गंभीर लापरवाही है, जिसके दुष्परिणाम, देश और देश की जनता को, आने वाले महीनो में भुगतना ही पड़ेंगे।
इसलिए एक बार फिर, सेफ़ रहिए, स्वस्थ रहिए, मिलते हैं कल, तब तक जय श्रीरा।
डॉ भुवनेश्वर गर्ग
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डॉक्टर सर्जन, स्वतंत्र पत्रकार, लेखक, हेल्थ एडिटर, इन्नोवेटर, पर्यावरणविद, समाजसेवक
मंगलम हैल्थ फाउण्डेशन भारत
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