बंगलिओ का नव वर्ष पोएला बोईशाख का इतिहास जुड़ा है मुगल सम्राट अकबर से

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जयति भटाचार्य ।
पहली जनवरी को दुनिया न्यू ईयर मनाती है परंतु भारत में सभी जातियों के लोगों का नव वर्ष अलग अलग तिथि पर होता है और वे उसे पारंपरिक तरीके से मनाते भी हैं। भारत में बंगाली समुदाय अपना नव वर्ष अप्रैल के महीने में मनाता है। वैशाख मास के पहले दिन 14 या 15 अप्रैल को यह मनाया जाता है इसलिए इसे पोएला बोईशाख कहते हैं। चन्द्रसौर बंगाली कैलेंडर के अनुसार वैशाख मास का पहला दिन नव वर्ष के रूप में बंगाली समुदाय मनाता है। इस दिन की पारंपरिक शुभकामना है शुभो नबोबर्षो यानि बांग्ला भाषा में हैप्पी न्यू ईयर।

मुगल सम्राट, अकबर

पोएला बोईशाख का इतिहास बहुत पुराना है। यह मुगल सम्राट अकबर के समय से जुड़ा है। सम्राट अकबर 1556 से 1609 तक अपने शासन काल में कर एकत्रित करवाते थे। उस समय अर्थव्यवस्था पूरी तरह फसलों पर निर्भर थी और जो कैलेंडर तब प्रचलन में था वह था अरबी या हिजरी। तब कर फसलों के रूप में लिया जाता था। इन कैलेंडरों के मुताबिक कर एकत्रित करने का समय फसलों के समय से बिल्कुल मेल नहीं खाता था।

अकबर ने लोगों से एक नया कैलेंडर बनवाया जो पूरी तरह फसलों को कर के रूप में एकत्रित करने के लिए सही था। इस कैलेंडर को बांग्ला कैलेंडर के नाम से जाना गया और इसका पहला दिन था पोएला बोईशाख।

इस दिन बंगाली परिवार अपने घर को साफ करते हैं। इसके बाद आल्पोना से सजाते हैं। आल्पोना यानि गीली रंगोली जो चावल से बनती है। आल्पोना के बीच में पानी से भरा एक मिट्टी का कलश रखते हैं और उसमें आम के पांच पत्ते रखते हैं जिसे आम्रोपल्लोब कहते हैं। घड़े पर हिंदुओं के पवित्र रंग लाल एवं सफेद से स्वस्तिक चिन्ह बनाते हैं। इस दिन लोग नदियों में स्नान करते हैं, मंदिरों में जाते हैं, घर में अच्छे अच्छे व्यंजन बनते हैं, सब रिश्तेदार एवं दोस्तोें के साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं। अधिकतर शहरों में सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं जिसमें इस समुदाय के लोग भारी संख्या में भाग लेते हैं एवं एक दूसरे को शुभो नबोबर्षो कहकर बधाई देते हैं। छोटे बढ़ों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेते हैं।


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