आरक्षण का विरोध नहीं परंतु समीक्षा आवश्यक
आरक्षण की समीक्षा का तात्पर्य यह कत ई नहीं है कि आरक्षण को समाप्त कर दिया जाए बल्कि उस तबके तक आरक्षण को पहुंचाना है जिसको मुख्यधारा में शामिल करने के लिए इसकी परिकल्पना संविधान निर्माताओं ने की थी अभी भी हिंदुस्तान में एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जो इसके लाभ से वंचित है और उसी वर्ग में एक वर्ग ऐसा है जो हद से अधिक इसका लाभ पा चुका है।मैंने बार-बार कहा है कि आरक्षित वर्ग को खतरा अनारक्षित समाज से उतना नहीं जितना अपने ही समाज के उस वर्ग से है जो संपन्न होते हुए भी अपने ही समाज के लोगों के हक को मार रहे हैं जैसे यदि रामफल नामक व्यक्ति आरक्षण का लाभ लेकर के अधिकारी बन जाता है तो वह संपन्न मान लिया जाना चाहिए, और उसे अपने ही वर्ग के कमजोर व्यक्ति के लिए आरक्षण छोड़ देना चाहिए इस तरह से जब संपन्न लोग आरक्षण छोड़ देंगे तो एक निश्चित सीमा के भीतर दिया जाने वाला आरक्षण उन लोगों तक पहुंच पाएगा जो इसके वास्तविक अधिकारी हैं परंतु राजनीति के चलते सरकारों ने कभी भी ऐसी इच्छाशक्ति दिखाई ही नहीं बल्कि आरक्षित वर्ग में संपन्न वर्ग जिसे क्रीमीलेयर कहा जाता है उसकी सीमा को बढ़ाती रही और उसकी सीमा को बढ़ाने से वास्तविक नुकसान आरक्षित वर्ग के उस गरीब को हुआ जिसको वास्तव में उसकी आवश्यकता थी आइए बताते हैं कैसे?नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए क्रीमी लेयर की उच्चतम सीमा केंद्र सरकार 8 लाख से बढ़ाकर 12 लाख करने वाली है इसका मतलब यह होगा कि 12 लाख सालाना आय वाले परिवार के स्टूडेंट्स भी ओबीसी आरक्षण का फायदा ले सकेंगे,3 साल पहले केंद्र ने सीमा को छह लाख से बढ़ाकर ₹8 लाख किया था।आरक्षण समीक्षा मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक वीरेंद्र सिंह के अनुसार क्रीमीलेयर की सीमा जब बढा कर 12लाख वार्षिक हो जायेगी तो ऐसा कर देने से पिछड़ा वर्ग का जो व्यक्ति एक लाख रुपए महीना कमाता है ,वो और उसी वर्ग का बमुश्किल 5 हजार में अपनी रोजी रोटी चलाने वाला दोनों सरकार के नजर में आर्थिक दृष्टिकोण से बराबर आमदनी वाले माने जायेंगे।जब कि एक ही वर्ग का एक व्यक्ति उदाहरण के तौर पर राम प्रकाश यादव जिसकी आमदनी महीने में एक लाख है और दूसरा व्यक्ति राधेश्याम पटेल जो बमुश्किल 5 से 7हजार में अपने घर का खर्च चलाता है दोनों की आमदनी सरकार के नजर में एक मानी जायेगी। जबकि दोनों की आमदनी में 95 या 93 हजार का अंतर है। चाहिए यह कि पिछड़ा वर्ग में जो गरीब व्यक्ति हो उसको राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा निर्देशित सरकार की अन्य सुविधाओं का लाभ मिले, इसके लिए पिछड़ा वर्ग की जातियों की भी आर्थिक आधार पर समीक्षा होनी चाहिए । जिससे पिछड़ा वर्ग में जो गरीब लोग हैं उनको उसका लाभ मिले। श्री सिंह ने कहा कि पिछड़ा वर्ग में यादव व पटेल जाति के अलावा लोहार ,कोहांर, बढ़ई, निषाद ,केवट ,प्रजापति लोधी, गूजर, गोंड विश्वकर्मा,धीमर ,वर्मा, सुनार आदि पिछड़ा वर्ग में हासिये पर होती चली जा रही है जिनको न तो आरक्षण का लाभ मिलता है न ही अन्य सरकारी सुविधाएं । क्योंकि इनके हिस्से का लाभ राजनीतिक ताकत की वजह से यादव व पटेल पिछले25- 30साल से लेते आ रहे हैं। यही चीज शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय ने भी कहा की आरक्षण के मामले पर हिंदुस्तान की सरकारों ने उस तरह की इच्छाशक्ति नहीं दिखाई जैसी उनको दिखानी चाहिए थी उसका परिणाम यह हुआ कि जरूरतमंद तक आरक्षण का लाभ पहुंच ही नहीं पाया अदालत ने कहा कि सरकार को तत्काल आरक्षण की पात्रता वाली सूची में संशोधन करने की आवश्यकता है ताकि आरक्षण का लाभ जरूरतमंद तक पहुंच सके। साल 2000 के जनवरी महीने में तत्कालीन आंध्र प्रदेश के राज्यपाल द्वारा जारी किए गए एक आदेश को असंवैधानिक ठहराते हुए पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा, ‘अब आरक्षित वर्ग के भीतर चिंताएं हैं. इस समय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के भीतर संपन्न और सामाजिक एवं आर्थिक रूप से उच्च श्रेणी के वर्ग हैं. अनुसूचित जातियों/जनजातियों में से कुछ के सामाजिक उत्थान से वंचित व्यक्तियों द्वारा आवाज उठाई गई है कि उन तक अभी कोई लाभ नहीं पहुंच पाता है,. इस प्रकार, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षित वर्गों व अनारक्षित वर्गों के भीतर पात्रता को लेकर संघर्ष चल रहा है.पीठ ने कहा, ‘आरक्षण को 100 फीसदी करना भेदभावपूर्ण और असंगत होगा. सार्वजनिक रोजगार के अवसर को अनुचित तरीके से इनकार नहीं किया जा सकता है, और यह कुछ का विशेषाधिकार नहीं है. नागरिकों के पास समान अधिकार हैं, और एक वर्ग के लिए एक अवसर पैदा करके दूसरों का बहिष्कार करना भारत के संविधान के संस्थापकों द्वारा विचार नहीं किया गया है.संविधान के अनुच्छेद 51ए के तहत अन्यायपूर्ण और मनमाने ढंग से किसी को मौका देने से वंचित नहीं किया जा सकता है। अदालत के फैसले के बाद यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि क्या भारत की सरकार आरक्षित वर्ग में शामिल उन लोगों को बाहर करने की हिम्मत दिखा पायेगी जो लोग आरक्षण की सुविधा लेकर आर्थिक व सामाजिक रूप से संपन्न हो चुके हैं?
सौरभ सिंह सोमवंशी (पत्रकार) ईमेल: saurabh96961100@gmail.com