चारों भाषाओं को लेकर के पुरे झारखंड राज्य मे भारी आक्रोश है:- के० एन० त्रिपाठी

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 डॉ अजय ओझा।
डॉ अजय ओझा।

21 सितम्बर दिन मंगलवार को मगही युवक मोर्चा एवं युवा अधिकार समिति गढ़वा के द्वारा मगही, भोजपुरी, अंगिका एवं मैथिली भाषा को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिसमें झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री एवं इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री के० एन० त्रिपाठी बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। आपकों विदित हो कि गढ़वा जिला स्थित इन्दिरा पार्क घंटाघर से उपायुक्त कार्यालय गढ़वा में उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा जाना था। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि सबसे प्रमुख बात है कि कुछ दिन पहले सरकार ने जो नोटिफिकेशन जारी किया है वो यह है कि 12 भाषा के लोगों की परीक्षा उसी भाषा में होगी और जो लोग मेरीट मे आएंगे उनको नौकरी मिलेगी ।

झारखंड राज्य के 40 प्रतिशत लोग जिन भाषाओं को शामिल किया गया है उसको जानते ही नहीं हैं तो उन भाषाओं को नहीं जानने वाले लोगो के बाल बच्चों को नौकरी नहीं मिल पाएगी। हमने सरकार के मुखिया माननीय मुख्यमंत्री जी को इस बात से अवगत करा दिया है और एक बार फिर सरकार और अपनी पार्टी से बात करूंगा कि जो बातें आपने सुना है उनकी मांगे जाएज है।जाएज इसलिए है कि उनका तर्क सही और साफ है। इसमें कहीं कोई दो मत नहीं है। मगही भाषा को लेकर के लोगों में जो काफी आक्रोश है वह इस कारणवश है कि मगही भाषा को शामिल नहीं किया गया है।

आपकों बता दें कि मगध साम्राज्य का समृद्ध इतिहास रहा है और मगध का इतिहास ही भारत देश का इतिहास है। मगध साम्राज्य का इतिहास पुरातन है। पुरातन मगध के लोग जब ब्रिटिश शासन था तब से मगही भाषा है जिसका इतिहास 5000 वर्ष का इतिहास है। इससे पहले बिहार राज्य मे कमिश्नरी था। 21 साल पहले झारखंड और 100 साल पहले बिहार का इतिहास था। बिहार के पहले यह छोटानागपुर और संथाल परगना जिला ही था। वर्ष 1905 में अंग्रेजो के द्वारा राज्य के आंदोलन को कमजोर करने के लिए बंगाल को विभाजित किया था।और 1905 के पहले बिहार राज्य नही था उस समय बंगाल था। और उसके पहले मगध साम्राज्य था उस समय भी मगध मे जिला हुआ करता था और मगध के पहले जनपद हुआ करता था। अंगप्रदेश जनपद था। मगध के छोटा नागपुर और अंगप्रदेश के संथाल परगना दो जिलों को काटकर झारखंड राज्य का निर्माण हुआ।पुरातन भारत के दो जिलों संथाल परगना और छोटा नागपुर को काटकर झारखंड राज्य का निर्माण हुआ। लोगों का मानना है कि गांव में यही मगही भाषा बोली जाती है। हिन्दी इसलिए बोली जाती है कि यह राष्ट्र भाषा है।लिखा पढी एवं बोला चाली मे हिन्दी का प्रयोग किया जाता है। राष्ट्र को सशक्त, एकजुट एवं मजबूत करने के लिए नितांत आवश्यक है। सरकार का मानना है कि झारखंड विभिन्न राज्यों से घिरा हुआ है।जो बिहार, बंगाल और उड़ीसा के बार्डर पर है वहां के लोग बिहारी, बंगाली और उड़ीया भाषा बोलते है और मगध के बार्डर पर मगही, अंगिका, भोजपुरी और मैथिली भाषा बोलते है।और कुछ लोग जनजातिय भाषा बोलते हैं।इन सभी भाषाओं के सम्मिश्रण से झारखंड राज्य का निर्माण हुआ है।इधर के 7-8जिलों के लोग मगही एवं अन्य स्थानों पर अंगिका भाषा बोली जाती है। लोगों का यह भी मानना है कि मगध साम्राज्य का 5000 वर्ष इतिहास धूमिल हो रहा है।

उन्होंने आगे अपने वक्तव्य में कहा कि लोगों का यह मानना है कि झारखंड सरकार ने जो 12 भाषाओं को शामिल किया है वो भाषा को लोग जानते ही नहीं है । झारखंड सरकार ने 12 भाषाओं को शामिल करने का अच्छा काम किया है लेकिन जब इधर के लोग 12 भाषाओं को जानते ही नहीं है तो लोगों को नौकरी ही नहीं मिलेगी। झारखंड राज्य मे जो 04 भाषाओं को लोग जानते हैं उसे शामिल किया जाए ताकि सभी को नौकरी मिल सकें। इसी बात को लेकर झारखंड राज्य वासियों, पलामू वासियों और गढ़वा वासियों के लोगों में भारी आक्रोश एवं विरोधाभास है। लोगों ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो बातें कही हैं उसको लेकर सभी लोग सशंकित है कि जब माननीय मुख्यमंत्री जी ऐसा बोल रहे हैं तो वो संतुष्ट नहीं हैं।

अंत में उन्होंने विश्वास दिलाया कि मै माननीय मुख्यमंत्री जी और अपनी पार्टी से बात करके यह प्रयास करूंगा कि इन चारों भाषाओं को जोड़ा जाए और मुझे पूर्ण विश्वास है कि इन चारों भाषाओं को जोड़ दिया जाएगा।


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