राग और द्वेष मनुष्य के पतन का कारण होता है – डॉक्टर मदन मोहन मिश्रा
बेनी माधव सिंह ।
मनुष्य को बड़ों के प्रति समर्पण छोटो का संरक्षण और अपना निरीक्षण करते रहने से कल्याण होता है ।कैकेई का समर्पण मंथरा के प्रति ठीक नहीं है ।मंथरा भेद बुद्धि है जो राम को अयोध्या से अलग करती है। व्यक्ति के जीवन में किसी के प्रति अनावश्यक ईर्ष्या द्वेष उसको पतन की ओर ले जाता है ।उक्त बातें शकल दीपा नवाहन परायन मानस महायज्ञ में डॉक्टर मदन मोहन मिश्रा ने व्यक्त किया। जिसका लक्ष्य प्राप्त करने का उद्देश्य मन के द्वारा होता है वही लक्ष्मण है और पत्नी का पति से उर मिला होता है तभी उर्मिला मिलती है। और दोनों का त्याग ही राम राज् स्थापना में सहायक है जिनके ऊपर जब भक्ति रूपी मां की कृपा होती है जो नारी रूपी माया उसका मार्ग प्रशस्त करती है तभी वह परमात्मा से मिल पाता है।गोरखपुर से पधारे हुए रामायण गीता भागवत के राष्ट्रीय कथाकार हेमंत तिवारी ने अपने कथा की प्रस्तुति में केवट प्रसंग को बताते हुए कहा कि श्री राम ने केवट से नाव मगी, इंद्र से विमान नहीं मांगा इससे बड़ों का अहंकार समाप्त हुआ और केवट से नाव मांग कर छोटो का दीनता समाप्त की । अहंकार और द्वेष, बड़े छोटे का विचार जब समाप्त होगा तभी रामराज्य की स्थापना होगी ।जब केवट ने अपने पत्नी से कहा मेरे पास प्रभु के पैर धोने के लिए अच्छा पात्र नहीं है तो पत्नी ने कहा परमात्मा को पाने के लिए पात्र कि नहीं पात्रता की जरूरत होती है जबकि प्रेम के द्वारा परमात्मा को पाना बहुत आसान है। व्यक्ति नदी को अनेक साधनो से पार कर सकता है ,लेकिन प्रेम की सरिता को नहीं पार कर सकता । औरंगाबाद से पधारे हुए ईश्वर पानडेय भक्ति की महिमा का वर्णन किया । बहुत ही संगीत सभाओं में जाने वाले अनेक बार सरकार द्वारा प्रशंसा प्राप्त रमापति जी ने तबले पर संगत करके लोगों को भावविभोर कर दिया ।सभा में मुक्तेश्वर पांडे कृष्ण मोहन पांडे महेंद्र पांडे ,कृष्णा जी ,प्रयाग सिंह अरुण जी के अलावे कई गणमान्य लोगों की उपस्थिति में कार्यक्रम का संचालन राम विनय पांडे ने किया ।