करोना कालखंड के पांचवे अध्याय का छठवां दिन, बचाव की प्रथम पंक्ति के योद्धाओं के नाम
कल हमने अपनी बात को जहाँ विश्राम दिया था, आज वहीँ से बात आगे बढ़ा रहे हैं, करोना के इस संक्रमण काल में, इस बीमारी से बचाव का सिर्फ एक ही उपाय है, और वो है ये कि, अव्वल तो यह संक्रमण आप तक पहुंचें ही नहीं, (उसके लिए आप वो सभी उपाय अपनाएँ, जो हम लगातार अपने हर लेख में लिख रहे हैं, और इन्हे आप हमारे फेसबुक पेज “https://www.facebook.com/bhuvneshawar.garg” पर देख सकते हैं), और चूँकि अगले कुछ महीनों में यह संक्रमण आप तक पहुंचेगा ही, (हो सकता है पिछले नवम्बर दिसंबर से लेकर अभी तक के दौरान पहुँच भी गया हो, और आप इसे साधारण सर्दी जुखाम, बॉडी पेन, घबराहट वाला, वायरल इंफेक्शन समझ कर, बिना डरे स्वाभाविक रूप से ठीक भी हो गए हों) तो इसलिए यह बेहद जरुरी है कि जब यह संक्रमण आपके शरीर तक पहुंचें, तो इस वायरस की संख्या, यानि “वायरल लोड” बहुत कम मात्रा में हो और आपके शरीर की इम्युनिटी, उन्हें और बढ़ने का, कदापि कोई मौका ना दे।
बुजुर्गों, बीमारों और किसी अन्य वजह से, इम्मून कम्प्रोमाइस्ड मरीजों के लिए तो, यह वाकई बेहद कठिन समय है, अगले दो तीन सालों में इस बीमारी से सबसे ज्यादा नुकसान उन्ही को होना है, और उनकी तादाद, इस देश में लगभग बीस प्रतिशत यानि, पच्चीस से तीस करोड़ के आसपास है।
तो बात घूम फिर कर वापिस इम्युनिटी पर आ जाती है, जो ना सिर्फ इस बीमारी से, बल्कि हर तरह संक्रमण से उबरने, ठीक होने का एकमात्र सच भी है, कोई दवाई, वायरस पर काम नहीं करती, एंटीबायोटिक्स उलटे आपके इम्मून सिस्टम को कमजोर कर सकती हैं, इसलिए बेहद सतर्क, संयमित, तनाव मुक्त और प्रफुल्लित रहने की सभी को नितांत आवश्यकता है।
हमारी पाँचों इन्द्रियों (आंख, कान, नाक, जीभ और त्वचा) को जागरूक रखने के लिए के लिए, इन पंचतत्वों की (धूप, जल, वायु, मिटटी और आकाश यानि खुली जगह ) हमारे शरीर को बेहद आवश्यकता है, जो सबसे पहले हमारी स्किन को प्रभावित करते हैं, और इसीलिए उसका ख्याल रखना मानव की सबसे पहली जरुरत भी है।
बचाव की प्रथम पंक्ति के योद्धाओं की श्रृंखला में कल हमने बात की थी, लार की, इसके अलावा आंसू, हमारे स्टॉमक यानी पेट में मौजूद द्रव्य, हमारी स्किन, हमारे नाक कान गले, श्वसन नालियों की दीवारों पर मौजूद महीन हैयरी संरचनाएं, (जिन्हे हम सिलिया भी कहते हैं) और हमारे शरीर से टॉक्सिन्स तथा वेस्ट्स को बाहर निकालने वाली हमारी किडनियां, हमारे शरीर के डिफेन्स की प्रथम पंक्ति की योद्धा हैं।
अब अगर आप इन सबके कार्य करने की प्रक्रिया के मूल में जाएँ, तो सबको अपना काम सुचारु रूप से करते रहने के लिए, शुद्ध और पौष्टिक तरल पदार्थों की सबसे ज्यादा जरुरत पड़ती है। सोचिये, किसी पौधे को पर्याप्त पानी ना मिले, तो उसका क्या होगा? इसी तरह अगर आपकी स्किन, गुर्दे, लार ग्रंथियां को पर्याप्त भोजन और तरल पदार्थ ना मिले तो? वो सब कमजोर नहीं हो जाएंगे, सूख नहीं जाएंगे? सोच कर देखिये कि, कभी आपकी आँखों में आंसू, मुंह में लार ना बने और स्किन से पसीना ना निकले तो? इन परिस्थितियों में, बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, टॉक्सिन्स, पैरासाइट्स को आपके शरीर में घुसने और चौतरफा हमला करने का खुला अवसर मिल जाएगा, शरीर में पानी की कमी से आपके गुर्दे पर्याप्त मात्रा में यूरिन नहीं बना पाएंगे, जिस वजह से आपके शरीर में जहरीले पदार्थो की मात्रा चिंताजनक रूप से बढ़ने लगेगी, यही नहीं, इनके असर से, शरीर के जरुरी फ्रेंडली बैक्टीरिया को सबसे पहले अपनी जगह छोड़नी होगी, और उनकी जगह पर यह बाहरी दुश्मन, कब्ज़ा करेंगे। गंभीर परिस्थितियों में यह ड्राईनेस या सेप्टिक प्रक्रिया चंद घंटों में पूरी हो सकती है और आपके शरीर का संक्रमण, जानलेवा स्तर तक पहुँच सकता है।
तो उचित मात्रा में पानी और अन्य तरल पदार्थ, पौष्टिक ताजे भोजन के साथ साथ, जो दूसरी आवश्यकता है, वो है, धूप में कसरत। जितना जहर, टॉक्सिन या गंदगी हमारी किडनियां चौबीस घंटे मेहनत करके हमारे शरीर से बाहर निकाल पाती हैं, मात्र एक घंटा धूप में व्यायाम करने से उससे कहीं ज्यादा, आपकी स्किन से बाहर निकल सकता है और शरीर के अंदरूनी अंगों का ढेर बोझ कम हो सकता है, हमारी स्किन हमारे शरीर का सबसे बड़ा स्वसन तंत्र भी है और रक्षक दीवार भी। जरुरी ऊर्जा, विटामिन डी उत्पन्न करने वाला शरीर का सबसे बड़ा ऑर्गन भी यही है, इसके हर रोम रोम में एक इंजन रूपी संरचना है, जो सूर्य की रौशनी में, खुले में कसरत करते समय एक्टिव हो जाते हैं और पसीने के रूप में अपना अवशिष्ट बाहर निकाल कर शरीर की मदद करते हैं, शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने में भी स्किन की बेहद जरुरी भूमिका है और स्पर्श के जरिये हमें जागरूक और अलर्ट रखने का भी, यह महती काम करती है और इसलिए भी विगत कई सालों से हम बार बार सबको यह भी समझाने की भी कोशिश कर रहे हैं कि जहाँ तक हो सके, साबुनों या स्किन प्रोडक्टों का इस्तेमाल कम से कम करें, ताकि आपकी स्किन और इसके महीन रोम छिद्रों को नुक्सान ना पहुंचें। (इस पर हम बात करेंगे कल)
तब तक जयश्रीराम
डॉ भुवनेश्वर गर्ग
डॉक्टर सर्जन, स्वतंत्र पत्रकार, लेखक, हेल्थ एडिटर, इन्नोवेटर, पर्यावरणविद, समाजसेवक
मंगलम हैल्थ फाउण्डेशन भारत
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