लाक डाउन के उपरांत भारतीय अर्थव्यवस्था

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पंकज सिंह

लाक डाउन समाप्त हो जाने के बाद देश निश्चित रूप से मंदी के दौर के दुष्चक्र में फंसा नजर आएगा ऐसी स्थिति में आम जनता में मांग की कमी होगी और लोगों की क्रय शक्ति क्षमता घट जाएगी। व्यापारी वर्ग लाभ के अभाव में उत्पादन क्षमता घटाते जाएंगे और उत्पादन के साधन भूमि श्रमिक आदि बेरोजगार होते जाएंगे। बेरोजगारी की ऐसी स्थिति मांग में और कमी लाएगी जिससे अर्थव्यवस्था मंदी के गर्त में धसंती हुई चली जाएगी और अर्थव्यवस्था गरीबी के दुष्चक्र में फंसी नजर आएगी।

सरकार को चाहिए की वह गड्ढा खोदो और भरने की नीति को पालन करके लोगों को रोजगार देकर आम जनता की क्रय शक्ति को बढ़ाने का प्रयास करे, क्योंकि व्यापारी वर्ग सदैव उत्पादक कार्य करता है अनुउत्पादक कार्य नहीं करता और उसे उत्पादक कार्य में लाभ ना होने की स्थिति में हुआ है अपना उत्पादन बंद करता चला जाएगा ऐसी स्थिति में बेरोजगारी की दशा निरंतर बढ़ती जाएगी जबकि यदि सरकार अनु उत्पादक कार्य करेगी तो निश्चित रूप से श्रम को उसका का मूल्य देकर और उत्पादन का दान करके आम जनता की क्रय शक्ति बढ़ा सकती है।

ऐसी स्थिति में राजतंत्र को गड्ढा खोदो एवं भरने की नीति अपनाकर लोगों को रोजगार देकर मंदी के जाल एवं एवं गरीबी के दुष्चक्र से बचा जा सकता है और भारतीय अर्थव्यवस्था को इस कोरोना महामारी के संकट के कारण उत्पन्न मंदी की स्थिति से बचाया जा सकता है।

लेखक जनपद न्यायालय प्रयागराज में अधिवक्ता और स्वतंत्र आर्थिक सलाहकार विशेषज्ञ हैं।


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