सचिदानंद त्रिपाठी का ब्यक्तित्व व कृतित्व से अधिवक्ताओ को सीखने की जरूरत

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बेनीमामधव सिंह।

मेदिनीनगर,भूतपूर्व विधायक व बरिष्ठ अधिवक्ता सचिदानंद त्रिपाठी के दिब्य स्मृति में 35 वी पुण्य तिथि सह अधिवक्ता सम्मानसचिदानंद त्रिपाठी के ब्यक्तित्व व कृतित्व से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। उक्त बाते पलामू के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रदीप कुमार चौबे ने कही।वे मंगलवार को सचिदानंद त्रिपाठी दिव्य स्मृति अधिवक्ता सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।उन्होंने कहा कि स्वर्गीय त्रिपाठी समय के पावन्द थे। सभी अधिवक्ता को समय का पावन्द होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसलिए उन्होंने वकालत में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। और काफी नाम कमाया। उनका व्यक्तित्व आज हम सबों के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपना कार्य धर्म समझकर किया।कर्मक्षेत्र पलामू जैसे क्षेत्र में चुना और यहां के लोगों को सुलभ सरल न्याय दिलाने का प्रयास किया। यही वजह है कि आज उनकी स्मृति में सैकड़ों अधिवक्ता उपस्थित हैं। और श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे हैं। इस मौके पर कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश मार्त्तण्ड प्रताप मिश्रा ने कहा कि वह सहज सरल स्वभाव के थे। उनका कार्य से हम लोगों को सीख लेनी चाहिए ।एक सफल अधिवक्ता में क्या गुण होता है यह सीख हमें स्वर्गीय त्रिपाठी के कार्यों से मिलती है ।इस मौके पर संघ के अध्यक्ष रामदेव प्रसाद यादव, महासचिव सुबोध कुमार सिन्हा ,बलराम तिवारी ,गिरिजा सिंह आदि अधिवक्ताओं ने भी स्वर्गीय त्रिपाठी के जीवनी पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि एक अधिवक्ता होकर स्वर्गीय त्रिपाठी ने डाल्टनगंज विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया ।वे सहज सरल स्वभाव के थे और उनमें सहयोग की भावना कूट-कूट कर भरी थी ।वह समय के बहुत पावनंदी थे।वे लोगों के दुःख दर्द को समझते थे ।यही वजह है कि कोई भी मुवक्किल उन से निराश कभी नहीं होता। कानून के विशेषज्ञ श्री त्रिपाठी के गुणों की जितनी भी चर्चा की जाए कम होगा ।इस मौके पर कार्यक्रम के संयोजक व स्वर्गीय त्रिपाठी के नाती शशि भूषण दुबे और रवि भूषण दुबे के द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ताओं को माला पहनाकर व शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया ।वही मुख्य अतिथि व बिशिष्ट अतिथि को भी माला पहनाकर व शॉल ओढ़ाकर सम्मनित किया गया।व धार्मिक पुस्तक शिव पुराण भेट किया गया। स्वर्गीय त्रिपाठी 1962 से 1967 तक डालटनगंज विधानसभा के विधायक रहे। अधिवक्ता के रूप में 1950 में प्रैक्टिस शुरू किया था। मौके वरिष्ठ अधिवक्ता लक्ष्मण सिंह, जनाब खुर्शीद अहमद खान, सुखदेव दुबे ,गिरजा प्रसाद सिंह, कमलेश्वर प्रसाद यादव, केदारनाथ तिवारी ,बलराम तिवारी, जनार्दन प्रसाद सिंह ,हुसैन वारिश, सच्चिदानंद सिंह ,मन्धारी दुबे ,अजय कुमार वर्मा को सम्मानित किया गया। इस मौके पर कार्यक्रम का संचालन दिवाकर दुबे अधिवक्ता ने किया। मौके पर संरक्षक ध्रुव शंकर दुबे ,अधिवक्ता महेंद्र तिवारी, वरुण कुमार सिंह, अखिलेश चंदसिंह, संतोष कुमार पांडे, अजय पांडे ,अश्वनी त्रिपाठी, रामप्रवेश रजक, बीना मिश्रा ,शशि आलोक, समेत दर्जनों लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम में एक नन्ही बच्ची के द्वारा शिव तांडव स्तोत्र का पाठ किया गया।


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