कोंग्रस पार्टी के कारण नही लडेंगे चुनाव अब्दुल मन्ना ?
कोलकाता, 02 जनवरी । पश्चिम बंगाल के विपक्ष के वरिष्ठ नेता है अब्दुल मन्नान । विधान सभा चुनाव में नहीं खड़े होने का फैसला लिया है उन्होने। हा उन्होंने आधिकारिक तौर पर यह घोषणा नहीं की है, पर प्रदेश कांग्रेस के दलगत विवाद के कारण नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि अब बहुत हो चुका। विपक्ष के दलनेता का दर्जा उन्हें नहीं मिल रहा।
उनको पूरी तरह अलग रखते हुए प्रदेश नेतृत्व ने कई निर्णय लिए हैं। यहां तक कि हुगली जिले के विकास की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। विपक्षी दलों के बारे में उन्होंने कहा कि सभी जनता का विश्वास जीतने की कोशिश कर रहे हैं। मन्नान ने कहा कि जो दल साथ मिलकर काम करना चाहते हैं उनका स्वागत है। हमलोगों को एकजुट होकर वामपंथियों के साथ लड़ाई लड़ने की जरूरत है। उल्लेखनीय है कि सोमेन मित्रा का जब निधन हुआ तब वे प्रदेश अध्यक्ष थे। अगला प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा इन अटकलों के बीच अब्दुल मन्नान ने अधीर चौधरी को अगला प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग को लेकर हाई कमान को पत्र तक लिखा था। कुछ दिनों के भीतर, दिल्ली ने अधीर बाबू को प्रदेश अध्यक्ष घोषित किया। लेकिन बाद में पता चला कि अधीर के साथ उसका रिश्ता काफी अच्छा नहीं है। यहा तक की जिले के प्रभारियों की सूची को संकलित करते समय विपक्ष के नेता की सलाह नहीं ली जाती।
सूत्रों के अनुसार जिस जिले के वे विधायक है उस हुगली जिले की सूची का तैयार करते समय भी उनसे बात तक नहीं की गयी। इसीलिए उन्होंने सूचित किया है कि वे चुनाव में खड़े नहीं होंगे। वही प्रदेश कांग्रेस की जिम्मेदारी मिलते ही अधीर रंजन चौधरी ने अपने तरीके से संगठन बनाया। विधान भवन को संभालने के लिए प्रबंधन हेतु मुर्शिदाबाद शहर से करीबियों को ले आये। इससे मन्नान-अधीर संबंध में खटास हुगली जिले के संगठन पर केंद्रित थी। सूत्रों के अनुसार मन्नान, जिसने अधीर को अध्यक्ष बनाने के लिए की पैरवी की थी, अब वही पार्टी के राज्य कार्यालय में पैर नहीं रखते है। यदि प्रदेश अध्यक्ष के साथ कोई संगठनात्मक बात होती है, तो फोन के माध्यम से हो जाती है। बल्कि, मन्नान वाम नेतृत्व के साथ अधिक सहज है। वाम संसदीय दल के नेता सुजान के साथ जिले में जाते है किसी भी मामले पर बात करते है। हालांकि, मन्नान ने अभी तक हाईकमान को फैसले के बारे में सूचित नहीं किया है।मन्नान के करीबी सूत्रों के अनुसार यदि स्थिति नहीं बदलती है, तो वह अपने निर्णय में स्थिर रहेंगे। हालांकि, आजीवन कांग्रेस करने वाले मन्नान ने पार्टी बदलने की संभावना से इनकार किया है। उन्होंने कभी पार्टी नहीं बदली। कांग्रेस को आपसी कलह खुद कांग्रेस को ही समाप्त करना होगा।