“इंसान की पहचान जाति धर्म से नहीं बल्कि उसके कर्मों से होती है”: भरदुल सिंह

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बेनीमाधव सिंह।

मेदिनीनगर, इंसान की पहचान जाति धर्म से नहीं बल्कि उनके कर्मों से होती है। उक्त बातें समाजसेवी सह शिक्षक भरदुल कुमार सिंह ने कही। वे गुरुवार को सदर प्रखंड के बकोइया में संत रविदास जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मनुष्य कर्म से महान बनता है।उन्होंने कहा कि संत रविदास ने बहादुरी से सभी भेदभाव का सामना किया।रविदास जी समाजिक समरसता के प्रतीक महान संत थे।वे मदिरापान नशे आदि का घोर विरोधी थे।मौके पर अधिवक्ता संतोष कुमार पांडेय ने कहा कि संत रविदास ने सम्पूर्ण जगत को धर्म के मार्ग पर चलने की सीख दी।जिस समय समाज मे जात पात ,छुआ छूत ओर भेदभाव चरम सीमा पर था तब उन्होंने सब कुरीतियों से समाज को उबारा। व एक स्वस्थ समाज की नींव रखी।समाज मे उन्होंने मानवता का संदेश दिया।इस मौके पर सरजा मुखिया के अलावे मोहन राम,सुनील प्रजापति, व सुरेन्द्र राम ने भी संत रविदास के जीवनी पर विस्तार से प्रकाश डाला।व कहा कि ऐसे महापुरुषों के बताए मार्ग पर चलने से ही स्वस्क्ष व स्वस्थ समाज की स्थापना की जा सकती है। लोगो ने कहा कि दलित परिवार में जन्मे संत रविदास हमसबो के पथ प्रदर्शक हैं।इस मौके पर दुगोला कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया।कार्यक्रम का उद्घाटन भरदुल सिंह ने संत रविदास के चित्र पर माल्यार्पण कर व फीता काटकर किया। दुगोला कार्यक्रम में ब्यास राम बच्चन राम ने एक से बढ़कर एक लोक गीत गाकर दर्शको व श्रोताओं को समा बांधे रखा।वही ब्यास गुड़ु दुबे ने भी जमकर मुकाबला किया।व श्रोताओं को झूमने पर विवश कर दिया। इस मौके पर बसंत राम ,मुकेश राम, चंदन कुमार, अविनाश कुमार, मनीष कुमार, रविंद्र राम, विरेंद्र कुमार, बाबूराम ,मनोज कमार मंटू प्रसाद, ध्रुव कुमार पाल समेत दर्जनों लोग उपस्थित थे।


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