एक घर जो बना चिड़ियों के लिए आशियाना

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 विवेक रंजन।
विवेक रंजन।

एक शख़्स जिसने अपने घर का एक हिस्सा चिड़ियों के सुपुर्द कर दिया,बागी के बागीचे की अद्भुत कहानी…

प्रयागराज में एक ऐसा शख़्स है जिसने अपने पक्के माकान का एक चौथाई हिस्सा गौरैया, मुनिया जैसी विलुप्तप्राय चिड़ियों को बचाने के लिए बागीचे के रूप में विकसित कर चिड़ियों को सौंप दिया है।

बाग़ी विकास।

बताते चले कि झलवा एयरपोर्ट के पास के निवासी बाग़ी विकास ने लुप्त होती चिडियों की प्रजाति को बचाने की एक अलग ही मुहिम शुरू की है। गौरैया आदि चिड़ियों को आमतौर पर कच्चे मकानों या फिर बांस आदि के पेड़ों में निवास करते देखा गया है। पक्के मकानों में गौरैया कम ही टिक पाती हैं पर बागी के मकान में इस समय 150 से ज़्यादा गौरैया व मुनिया चिड़िया रह रही हैं।

बागी के इस बागीचे में काठ के बने छोटे छोटे घर हैं। चिड़ियों के पीने के लिए पानी के बर्तन व खाने की सामग्रियां जैसे धान व अन्य अनाज की व्यवस्था है। चिड़ियों ने तिनके से काठ के घर मे घोसला बनाया है और लगातार उनकी संख्या में वृद्धि हो रही है। दस दिनों के भीतर यह संख्या करीब 200 के आसपास पहुँच चुकी है।

गौरैया संरक्षण का यह अभियान वास्तव में काबिलेतारीफ है,अन्य को भी इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। विकास का कहना है कि हम अपने महीने के फ़िज़ूल खर्चों को दरकिनार कर ऐसे कार्य कर सकते हैं जिससे अन्य जीव जंतुओं को भी लाभ मिले।


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