Share:

महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार से मुक्ति बिना स्वाभिमान की बात बेमानी
गोष्ठी में प्रबुद्धजन ने खुलकर रखे विचार
जयपुर,((दिनेश शर्मा “अधिकारी”)। मुक्त मंच की 62वीं मासिक संगोष्ठी ‘गुलामी के प्रतीकों से मुक्ति और राष्ट्रीय स्वाभिमान‘ पर आयोजित की गई।
प्रमुख चिंतक एवं आईएएस (रिटा.) अरुण ओझा ने गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहा कि हम आज भी सामंती मनोवृति से ग्रस्त हैं। हमारे नियामक विशाल राजप्रासादों में रहते हैं जबकि लाखों-करोड़ों को सिर ढकने के लिए छप्पर उपलब्ध नहीं है। जापान, जर्मनी के मुकाबले हमारे नागरिक देशप्रेम और राष्ट्रीय स्वाभिमान के मामले में कमजोर हैं।
विशिष्ट अतिथि भाषाविद् एवं मूर्धन्य साहित्यकार डॉ नरेंद्र शर्मा ‘कुसुम‘ ने कहा कि गुलामी के प्रतीक के रूप में मैकाले की शिक्षा पद्धति से मुक्ति सर्वोपरि है। शिक्षा पद्धति में कंटेंट लेवल पर ही नहीं माध्यम के स्तर पर भी परिवर्तन आवश्यक है। आईएएस (रिटा.) डॉ सत्यनारायण सिंह ने कहा कि हमें अपने अतीत और इतिहास से शिक्षा लेनी चाहिए तभी स्वाभिमान जागृत होगा। प्रतिष्ठित लेखा विशेषज्ञ केवल कृष्ण खन्ना ने कहा कि महंगाई बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के चलते राष्ट्रीय स्वाभिमान की बात बेमानी है। जाने माने अभियांत्रिकी सलाहकार डीपी चिरानिया ने कहा कि गुलामी के प्रतीकों से मुक्ति एक राजनीतिक जुमला है। हमारे 35 प्रतिशत युवा बेरोजगार हों वहां राष्ट्रीय स्वाभिमान कैसे जागृत हो सकता है।
लोहागढ़ विकास समिति के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार गुलाब बत्रा ने कहा कि राष्ट्रीय स्वाभिमान की भावना तभी उठ सकती है जब नागरिक अनुशासन, राष्ट्र के लिए त्याग भावना और तपस्या के लिए कटिबद्ध हों। डॉ. जनकराज स्वामी ने कहा कि गुलामी एक मानसिकता का द्योतक है। आज लोकतंत्र पर राजतंत्र हावी है और राजनेता अपनी मनमानी पर उतारू हैं। नाम बदलने से स्वाभिमान जागृत होना संभव नहीं है। पूर्व बैंकर और चिंतक इंद्र भंसाली का मानना था कि स्थानों, संस्थाओं के नाम बदलने से स्वाभिमान जागृत नहीं होता। देश के प्रति मान सम्मान की भावना विकसित करनी होगी।
प्रारंभ में शब्द संचार और मुक्त मंच के संयोजक श्री श्रीकृष्ण शर्मा ने विस्तार से विषय की रूपरेखा रखी। संगोष्ठी में कल्याण सिंह शेखावत, विष्णु लाल शर्मा, गोपाल गुप्ता, ललित अकिंचन, वित्तीय सलाहकार और उपन्यासकार राजेंद्र शर्मा, व्यंग्यकार फारूक आफरीदी और डॉ. मंगल सोनगरा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।


Share: