3.6 करोड़ रुपये के याबा टैबलेट के साथ पकड़े गए चार तस्कर
कोलकाता, 23 फरवरी (हि. स.)। कोलकाता पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की टीम ने 3.6 करोड़ रुपये के याबा टैबलेट के साथ चार तस्करों को गिरफ्तार किया है। इनमें से दो मणिपुर के रहने वाले हैं। जबकि बाकी के दो मालदा निवासी हैं। मणिपुर के रहने वाले लोगों की पहचान मोहम्मद जियाउर रहमान उर्फ जैदुर (33) और मोहम्मद फकीर अहमद उर्फ फकीरुद्दीन (32) के तौर पर हुई है। दोनों ही मणिपुर के थोबाल जिले के निवासी हैं। बाकी दो लोगों की पहचान मालदा के कालियाचक थाना क्षेत्र के रहने वाले मोहम्मद अमीरुल शेख (34) और मोहम्मद अतिउर रहमान (43) के तौर पर हुई है। इनके पास से 120000 याबा टैबलेट बरामद किए गए हैं जिसका वजन 13.683 किलो और कीमत 3.6 करोड़ रुपये हैं। इनकी गिरफ्तारी के बारे में एसटीएफ के उपायुक्त आईपीएस अपराजिता रॉय ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शनिवार देर शाम इन दोनों को मैदान थाना क्षेत्र में सैयद बाबा मजार के पास से गिरफ्तार किया गया था। मालदा वाले दोनों तस्कर एक कार में थे जबकि मणिपुर के दोनों दूसरी कार में। इन चारों को गिरफ्तार कर जब पूछताछ करने पर इन्होंने कार के अंदर मादक पदार्थ छिपाए रखने की जानकारी दी। तलाशी ली गई तो वहां से 120000 टैबलेट बरामद किए गए। गंभीर पूछताछ के बाद रात 2:20 बजे इन्हें आधिकारिक तौर पर गिरफ्तार किया गया। इनके खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है। प्रारंभिक पूछताछ में इन लोगों ने बताया है कि ये चारों अंतरराष्ट्रीय मादक तस्करी गिरोह से जुड़े हुए हैं। इनसे पूछताछ कर इनके अन्य साथियों के बारे में पता लगाने की कोशिश की जा रही है।
याबा क्या है?
- याबा को थाई भाषा में ‘पागलपन की दवा’ (madness drug) के नाम से जाना जाता है. इसकी उत्पत्ति पूर्वी म्याँमार के शान, काचिन और दो अन्य राज्यों से होती है, यहाँ से यह लाओस-थाईलैंड-म्याँमार गोल्डन त्रिकोण से दक्षिण-पूर्व बांग्लादेश में पहुँचती है।
- इस गोली में मेथेम्फेटामाइन और कैफिन मिला होता है।
- याबा टैबलेट के रूप में एक दवा होती है। यह अक्सर लाल रंग की होती है तथा इसके कवर पर WY अक्षर लिखे होते हैं।
- याबा थाईलैंड में सबसे खराब श्रेणी की दवा होती है और जो लोग इसका इस्तेमाल करते हैं या तो उन्हें 20 साल तक के कारावास का सामना करना पड़ता है या उन्हें बहुत भारी जुर्माना देना पड़ता है।
- वे लोग जो 20 ग्राम से अधिक याबा के साथ पकड़े जाते हैं, उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा का सामना करना पड़ता है और कभी-कभी यह मौत की सज़ा के रुप में सामने आती है। वस्तुतः कानून के अनुसार सज़ा का प्रावधान किया जाता है।
- शान राज्य में यह दवा घोड़ों को पहाड़ी क्षेत्रों की चढ़ाई अथवा भारी कामों के दौरान दी जाती थी।
इसके लिये इस्तेमाल होने वाले नाम
- भारत में कभी-कभी याबा को “भूल भुलैया” कहा जाता है। फिलीपींस और इंडोनेशिया में आमतौर पर इसे शाबू कहा जाता है।
- उत्तरी थाईलैंड में इसे अक्सर “चोकली” के रूप में जाना जाता है क्योंकि मुँह में जाने के बाद कुछ हद तक इसका स्वाद मीठा और इसकी गंध चॉकलेट जैसी स्ट्राँग होती है।
- चीन में इसके लिये आमतौर पर “मा-गुओ” या “मा-गु” नाम का इस्तेमाल किया जाता है। बांग्लादेश में इसे “बाबा”, गुट्टी, लाल, जिनीश, खवन, नैशोकोटा, लोपी, गारी, बिची इत्यादि के रूप में जाना जाता है।
किस रूप में इसका सेवन किया जाता है?
- आमतौर पर इन गोलियाँ को निगला जाता है। इसके सेवन की एक अन्य विधि है जिसे “ड्रैगन का पीछा करना” कहा जाता है। इस विधि के अंतर्गत उपयोगकर्त्ता याबा टैबलेट को एल्युमीनियम पन्नी पर रखकर इसे नीचे से गर्म करते हैं। जैसे ही टैबलेट पिघलती है, यह वाष्पीकृत होने लगती है, इसप्रकार उपयोगकर्त्ता इसका सेवन करता है।
- दवा को पाउडर के रूप में पीसकर भी इसका सेवन किया जा सकता है, इसके बाद इसे सॉल्वेंट के साथ मिलाकर इंजेक्शन के माध्यम से लिया जाता है।