29 संवैधानिक आदेशों की अवहेलना में गृह सचिव, डीजीपी, डीएम व एसएसपी को व्यक्तिगत उपस्थिति का नोटिस

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सौरभ सिंह सोमवंशी ।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय में ज्वाइंट रजिस्ट्रार के पद पर कार्यरत हेम सिंह के उत्पीड़न , जान से मारने की धमकी और कई बार जानलेवा हमले के मामले में राष्ट्रपति सहित भारत के तमाम संवैधानिक संस्थानों के आदेशों की अवहेलना पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार के गृह सचिव उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक, प्रयागराज के जिला अधिकारी और प्रयागराज के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को 6 अक्टूबर को व्यक्तिगत रूप से आयोग के समक्ष उपस्थित होने का नोटिस जारी किया है।

संवैधानिक संस्थाओं के 29 आदेशों को दबा दिया गया

इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्वाइंट रजिस्ट्रार के पद पर तैनात हेम सिंह ने बताया कि ये एक ऐसा मामला है जिसमें भारत के राष्ट्रपति के द्वारा जारी 3 आदेश सहित एक दर्जन से अधिक संवैधानिक आदेशो के अलावा उच्च स्तरीय व संवैधानिक आदेशों को प्रयागराज प्रशासन के द्वारा पिछले 5 वर्षों में दबा दिया गया, जिसका परिणाम हुआ कि हम न्याय से वंचित हैं।

क्या है मामला

हेम सिंह का विवाह 1 अप्रैल 1993 को उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक आनंदलाल बनर्जी की बहन विजय लक्ष्मी बनर्जी के साथ हुआ था हेम सिंह पिछड़ा वर्ग से संबंधित है और आनंद लाल बनर्जी की बहन सवर्ण समाज की है। इसी कारण से हेम सिंह से आनंद लाल बनर्जी नफरत करते थे,न केवल हेम सिंह से नफ़रत करते थे बल्कि हेम सिंह और विजय लक्ष्मी बनर्जी की इकलौती बेटी पर बुरी नजर भी रखते थे, हेम सिंह ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी आनंद लाल बनर्जी ने वर्ष 2010 में अपनी ही भांजी और हेम सिंह की इकलौती संतान रुक्मिणी के साथ रानीखेत में छेड़छाड़ व बलात्कार किया, जिसका परिणाम हुआ कि डिप्रेशन में आकर उसने आत्महत्या कर ली और उसी दौरान प्रयागराज में ही तैनात आनंद लाल बनर्जी ने उसका रातों रात पोस्टमार्टम व अंतिम संस्कार करवा दिया , इसके अलावा हेम सिंह का उत्पीडन जारी रहा। हेम सिंह का आरोप है कि आनंद लाल बनर्जी के इशारे पर कई बार हेम सिंह की हत्या का प्रयास किया गया इसके अलावा उनके ऊपर तमाम तरह के आरोप लगाए गए। बकौल हेम सिंह उन्होंने सूचना के अधिकार से तमाम सारे दस्तावेज जुटाए हैं जो आनंद लाल बनर्जी को सजा दिलाने के लिए पर्याप्त है परंतु उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, राज्यपाल ,भारत के राष्ट्रपति, भारत उच्चतम न्यायालय, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जैसी संस्थाओं से जारी होने वाले आदेशों को पूर्व में उत्तर प्रदेश के डीजीपी रह चुके उनके साले आनंद लाल बनर्जी ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर ने दबवा दिया व कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी की शिकायत हेम सिंह ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग से की थी, जिस पर ये आदेश जारी किया गया है। जिसमें स्पष्ट रुप से कहा गया है कि 6 अक्टूबर को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष डॉक्टर लोकेश कुमार प्रजापति 2:30 पर इस मामले की सुनवाई करेंगे जिसमें उत्तर प्रदेश के गृह सचिव, उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के अलावा प्रयागराज के जिला अधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को कहा गया है।

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को है सिविल कोर्ट का अधिकार

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के अलावा नरेंद्र मोदी सरकार ने संविधान संशोधन करके संविधान में एक नया अनुच्छेद 338बी जोड़ा है.जिसके धारा 8के तहत आयोग को अब सिविल कोर्ट के अधिकार प्राप्त होंगे और वह देश भर से किसी भी व्यक्ति को सम्मन कर सकता है और उसे शपथ के तहत बयान देने को कह सकता है. उसे अब पिछड़ी जातियों की स्थिति का अध्ययन करने और उनकी स्थिति सुधारने के बारे में सुझाव देने तथा उनके अधिकारों के उल्लंघन के मामलों की सुनवाई करने का भी अधिकार होगा।. अब इस आयोग को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग या राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के बराबर का दर्जा मिल गया है।


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