लॉक डाउन का बीसवां दिन, क्या हुआ और क्या होगा, में सिमटा देश
चलिए, एक बार फिर से, बीत चुके घटनाक्रम पर नजर डाल, स्वआकलन करें, कि क्या क्या हुआ और इस समय षड्यंत्र करने वाले, स्वांग रचने वाले, फर्जी कर्मों से वाहवाही लूटने वाले नराधम कौन और विकट अदृश्य आपदा में भी संयम ना खोकर त्वरित, जनहित, राष्ट्रहित कठोर निर्णय लेने वाले राष्ट्रनायक कौन?
जानते हैं, 22 मार्च जनता कर्फ्यू और 23 मार्च को देशभर में लाकडाउन का यही समय क्यों चुना था मोदीजी ने?
क्योंकि 24 मार्च से नवरात्रे शुरू हो रहे थे और बीमारी सारी दुनिया को अपने आगोश में ले रही थी, इसे भारत में भी फैलाने के मनसूबे लिए चंद अराजक तत्व सक्रिय हो गए थे। इस समय मंदिरों में लगने वाली भारी भरकम भीड़ को निशाना बनाने का “थूक जमात” का मास्टर प्लान कामयाब हो, उससे पहले ही बड़ी चतुराई से सौ करोड़ हिन्दुओ को उनके ही घरों में कैद कर देना, हमारे और आपके दिमाग से परे की बात है। लेकिन वहीँ दूसरी और केजरीवाल ने दिल्ली में क्या किया, किसके कहने पर किया और किस षड्यंत्र के तहत किया, यह भी आज सबको पता है। और इस त्वरित लॉक डाउन से जितने देशी-विदेशी खुराफाती जमाती इस वायरस रूपी बम के लिए तैयार किये गए थे, और जहाँ-जहाँ थे, वही रुक गए, जिससे उनको घेर पाना, पकड़ना, उन्हें कम्यूनिटी में मिलने से रोक पाना, हर राज्य के लिए आसान हो गया।
कुछ लोग कहने लगे, लॉकडाउन तो किया लेकिन पहले से प्लान करके करना चाहिए था, सही भी है, माना कि इससे लोग जहां-तहां फंस भी गए, मेरा बेटा भी मुंबई में फंस गया, लेकिन उस फंसने जैसी मजबूरी में भी कोशिश तो हमारी सुरक्षा की ही थी न और हमारे वीर सैनिक तो हर वक्त जान हथेली पर लिए फंसे ही रहते हैं, कभी उन्होंने शिकायत की क्या? तो हम सब भी तो माँ भारती के वीर सपूत ही हैं, हमें भी शिकायत नहीं होनी चाहिए।
इसलिए सोचिये, क्या फर्क पड़ जाता अगर नवरात्रि के पहले दिन छूट मिल जाती तो?
बहुत फर्क पड़ता, सोच के देखिये । जो जमातीये, देश बन्द होंने से पहले जगह-जगह निकल गए थे वो आज सिर्फ ढूंढे ही नही जा रहे हैं बल्कि अपना असली चेहरा भी दिखा रहे हैं, डाक्टरों, नर्सों, पैरामेडिक्स, रखवालों पुलिस जैसे देवदूतों पर थूकने, पथ्थर मारने और नंग निर्लज्ज व्यवहार करने वाले अधर्मी और इनके सरगने और क्या क्या नहीं कर गुजरते?
और फिर नवरात्र में फल-फूल की बेहद जरुरत और बिक्री होती है, तब इनका उद्देश्य कोरोना फैलाना था, या आस्था, व्रत और पूजा से जुड़े सौ करोड़ लोगों का मन, स्वास्थ्य और आत्मबल ख़राब करना, वो आप सोचिये, लेकिन आपके जागरुक, समझदार प्रधानमंत्री ने मर्यादाओं में रहते हुए, एक झटके में सख्त निर्णय लेकर, सौ करोड़ लोगों को घर मे समेट, देश को संक्रमित होने से बचा लिया, नही तो आज स्थिति बहुत भयावह होती।
जो वायरस आज एक कुटिल समूह में समेट दिया गया, वो वायरस अगर कम्युनिटी से कम्युनिटी मै फ़ैल जाता तो आज हमारा गरीब देश निःसंदेह अमीर फ़्रांस, अमेरिका, ईरान, इटली से कोसों ज्यादा बीमार हो चुका होता। बात अब जमातियों और निहंगों की।
आवश्यक वस्ती, सब्जी भाजी खरीदने निकले कुछ निहंगों ने पुलिस बल पर हमला किया और एक पुलिसकर्मी का तलवार से हाथ काट दिया। ठीक इसके तुरंत बाद ही संगठन का बयान आया और कठोर शब्दों में उनके इस कृत्य की निंदा करते हुए कहा गया कि ऐसे अपराधियों को अविलंब जेल भेजा जाए। ताबड़तोड़ कार्यवाही हुई और हत्या की धारा 302, 307 के तहत केस दर्ज कर 7 आरोपियों को जेल भेज भी दिया गया। बात यही खत्म नहीं होती, इन अपराधियों के लिए किसी भी हिन्दू, सिख ने वैचारिक गंदगी का सहारा लेते हुए इन्हे बचाने या भूला भटका कहने का प्रयास नहीं किया और ना ही अल्पसंख्यक टैग का इस्तेमाल करते हुए किसी ने इनका समर्थन किया। समर्थन तो किसी भी हिंदू ने सेलेब्रिटी होते हुए भी कनिका कपूर का भी नहीं किया था और न ही उसका बचाव किया था।
पर जमात और मस्जिद के मामले में ऐसा सोच सकते हैं क्या ?
सोचिये क्या होता अगर मोदीजी एक मौका देकर लाकडाउन करते तो?
हममें से न जाने कितने लोग आज शायद काँधे के लिए चार लोग भी ना जुटा पा रहे होते। सगे सम्बन्धी भी कोसो दूर से निहार रहे होते, कोई मुंह में गंगाजल भी नहीं डालता, तुलसी पत्र तो दूर की बात। इसलिए मोदी, योगी, शाह पर भरोसा रखिये, और इसीलिए जब मोदी जी ने कहा था कि इक्कीस दिन, घर के अंदर रहना, तो सबने माना ना? और अभी दो दिन पहले भी जब उन्होंने कहा कि लड़ाई लंबी है, मतलब लॉक डाउन भी लंबा है, अगर सिर्फ 21 दिन का होता तो वो ऐसा कहते क्या? और कल सुबह दस बजे जब वो कहें कि लॉक डाउन दो हफ्ते के लिए बढ़ा रहे हैं तो बिना डरे या तनाव में आये, अमेरिका इटली, स्पेन के लोगों के बारे में सोचियेगा और इस आपदा पर्व को आनंद में बदलने और आने वाले कल के लिए कमर कस लीजियेगा। और अगर कहीं कहीं कुछ ढील मिल भी जाए तो भेड़ों के रेवड़ की तरह मत निकल पड़ना सड़कों पर, सेल्फ डिसिप्लिन भी बेहद जरूरी है, फिर से दड़बों में बंद ना हो जाने के लिए।
कोशिश कीजियेगा कि अगले दो साल तक फ़िज़ूल खर्ची बिल्कूल ना करें, चाहे आपके अकाउंट में लाखों रूपये ही क्यों ना हो। खुद के लिए, परिवार के लिए, जरूरतमंदों के लिए, आने वाले कल के लिए, आज का संयम ही कल की ढ़ाल बनेगा। आशावादी रह, सकारत्मक सोच रखें और सबको प्रेरित भी करते रहें। मिल्क पाउडर, दवाइयों का स्टॉक (जो रेगुलर लेते हो, बीपी, सुगर, थायरॉइड आदि), मोटे अनाज, राजमा, मूँग, चवले, चने, छोले, केर-सांगरी, पापड़, मैथी दाना, बेसन, सुखी सब्जियों का स्टॉक करें, अगर मौका मिले तो? खाना बिलकुल भी बर्बाद ना करें! बच्चों की जिद्द सुधारने, उन पर लगाम लगाने, बुरे वक़्त के बारे में बताने, लड़ने की हिम्मत देने का और शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक तौर पर उन्हें स्ट्रांग समझदार बनाने का यह बेहतरीन मौका और समय है आपके पास।
और हाँ, चलते-चलते : कोरोना रसूख, जांतपांत, धरम नहीं देखता। ना हो भरोसा तो प्रिंस चार्ल्स, बोरिस जॉनसन, टॉम हैंक्स या सऊदी अरब के राजपरिवार से पूछ लो। फिर मत कहना कि बताया नहीं था, मिलते हैं कल, तब तक जय राम जी की।