16 नवंबर :राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस
खींचो न कमानों को न तलवार निकालो।
जब तोप हो मुकाबिल अखबार निकालो।।
मिशनरी पत्रकारिता के दौर में इस शे’र को सरेआम पढ़ा जाता था। लेकिन अब दुनिया बहुत बदल चुकी है। जीवन के हर क्षेत्र में बड़े- बदलाव हुए हैं और बदलाव का दौर जारी है। अगर इस बदलाव में सबसे पिछले श्रेणी में खड़ा है तो वह मीडिया अर्थात पत्रकारिता जगत ही है। आज इस हाथ से लें और उस हाथ से दें का व्यवसाय का नियम लागू है, तो पत्रकारिता का मुफ़्त सेवा पत्रकारों को जरूर कचोटता है। आज स्थिति तो यह है कि झूठी-मूठी बड़ी खबरें प्रेस विज्ञप्ति के नाम से भेजी जाती हैं। खबरों की भूख से तड़पते पत्रकार बड़ी शान से उस खबर को भी जगह दे देते हैं। बावजूद, खबर भेजनेवाले खबर प्रकाशित होने पर भी धन्यवाद नहीं दे पाते ? कुछ अपवाद हो सकता है, पर ज्यादातर स्थिति यही है। सच तो यह है कि वास्तव में तथाकथित स्वतंत्रता की दम भरनेवाली पत्रकारिता अब व्यवसाय में तब्दील बंधुआ मजदूरी बन चुकी है।
आज राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस है तो हमें भी बदलाव को स्वीकार करना होगा। मुफ्त की पत्रकारिता और बेईमानों, धूर्तबाजों की फर्जी खबरें बिना कोई सूचना के प्रकाशित करने पर विराम लगाना होगा। अगर पत्रकार भाई बदलाव को स्वीकार नहीं करते हैं, तो अपनी दशा-दिशा के वे खुद जिम्मेदार हैं, कोई दूसरा नहीं !
कहते है इतिहास आप तभी पढ़ पाते हैं जब इतिहासकारों ने इतिहास लिखा .. ! वैसे ही लोकतंत्र और राजनीति में क्या कुछ हो रहा वो आपको पत्रकारिता के माध्यम से पता चलता है।
वैसे भी पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है… ! आपको बता दे प्रत्येक वर्ष। ’16 नवम्बर’ को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारत में एक स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की मौजूदगी का प्रतीक है। विश्व में आज लगभग 50 देशों में प्रेस परिषद है। भारत में प्रेस को ‘मोरल वाचडॉग’ कहा जाता है।
राष्ट्रीय प्रेस दिवस, प्रेस की स्वतंत्रता एवं जिम्मेदारियों की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट कराता है। आपको बता दें, प्रथम प्रेस आयोग ने भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक प्रेस परिषद की कल्पना की थी। परिणाम स्वरूप 4 जुलाई, 1966 को भारत में प्रेस परिषद की स्थापना की गई, जिसने 16 नवम्बर,1966 से अपना विधिवत कार्य शुरू किया। तब से लेकर आज तक प्रतिवर्ष 16 नवम्बर को ‘राष्ट्रीय प्रेस दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य देश में आम लोगों को प्रेस के बारे में जागरूक करना और उनको प्रेस के नजदीक लाना है। पत्रकारिता का क्षेत्र आज व्यापक हो गया है। पत्रकारिता जन-जन तक सूचना पहुंचाने का मुख्य साधन बन चुका है। लेकिन अभी सबसे बड़ा संकट पत्रकारिता की विश्वसनीयता और साख पर है। आम लोगों की नजर में पत्रकारिता और पत्रकारों की प्रतिष्ठा गिरी है। इसके लिए सबसे ज्यादा दोषी विजुअल मीडिया और टीवी पत्रकारिता है। अपने कारनामों की वजह से इनकी छवि सरकार या राजनीतिक दलों के भोंपू की बन चुकी है। अगर स्थिति की गम्भीरता पर तत्काल कदम नहीं उठाया जायेगा तो मामला हाथ से फिसल भी सकता है…
सभी देशवासियों, मित्रगणों एवं शुभेच्छुओं को राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस की हार्दिक बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएं !!!
✍ डॉ अजय ओझा
संपादक (भोजपुरी संस्करण) & ब्यूरोचीफ – संपूर्ण माया, www.sampurnamaya.in
उपाध्यक्ष – झारखण्ड जर्नलिस्ट एसोसिएशन, रांची