शशि प्रकाश सिंह – ऐसे शिक्षक जो 2021 बच्चों को गोद लेकर बन गये उनके अभिभावक

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सौरभ सिंह सोमवंशी।
सौरभ सिंह सोमवंशी।
ना दौलत से ना शोहरत से, 
ना बंगला गाड़ी रखने से।
मिलता है सुकून दिल को,
किसी जरूरतमंद की मदद करने से।।

ऊपर की यह पंक्तियां उत्तर प्रदेश के बागी बलिया के लाल और वर्तमान में इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई की प्रवेश परीक्षा के लिए देश की प्रतिष्ठित कोचिंग अनअकेडमी के प्रसिद्ध केमिस्ट्री फैकल्टी शशि प्रकाश सिंह जो आजकल अपने छात्रों के बीच में एसपीएस सर के नाम से विख्यात है उनके ऊपर एकदम सटीक बैठती है।

शशि प्रकाश सिंह पिछले 14 वर्षों से इंजीनियरिंग और मेडिकल की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने वाली कई प्रतिष्ठित संस्थाओं में शिक्षक रह चुके हैं और इनके पढाये हुए हजारों छात्र छात्राएं आज कई बड़े संस्थानों में डॉक्टर और इंजीनियर के पदों पर तैनात होकर देश की सेवा कर रहे हैं। परंतु आज हम बात शशि प्रकाश सिंह की करेंगे जो 2020 से शुरू हुई वैश्विक महामारी कोरोना के कारण अपने पेरेंट्स को गवा चुके छात्र छात्राओं के लिए इस देश में मसीहा बनकर के उभरे हैं शशि प्रकाश सिंह 2021 उन छात्र-छात्राओं को गोद ले रहे हैं और उनके शिक्षण का जिम्मेदारी ले रहे हैं ताकि महामारी के कारण जो छात्र-छात्राएं अपने माता पिता को गंवा चके हैं उनकी शिक्षा को सुचारू रूप से संचालित होने में किसी भी तरह की आर्थिक रुकावट ना आने पाए इसके लिए निश्चित रूप से अपने छात्रों के बीच एस पी एस सर के नाम से विख्यात शशि प्रकाश सिंह को उनके गृह जनपद बलिया से लेकर देश और विदेश से भी लगातार बधाई और शुभकामनाएं मिल रही हैं इसके अलावा समाज में एक बड़ी लकीर खींचने का काम भी शशि प्रकाश से कर रहे हैं।

कैसे मिली प्रेरणा?

जब इस मामले पर शशि प्रकाश सिंह से बात की गई तब उन्होंने बताया कि दो तीन चीजों ने मुझे पूरी तरह से बदल दिया और इसके लिए प्रेरित किया पहला यह कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब हमारी मां भी उसके चपेट में आई तो शशि प्रकाश सिंह के पुराने छात्रों (जो आज डाक्टर बन चुके हैं) ने उनका साथ दिया यहां तक की ऑक्सीजन से लेकर आईसीयू वाले बेड तक का इंतजाम करवाया, तब शशि प्रकाश सिंह ने सोचा कि कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो सिर्फ और सिर्फ पैसे के कारण भी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते और उनका भविष्य अंधकारमय हो जाता है, और जब वह शिक्षा प्राप्त कर कोई मुकाम प्राप्त कर लेते हैं तो वह दूसरे लोगों की मदद भी कर सकते हैं यही कारण था कि मैं पूरी तरह से इसमें लग गया दूसरा
यह कि मैं कोरोनकाल के दौरान एक ऐसी बच्ची की मां से मिला जिसके पिता कोरोनावायरस से खत्म हो गये थे तब उस मां ने हमसे केवल इतना ही कहा था कि मैं बहुत गरीब हूं और अपनी बेटी को नौकरानी की तरह से काम करते हुए नहीं देख पाऊंगी क्योंकि मेरी बेटी की पढ़ कर के कुछ करने की इच्छा है तब मैंने उसके पढ़ाई का जिम्मा उठाया और मैंने ठान लिया कि इस तरह के बच्चों को मेहनत मजदूरी नहीं करने दूंगा और उनकी शिक्षा का जिम्मा लूंगा तब मैंने 350 बच्चों की जिम्मेदारी उठाई ।

तीसरी मैंने अपने 14 साल के शिक्षण कार्य के दौरान पहली बार देखा कि यह वर्ष एकदम से अलग था जब भी मोबाइल टीवी देखता तो पता चलता कि इतने बच्चे पढ़ाई छोड़ रहे हैं, जब हमने कारण पता करना चाहा तो प्रमुख कारण जो था वह कोरोना के कारण माता पिता की मृत्यु होना या फिर आर्थिक स्थिति का बद से बदतर हालत में चले जाना था। फिर हमने सोचा कि आज हमारे पास जो कुछ भी है इसी समाज ने हमको दिया है और इसी समाज को आज हमारी आवश्यकता है सोसाइटी को यदि आज हम कुछ नहीं दे सके तो कब देंगे क्योंकि यही सही समय है जब उस समाज के लिए कुछ किया जाए जिसने हमको सब कुछ दिया है बस फिर हमने कुछ बच्चों की हेल्प की और जब यह बात धीरे-धीरे फैलने लगी तो कारवां बढ़ता चला गया कोरोना के कारण एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा भी था जो दिन-प्रतिदिन कमा करके अपना पेट भरता था उसके लिए भी बहुत बड़ा संकट पैदा हो गया था हमने उनके बच्चों की पढ़ाई के लिए मदद की इसके अलावा बहुत सारे बच्चे ऐसे भी थे जो साइंस स्ट्रीम के नहीं थे, हम से पढ भी नहीं थे। परंतु हमको पता है कि शिक्षा सभी का हक है और सभी को मिलनी ही चाहिए। और उस शिक्षा से समाज का कोई भी बच्चा वंचित नहीं रहना चाहिए।

कौन हैं शशि प्रकाश सिंह सर

अपने छात्रों के बीच में एस पी एस सर के नाम से विख्यात शशि प्रकाश सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के क्रांति की धरती बलिया के रसड़ा अंतर्गत अतरसुआ गांव की रहने वाले हैं और एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं शशि प्रकाश सिंह के पिता जी भी किसान हैं। गांव के ही सरकारी स्कूल से हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई करने के बाद शशि प्रकाश सिंह ने रुड़की में बीटेक में एडमिशन ले लिया जिसके लिए उनके पिताजी ने सरकार से लोन भी लिया था बीटेक करते समय ही शशिकांत ने पढ़ाना शुरू कर दिया था और 22 वर्ष की उम्र में टॉप क्लास के केमिस्ट्री टीचर बन गए तब से सफर आज तक जारी है वह पिछले 14 वर्षों से नई दिल्ली व राजस्थान जैसे शहरों में वहां के प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान जैसे आकाश इंस्टीट्यूट, एलेन,पथफाइंडर आदि में केमेस्ट्री का शिक्षण कार्य कर चुके हैं वर्तमान में वह राजस्थान के कोटा के चंबल गार्डन रोड स्थित चंबल अपार्टमेंट में रह रहे हैं, व कोटा में ही स्थित देश के प्रतिष्ठित संस्थान अनअकैडमी में केमिस्ट्री के टीचर हैं।

कोई बड़ी टीम नहीं कोई तामझाम नहीं-

समाज सेवी लोगों की तरह शशि प्रकाश सिंह ने किसी तरह की कोई टीम नहीं बनाई है और ना ही किसी तरह का कोई तामझाम रखते हैं बल्कि जो भी छात्र या छात्रा शिक्षा से इसलिए वंचित हो जा रहा है क्योंकि उसके माता-पिता आज इस दुनिया में नहीं है उसके शिक्षा की पूरी जिम्मेदारी शशि प्रकाश सिंह ले लेते है।

जब कुछ लोगों का नाम शशि प्रकाश सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमारी एक छोटी सी टीम में दामिनी सिंह, राजीव चौहान, अविनाश सोगानी, हरिओम शर्मा जी हैं इसके अलावा केयर एजुकेशनल ट्रस्ट भी है।

वह कहते हैं कि यदि कोई आर्थिक रूप से सिर्फ कमजोर होने के कारण शिक्षा से वंचित रह जाता है तो सिर्फ और सिर्फ एक बच्चा या एक परिवार पीछे नहीं जाता बल्कि पूरी की पूरी वह जेनरेशन या पीढ़ी पीछे चली जाती है वह कहते हैं कि हमारी सोसाइटी सिर्फ और सिर्फ हम से नहीं है बल्कि हमारे अगल-बगल के लोगों से भी हमारी सोसाइटी या समाज का निर्माण होता है यदि कोई बच्चा ऐसा है जो कल तक पढ़ाई कर रहा था और आज वह मजदूरी करने पर आ गया तो निश्चित रूप से यह सोसाइटी के लिए चिंता का विषय होना चाहिए क्योंकि हो सकता है कि वही बच्चा कल असामाजिक तत्वों के साथ जुड़ जाए तब प्रश्न यह भी उठता है कि क्या उसका ख्याल ना रख पाने वाली सोसाइटी
अपने आप को माफ कर पाएगी। शशि प्रकाश सिंह कहते हैं कि सोसाइटी की यह जिम्मेदारी है कि आर्थिक सहयोग के साथ साथ ऐसे बच्चों को इमोशनल सपोर्ट भी दिया जाए।

2021 छात्र ही क्यों?

अपने छात्रों के सबसे बेस्ट केमेस्ट्री टीचर एस पी एस सर कहते हैं कि 2020 बेकार था तो 2021 उससे भी ज्यादा बेकार रहा है और इसीलिए उन्होंने 2021 में ऐसे 2021 छात्र छात्राओं की मदद करने की ठानी है जिनकी शिक्षा में बाधा सिर्फ इसलिए आ गई है क्योंकि कोरोनावायरस ने उनके मां-बाप को उनसे छीन लिया है वे कहते हैं कि उन छात्र-छात्राओं का उसी तरह से ख्याल रखना है जिस तरह से उनके माता पिता रखते थे उसमें किसी भी प्रकार का कोई अंतर नहीं आना चाहिए और यही कारण है कि शशि प्रकाश सिंह ने अपनी बचत के पैसे का प्रयोग इन बच्चों की पढ़ाई में खर्च करना शुरू कर दिया वर्ष 2021 में 2021 बच्चों की मदद शशि प्रकाश सिंह कर रहे हैं वह किसी भी भाषा के हो किसी भी प्रांत के हो किसी भी क्लास के हों । देश के किसी भी कोने से भी हों, जिन छात्र-छात्राओं से शशि प्रकाश सिंह कभी मिले नहीं हैं उनको देखा नहीं है उनकी भी शशि प्रकाश सिंह मदद कर रहे हैं सिर्फ इसलिए की आर्थिक कमजोरी किसी की भी शिक्षा में बाधा न बने।

घर खरीदने के लिए रखे पैसे भी खर्च कर दिए-

36 वर्ष के बागी बलिया के लाल शशि प्रकाश सिंह ने पिछले 14 वर्षों से कुछ पैसे इसलिए बचाए थे ताकि वे अपने सपनों का आशियाना बना सकें परंतु उनका यह सिद्धांत कि “हमारे पास आज जो कुछ भी है वह इसी सोसाइटी का दिया हुआ है और आवश्यकता पड़ने पर हमें भी सोसाइटी को देना चाहिए” ने इस पर ब्रेक लगा दिया और जब छात्र-छात्राओं की मदद के लिए उन्होंने एक पोस्ट डाली और वह वायरल हो गई उसके बाद वह पीछे की तरफ नहीं लौटे।आज शशि प्रकाश सिंह अपनी जमा पूंजी आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए खर्च कर दे रहे हैं। पूछने पर कहते हैं कि हम घर तो बाद में भी ले लेंगे परंतु जिस छात्र की शिक्षा रूक जाएगी सिर्फ वह पीछे नहीं बल्कि पूरे की पूरी जनरेशन बर्बाद हो जाएगी जो सोसाइटी कि लिए शर्म का विषय है। इसलिए हम सब की जिम्मेदारी है कि आगे आकर ऐसे लोगों की मदद करें और मदद करने वाले लोगों की तारीफ भी की जानी चाहिए। इसी सोसाइटी में एक अजीब तरह का वीडियो डालकर किसी को रातों-रात सेलिब्रिटी बना दिया जाता है परंतु सही काम करने वाले की कहीं चर्चा नहीं होती यह सोचनीय विषय है।

मध्यम व निम्न वर्ग के उन्नति हेतु शिक्षा सबसे सशक्त माध्यम- शशि प्रकाश सिंह

शशि प्रकाश सिंह कहते हैं कि शिक्षा एक ऐसा माध्यम है जिससे मध्यम और निम्न वर्ग अपने आप को आगे ले जा सकता है शिक्षा में इतनी बड़ी ताकत है की पूरी की पूरी जनरेशन को सुदृढ बनाने में इसकी विशेष भूमिका होती है और यदि छात्र-छात्राएं कुछ समय तक मेहनत कर ले तो भी हर एक मुकाम हासिल कर सकते हैं और इसीलिए हर किसी को शिक्षा मिलनी चाहिए आर्थिक संकट उसका कारण नहीं बनना चाहिए, और शायद शशि प्रकाश सिंह इसी प्रयास में लगे हैं।


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