आलू भाव अच्छे होने से लौटी किसानों के चेहरे पर मुस्कान

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भंडारण कम होने से शीत गृह मालिकों की नींद उड़ी 


फर्रुखाबाद, 23 फरवरी ( हि. स.)। उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक आलू पैदा करने वाले फर्रुखाबाद के किसानों की होली इस साल रंगीन हो गई है। कई सालों के बाद इस साल किसानों को अपनी फसल के वाजिब दाम मिल रहे हैं। आलू के बड़े भाव से जहां किसानों के चेहरे पर मुस्कान लौट आई है, वहीं जिले के इकलौते उद्योग शीत गृह मालिकों की नींद उड़ा दी है। आलम यह है कि शीत गृह मालिक किसानों को आलू भंडारण करने के लिए अपने पास से बारदाना दे रहे हैं। इसके बाद भी किसान आलू भंडारण न करके सीधे बेंच रहा है। हालांकि की कुछ शीत गृह मालिकों ने किसानों को आलू भंडारण के लिए 10 रुपये प्रति पैकेट किराया अपने पास से देना शुरु कर दिया है। इसके बाद भी 80 फीसदी से ज्यादा भंडारण होता नजर नहीं आ रहा है। 
जिले में सर्वाधिक आलू पैदा करने वाले विकासखण्ड कमालगंज के गांव चौकी महमदपुर के रहने वाले प्रगतिशील किसान नारद सिंह कश्यप का कहना है कि कई साल से आलू किसान मंदी के चलते घाटा झेल रहा था। इस साल आलू के भाव 12 सौ से 13 सौ रुपये प्रति कुंतल होने की वजह से किसानों की होली रंगीन हो गई है। उनका कहना है कि हर साल आलू मंदा होने की बजह से किसान शीत गृहों में अपना आलू भंडारित कर देता था। जिस वजह से फरवरी के अंत तक शीत गृहों में भंडारण फुल हो जाता था।शीत गृहों में हाउस फुल का बोर्ड लग जाता था। किसानों का कहना है कि बड़ी सिफारिश के बाद बचे हुये किसानों का आलू शीत गृहों में भंडारित हो पाता था। इस बार कुदरत ने ठीक इसके उल्टा कर दिया है। अब भाव अच्छे होने की वजह से किसान का आलू खेतों में ही बिक जाता है। जिले में मौजूदा समय मे 85 शीत गृह हैं, जिनमें छह लाख मीट्रिक टन आलू भंडारण की क्षमता है। शहर क्षेत्र में कार्यरत शीत गृहों का आलम यह है कि उनमें अभी तक 30 फीसदी भी भंडारण नहीं हो सका है, जबकि बीते वर्ष 25 फरवरी तक 90 फीसदी शीत गृह हाउस फुल का बोर्ड लगा चुके थे। 
सागर सिंह सोमवती शीत गृह नहरैया के मालिक गजेंद्र सिंह यादव का कहना है कि आलू की कम पैदावार और भाव अच्छे मिलने की वजह से किसान शीत गृहों में आलू भंडारण न करके सीधा बेंच रहा है। उनका कहना है कि उन्होंने किसानों के लिए नई स्किम लागू कर दी है। इस स्कीम के तहत वह जो किसान उनके शीत गृह में आलू भंडारण करने आता है, उसको वह किराए के रुप मे 10 रुपये प्रति पैकेट नकद दे रहे हैं। इस स्कीम के लागू करने के बाद उनके कोल्ड स्टोरेज में 65 फीसदी भंडारण हो सका। उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में उनका शीत गृह होने की वजह से किसान अब शहर के शीत गृहों में आलू न ले जाकर उनके यहां ही भंडारण कर रहा है। श्री यादव का मानना है कि नगरीय क्षेत्र के कोल्ड स्टोरेज में 80 फीसदी से ज्यादा भंडारण नहीं होगा। 
कार्यवाहक जिला आलू विकास अधिकारी ए.पी. सिंह का कहना है की शीत गृह मालिक इस समय संकट में हैं। वह गांव गांव जाकर खुद आलू खरीद कर अपने शीत गृहों में भंडारित कर रहे हैं। इसके बाद भी भंडारण संतोष जनक होता नजर नहीं आ रहा है। कुल मिला कर भंडारण न होने से शीत गृह मालिकों की नींद उड़ी हुई है। हिन्दुस्थान समाचार/चन्द्रपाल/मोहित


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